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सख़्त कानून के बावजूद क्यों नहीं रुक रहे एसिड अटैक? बिक्री पर भी नहीं कस पाया शिकंजा

देश में हर रोज़ एसिड अटैक के नए मामले सामने आते रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेशों के बाद भी देश में अनाधिकृत रूप से एसिड की बिक्री पर रोंक नहीं लगाई जा सकी है। आरोपियों को सख्त सजा मिलने के बाद भी इस तरह के अपराध की संख्या में कोई प्रभावी कमी दर्ज़ नहीं की गई है।

एसिड अटैक पीड़िता डॉली

एसिड अटैक पीड़िता डॉली



एसिड अटैक से जुड़ा एक नया केस लगभग हर दिन सामने आता रहता है। कभी किसी के ऊपर शादी का प्रस्ताव न मनाने पर एसिड फेंक दिया जाता है, तो कभी किसी को रंजिश के चलते शिकार बनाया जाता है। एसिड हमले के बाद पीड़ित (चाहें वो महिला हो या पुरुष) का जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। पीड़ित के निजी, सामाजिक और आर्थिक जीवन पर इसका बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है।


देश में एसिड की बिक्री को लेकर नए कानून आने के बावजूद जमीनी स्तर पर हालातों में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिला है। देश में एसिड बिक्री को लेकर जो कानून हैं, उन्हे सख्ती के साथ जमीन पर उतारा जाना बेहद जरूरी है।


एसिड अटैक अपने आप में एक नए अलग तरह का अपराध है और कुछ सालों पहले ही बड़ी तादाद में इससे जुड़े मामले सामने आने शुरू हुए, इसके चलते सरकार ने अपराध कानून संसोधन एक्ट 2013 के जरिये भारतीय दंड संहिता में कुछ प्रावधानों को जोड़ा।

आईपीसी की धारा 326A

आईपीसी की धारा 326A के अनुसार यदि किसी व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति के शरीर पर नुकसान पहुंचाने के इरादे से एसिड फेंका गया है और पीड़ित पूर्ण रूप से या आंशिक रूप से जख्मी हुआ है, तो यह कृत्य गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आयेगा। इसके तहत दोषी को कम से कम 10 साल की सजा और अधिकतम उम्रकैद के साथ ही जुर्माने साथ दंडित किए जाने का प्रावधान है।


 शीरोज़ कैफे

आगरा स्थित शीरोज़ कैफे एसिड अटैक पीडिताओं के जीवन में आत्मविश्वास भर रहा है।


आईपीसी की धारा 326B

आगरा कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के शरीर पर घायल करने के उद्देश्य से एसिड फेंकने का प्रयास करता है तो यह भी गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में आता है, इसके तहत दोषी के लिए कम से कम 5 साल की सजा के साथ जुर्माने का भी प्रावधान है।


अपराध कानून संसोधन एक्ट 2013 में सेक्शन 357B और सेक्शन 357C को भी जोड़ा गया है, जिसके तहत एसिड अटैक की पीड़िता को राज्य सरकार की तरफ से मुआवजा दिया जाएगा, यह मुआवजा सेक्शन 326A के तहत मिलने वाली जुर्माना राशि के अतिरिक्त होगा। इसी के साथ सरकार को पीड़िता को निशुल्क मेडिकल सुविधा भी उपलब्ध करानी होगी।


लक्ष्मी अग्रवाल मामले में में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि एसिड अटैक से पीड़िता की निजी, सामाजिक और आर्थिक जिंदगी पर काफी असर पड़ता है और इस तरह के पीड़ित के लिए 3 लाख रुपये की मदद काफी कम है। सुप्रीम कोर्ट ने 3 लाख रुपये की नुकसान भरपाई राशि को बढ़ा कर 6 लाख रुपये कर दिया था।

मिली है मौत की सजा

एसिड अटैक केस में आरोपी को मौत की सजा भी सुनाई जा चुकी है। मुंबई के प्रीति राही अटैक केस में आरोपी ने पीड़िता पर तब एसिड फेंका था, जब वह बांद्रा टर्मिनस के प्लेटफॉर्म नंबर 3 पर खड़ी हुईं थीं। अटैक के बाद 30 दिनों तक भीषण दर्द के बाद प्रीति ने अपनी आँखों की रोशनी खो दी थी। अटैक से प्रीति का चेहरा बुरी तरह झुलस गया था, उनका सीना और फेफड़े बुरी तरह प्रभावित हुए थे, साथ ही उनकी सांस लेने और खाने की नली भी बुरी तरह प्रभावित हुई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस घिनौने और भयानक कृत्य के लिए आरोपी को मौत की सजा सुनाई थी।


2004 के एक एसिड अटैक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में टिप्पणी करते हुए कहा था कि,

“एसिड अटैक के दिशियों के साथ नरमी बरते जाने की कोई गुंजाइश नहीं है, इस हमले के बाद पीड़िता को जो भावनात्मक रूप से आघात पहुंचा है, उसकी भरपाई किसी भी मुआवजे से नहीं की जा सकती।”





एसिड हमले से पहले और बाद में लक्ष्मी अग्रवाल

एसिड हमले से पहले और बाद में लक्ष्मी अग्रवाल


एसिड की बिक्री पर कानून

एसिड की बिक्री के संबंध में एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल ने पीआईएल दाखिल करते हुए इसकी बिक्री को लेकर सख्त कानून की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने एसिड की बिक्री के लिए गाइडलाइन जारी की थीं,


1.    एसिड की बिक्री उसी दशा में होगी जब विक्रेता खरीददार के संबंध में सारी जानकारी एक रिकॉर्ड में दर्ज़ करेगा। इसमें खरीददार की जानकारी और बेंचे गए एसिड की मात्रा जैसी जानकारियाँ शामिल हैं।


2.    विक्रेता उसी दशा में एसिड की बिक्री करेगा जब खरीददार खुद उसके सामने हो। इसी के साथ खरीददार को एक फोटोयुक्त आईडी कार्ड भी प्रस्तुत करना होगा, जिसमें उसका पता अंकित हो, इसी के साथ उसे एसिड खरीदने का कारण भी स्पष्ट करना होगा।


3.    विक्रेता को भी एसिड स्टॉक के संबंध में जानकारी 15 दिनों के भीतर ही एसडीएम के समक्ष प्रस्तुत करनी होगी। स्टॉक की जानकारी में गड़बड़ी पाये जाने पर विक्रेता पर 50 हज़ार रुपये तक का जुर्माना भी लग सकता है।

4.    विक्रेता द्वारा किसी नाबालिग को एसिड की बिक्री करना गैर-कानूनी है।


इन सभी नियमों में से किसी भी नियम की अनदेखी करने पर जिम्मेदार के ऊपर 50 हज़ार रुपये का जुर्माना लग सकता है। कोर्ट के नियमों के अनुसार स्कूल और कॉलेज की प्रयोगशालाओं में इस्तेमाल होने वाले एसिड के संबंध में स्कूल/कॉलेज प्रशासन को एसडीएम को जानकारी उपलब्ध कराते हुए सभी नियमों का पालन करना होगा।

अन्य देशों में भी हैं कड़े कानून

एसिड अटैक पर कानून लाने वाला बांग्लादेश पहला देश था। बांग्लादेश ने इस संबंध में 2002 में कानून पारित किया था। इस कानून के तहत आरोपी को आजीवन कारावास का भी प्रावधान है। पाकिस्तान ने भी एसिड अटैक के संबंध में कड़े कानून देश में जारी कर रखे हैं। पाकिस्तान में एसिड अटैक के दोषियों के लिए 10 साल की सजा और 10 लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।


गौरतलब है कि भारत में लक्ष्मी अग्रवाल के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद देश में अनाधिकृत रूप से एसिड की बिक्री पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकी है।