सरकार के राहत पैकिजिस के बावजूद लॉकडाउन में अपने स्टार्टअप को बचाने के लिए क्यों संघर्षरत हैं रूट्स टेल की फाउंडर सीमा सिंह?
"दिल्ली की रहने वाली महिला उद्यमी सीमा सिंह ने तीन साल पहले अपने स्टार्टअप 'रूट्स टेल' की नींव रखी। सीमा की कंपनी रूट्स टेल भारतीय बाजार में हथकरघा और हस्तशिल्प से बनी साड़ियों और कलाकृतियों से अपनी अलग पहचान बनाने के साथ-साथ अमेरिका, लंदन और दुबई में भी अपनी कारीगरी का परचम लहरा रही है, लेकिन लॉकडाउन की मार अब सीमा को भी झेलनी पड़ रही है। सरकार के राहत पैकिजिस के बावजूद लॉकडाउन में अपने स्टार्टअप को बचाने के लिए क्यों संघर्षरत हैं सीमा, जानें इस वीडियो इंटरव्यू के माध्यम से..."
एक अकेली औरत जब अपने दम पर अपने लिए या समाज के लिए कुछ करने निकलती है, तो ज़ाहिर सी बात है उसे कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। हमारी सामाजिक संरचना इस तरह की है, कि औरत के लिए लड़ाई पुरुषों की अपेक्षा थोड़ी ज्यादा मुश्किल हो जाती है। वो फिर भी हार नहीं मानती और मेहनत करती है, इस उम्मीद में कि देर से ही सही लेकिन सफलता का स्वाद उसे चखने को मिलेगा ही। इसका एक बड़ा उदाहरण हैं रूट्स टेल की फाउंडर सीमा सिंह। कोरोनावायरस के इस मुश्किल समय में लॉकडाउन के चलते सीमा का स्टार्टअप कई तरह की दिक्कतों का सामना कर रहा है। सीमा ने इन सभी पर योरस्टोरी से खुल कर बात की और बताया कि किस तरह सरकार के राहत पैकिजिस के बावजूद वो अपने एम्पलॉइज़ को, अपने कलाकारों को सैलरी नहीं दे पा रही हैं और काम पूरी तरह से रुका हुआ है।
सीमा सिंह का जन्म बिहार के समस्तीपुर में हुआ। पिताजी दिल्ली यूनिवर्सिटी में नौकरी करते थे, जिसके चलते सीमा ने दिल्ली में ही रहते हुए अपनी पढ़ाई पूरी की और दिल्ली यूनिवर्सिटी से हिंदी विषय में एमए किया। कॉलेज के दिनों से ही सीमा ऑल इंडिया रेडियो से जुड़ गई थीं, जहां एफएम गोल्ड के लिए कार्यक्रम प्रेजेंटर रहीं। रेडियो के बाद सीमा ने जैन टीवी में बतौर वॉइस ओवर आर्टिस्ट करियर की एक नई शुरुआत की। सीमा ने इस चैनल में मात्र 3 महीने काम किया है और इस दौरान उन्होंने प्रोडक्शन का पूरा काम समझ लिया।
बचपन से ही भारतीय कलाकृतियों के प्रति उनका रुझान रहा और यही वजह है कि सीमा ने रुट्स टेल की स्थापना की। रुट्स टेल की शुरुआत के पीछे सीमा का उद्देश्य सिर्फ एक स्टार्टअप शुरु करके पैसे कमाना नहीं रहा, बल्कि अपने स्टार्टअप के माध्यम से सीमा उन महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बनाना चाहती थीं, जो एक-एक रुपए के लिए अपने पतियों पर निर्भर रही हैं और साथ ही बिहार की मधुबनी कला को भी उन्होंने रुट्स टेल के माध्यम से आकार दिया।
सीमा बचपन से खास तरह की कलाओं के प्रति आकर्षित होती रही हैं। कपड़ों का शौकन उन्हें हमेशा से था, तो अपने प्रेम और शौक को मिलाकर उन्होंने रुट्स टेल की स्थापना की। कपड़ों और कला के प्रति अपने प्रेम को निखारने और उसे अपना पेशा बनाते हुए उन्होंने हथकरघा और हस्तशिल्प के संगम से कारीगरों से कलाकृतियां बनवानी शुरू कीं और इन कलाकृतियों से साड़ियां, दुपट्टे और टी-शर्ट पर बनाए। उन्होंने पेंटिग्स भी बनवाईं। हस्तकला से बने ये कपड़े और पेंटिग्स ग्राहकों को काफी पसंद आने लगे और इस तरह सीमा ने रूट्स टेल को मधुबनी और मिथिला कला से जोड़ दिया।
कोरोनावायरस पेंडेमिक में लॉकडाउन से सीमा के स्टार्टअप को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लॉकडाउन ने उनके काम को पूरी तरह से रोक दिया है। जहां जहां से पेमेंट आना था, वो सब रुका हुआ है। स्थिति इतनी खराब हो गई है कि कलाकारों को देने के लिए पैसे भी नहीं है, जिसके लिए उन्होंने किटी करनी शुरु कर दी है, ताकि कलाकारों की आर्थिक तौर पर मदद की जा सके।
सीमा वो जुझारु महिला हैं, जिनके सपने को बड़े से बड़े तूफान नहीं हिला सके तो उम्मीद करते हैं कि कोरोनावायरस का कहर भी गुज़र जायेगा और जल्द ही सीमा कई नई और खूबसूरत कलाओं के साथ हमारे बीच होंगी और उनके कलाकार भी जल्द ही सामान्य जीवन की ओर वापिस लौटेंगे।
बता दें, कि सीमा के स्टार्टअप रुट्स टेल में 90 प्रतिशत महिला कलाकार हैं। जिसके पीछे सीमा का सपना भी था कि ज्यादा से ज्यादा ज़रूरतमंद औरतों को आत्मनिर्भर बनाया जाये।
पूरी बातचीत, सीमा की चुनौतियों और संघर्षों को थोड़ा और करीब से जानने के लिए पूरा वीडियो इंटरव्यू देखना बिल्कुल ना भूलें।
Edited by Ranjana Tripathi