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इस बिजली कंपनी को खरीदने से क्यों पीछे हटे अंबानी और अडानी?

600-मेगावाट के इस प्लांट ने उत्पादन इसलिए बंद कर दिया था क्योंकि हांगकांग में लिस्टेड इसके मालिक एग्रीट्रेड रिसोर्सेज स्वयं की वित्तीय कठिनाइयों के कारण इसे चालू रखने में विफल रहे थे.

इस बिजली कंपनी को खरीदने से क्यों पीछे हटे अंबानी और अडानी?

Monday March 27, 2023 , 3 min Read

छत्तीसगढ़ की बिजली कंपनी एसकेएस पावर जनरेशन को खरीदने से देश के दो सबसे बड़े कारोबारी घराने अंबानी इंडस्ट्रीज और अडानी ग्रुप खरीदने से पीछे हट गए हैं. मुकेश अंबानी और गौतम अडानी की कंपनियों ने एसकेएस पावर जनरेशन के अधिग्रहण के लिए समीक्षा बोली नहीं जमा की है.

इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अडानी और रिलायंस दोनों की बोलियां नहीं बढ़ाने का कारण पता नहीं चल पाया है, हालांकि मामले की जानकारी रखने वाले सोर्सेज ने कहा कि दोनों कंपनियों ने पहले दौर में आक्रामक बोलियों को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन किया.

हालांकि, अब इस तरह 600 मेगावाट थर्मल पावर प्रोजेक्ट के लिए केवल 5 दावेदार बचे हैं. कॉरपोरेट दिवालिया समाधान प्रक्रिया के तहत एसकेएस के लिए बोली जमा करने वाली कंपनियों में नागपुर स्थित सारदा एनर्जी एंड मिनरल्स, दिल्ली स्थित जिंदल पावर, सार्वजनिक क्षेत्र की एनटीपीसी, गुजरात स्थित टॉरेंट पावर और सिंगापुर स्थित वेंटेज पॉइंट असेट मैनेजमेंट शामिल हैं.

मामले की जानकारी रखने वाले सोर्सेज का कहना है कि अधिग्रहण के लिए अब मुख्य दावेदारी सारदा, जिंदल पावर और वेंटेज पॉइंट के बीच है.

एक सोर्स ने कहा, 'नीलामी प्रक्रिया में 1700 करोड़ रुपये से लेकर 2000 करोड़ रुपये से अधिक की बोली लगाई गई. शारदा, जिंदल और वैंटेज शीर्ष बोलदाताओं में से एक हैं, जिनके बीच बोली की राशि 10 करोड़ से भी कम है. इसका मतलब है कि बैंकों को उनमें से प्रत्येक के साथ बात करनी होगी ताकि उनकी योजनाओं का स्पष्ट रूप से आकलन किया जा सके और पसंदीदा बोली लगाने वाले का पता लगाने की कोशिश की जा सके.'

बता दें कि, 600-मेगावाट के इस प्लांट ने उत्पादन इसलिए बंद कर दिया था क्योंकि हांगकांग में लिस्टेड इसके मालिक एग्रीट्रेड रिसोर्सेज स्वयं की वित्तीय कठिनाइयों के कारण इसे चालू रखने में विफल रहे थे. एग्रीट्रेड रिसोर्सेज ने 2019 में एसबीआई के नेतृत्व वाले कर्जदाताओं के एक समूह के साथ एकमुश्त समझौते में प्लांट खरीदा था.

एसकेएस के लिए समाधान प्रक्रिया अप्रैल 2022 में शुरू की गई थी. कंपनी पर बैंक ऑफ बड़ौदा और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) का 1,890 करोड़ रुपये बकाया है. पावर प्लांट की भारी मांग के कारण बैंकरों को अपने सभी बकाया वसूलने का भरोसा है.

सोर्सेज ने कहा कि राज्य के स्वामित्व वाली एनटीपीसी को एक मजबूत दावेदार माना जा रहा था, लेकिन इसकी संशोधित बोली सबसे कम बोलियों में से है. बता दें कि, एनटीपीसी वर्तमान में बिजली की कमी पर काबू पाने के उद्देश्य से एक सरकारी निर्देश के बाद रायगढ़ जिले में प्लांट चला रही है.

अधिग्रहण की कुल लागत 4 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट से कम आएगी जबकि आज आज ऐसा कोई प्लांट बनाने के 9 करोड़ रुपये प्रति मेगावाट की आवश्यकता होगी.

एसकेएस प्लांट का कोल इंडिया की एक इकाई साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स के साथ 25 साल का ईंधन समझौता है, जिसमें रेलवे लाइन सीधे प्लांट तक कोयले की ढुलाई करती है.

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Edited by Vishal Jaiswal