मार्च में दूसरी बार विंडफॉल टैक्स में कटौती, जानिए कितनी कम हुई कीमत
4 मार्च को, केंद्र ने डीजल के निर्यात पर विंडफॉल टैक्स को घटाकर 0.50 रुपये प्रति लीटर कर दिया था. कच्चे तेल पर कर पहले के 4,350 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 4,400 रुपये प्रति टन कर दी गई थी.
भारत सरकार ने सोमवार देर रात स्थानीय स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स को पहले के 4,400 रुपये प्रति टन से घटाकर 3,500 रुपये प्रति टन कर दिया. हालांकि, इसने डीजल पर निर्यात शुल्क 0.50 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 1 रुपये प्रति लीटर कर दिया.
पेट्रोल और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) को निर्यात कर से छूट दी गई है. नई दरें 21 मार्च से प्रभावी होंगी. मार्च में दरों में यह दूसरी कटौती है.
इससे पहले, 4 मार्च को, केंद्र ने डीजल के निर्यात पर विंडफॉल टैक्स को घटाकर 0.50 रुपये प्रति लीटर कर दिया था. कच्चे तेल पर कर पहले के 4,350 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 4,400 रुपये प्रति टन कर दी गई थी.
कच्चे तेल को जमीन से बाहर निकाला जाता है और समुद्र के नीचे से शुद्ध किया जाता है और पेट्रोल, डीजल और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) जैसे ईंधन में परिवर्तित किया जाता है. पिछले दो हफ्तों में तेल की औसत कीमतों के आधार पर हर पखवाड़े कर दरों की समीक्षा की जाती है.
कब लागू हुआ था विंडफॉल टैक्स?
केंद्र ने 1 जुलाई, 2022 को पेट्रोलियम उत्पादों पर विंडफॉल टैक्स लगाने का ऐलान किया था. भारत ने पहली बार एक जुलाई को अप्रत्याशित लाभ कर लगाया था. इसके साथ ही यह उन कुछ देशों में शामिल हो गया था जो ऊर्जा कंपनियों के अत्यधिक लाभ पर कर वसूलते हैं.
उस समय पेट्रोल और एटीएफ पर छह रुपये प्रति लीटर (12 डॉलर प्रति बैरल) और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर (26 डॉलर प्रति बैरल) का निर्यात शुल्क लगाया गया था. घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन पर 23,250 रुपये प्रति टन (40 डॉलर प्रति बैरल) का अप्रत्याशित लाभ कर लगाया गया था. हालांकि, पेट्रोल पर निर्यात कर को समाप्त कर दिया गया है. कच्चे तेल की पिछले दो सप्ताह की औसत कीमत के आधार पर कर दरों की प्रत्येक पखवाड़े समीक्षा की जाती है.
क्या होता है विंडफॉल टैक्स?
विंडफॉल टैक्स सरकार द्वारा कंपनियों पर लगाए जाना वाला टैक्स है. यह टैक्स सरकार ऐसी कंपनियों या इंडस्ट्री पर लगाती है, जिन्हें किसी खास तरह के हालात से तत्काल काफी फायदा होता है.
मसलन, यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत में काफी तेजी आई थी और डोमेस्टिक ऑयल कंपनियां स्थानीय ऑयल रिफायनरीज को इंटरनेशनल प्राइस के बराबर ही कच्चा तेल प्रोवाइड करवा रहे थे. जिससे डोमेस्टिक ऑयल कंपनियों को अप्रत्याशित रूप से फायदा हो रहा था.
देश में क्रूड की सप्लाई बनाए रखने और ऊंचे प्रॉफिट के बीच तेल का एक्सपोर्ट नियंत्रित रखने के लिए ही ये टैक्स लगाया जाता है.
Edited by Vishal Jaiswal