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कच्चे तेल पर फिर से लगाया गया विंडफॉल टैक्स; डीजल के एक्सपोर्ट पर ड्यूटी हटाई

विंडफॉल टैक्स एक प्रकार का टैक्स है जो सरकार कुछ उद्योगों पर तब लगाती है जब वे अप्रत्याशित रूप से अधिक लाभ कमाते हैं. पिछले साल सरकार ने रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के जवाब में विंडफॉल टैक्स पेश किया था.

कच्चे तेल पर फिर से लगाया गया विंडफॉल टैक्स; डीजल के एक्सपोर्ट पर ड्यूटी हटाई

Wednesday April 19, 2023 , 2 min Read

भारत ने मंगलवार को घरेलू उत्पादित कच्चे तेल पर ₹6,400 प्रति टन के हिसाब से विंडफॉल टैक्स फिर से लगा दिया और डीजल पर निर्यात शुल्क समाप्त कर दिया.

पेट्रोल और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) पर निर्यात शुल्क में छूट जारी रहेगी.

पिछले संशोधन में केंद्र ने घरेलू स्तर पर उत्पादित पेट्रोल पर विंडफॉल टैक्स को शून्य कर दिया था, जबकि इसने डीजल के निर्यात पर छूट को आधा कर 0.50 रुपये प्रति लीटर कर दिया था.

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, शुल्क 19 अप्रैल से प्रभावी होगा.

पिछले संशोधन में सरकार ने डीजल के निर्यात पर कर को 1 रुपये से घटाकर 0.50 रुपये प्रति लीटर कर दिया था.

हालिया संशोधन तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण आया है, जो ओपेक प्लस के उत्पादन में आश्चर्यजनक कटौती के बाद चढ़ गए हैं.

विंडफॉल टैक्स एक प्रकार का टैक्स है जो सरकार कुछ उद्योगों पर तब लगाती है जब वे अप्रत्याशित रूप से अधिक लाभ कमाते हैं. यह टैक्स सरकार ऐसी कंपनियों या इंडस्ट्री पर लगाती है जिन्हें किसी खास तरह के हालात से तत्काल काफी फायदा होता है. मसलन, यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत में काफी तेजी आई थी और डोमेस्टिक ऑयल कंपनियां स्थानीय ऑयल रिफायनरीज को इंटरनेशनल प्राइस के बराबर ही कच्चा तेल प्रोवाइड करवा रहे थे. जिससे डोमेस्टिक ऑयल कंपनियों को अप्रत्याशित रूप से फायदा हो रहा था.

अमूमन सरकारें इस तरह के प्रॉफिट पर टैक्स के सामान्य रेट के ऊपर वन-टाइम टैक्स लगाती है. इसे विंडफॉल टैक्स कहते हैं.

पिछले साल सरकार ने रूस-यूक्रेन संघर्ष के बाद कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के जवाब में विंडफॉल टैक्स पेश किया था.

कमाई में इस अप्रत्याशित वृद्धि के परिणामस्वरूप, तेल उत्पादकों ने महत्वपूर्ण लाभ प्राप्त किया, जिसे अप्रत्याशित लाभ के रूप में वर्गीकृत किया गया और सरकार ने इन अतिरिक्त कमाई पर कर लगाना शुरू कर दिया.

अधिकारियों के मुताबिक, सरकार नियमित रूप से हर दो हफ्ते में टैक्स की दरों की समीक्षा करती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि टैक्स कलेक्शन सही है. उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कर की दरें केवल आंशिक रूप से उस अतिरिक्त मुनाफे को ऑफसेट करती हैं जो कंपनियां वैश्विक बाजार में उच्च कीमतों के समय उत्पन्न करती हैं.

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