Women's Entrepreneurship Day: ई-कॉमर्स की डोर थामकर कारोबार की दुनिया में परचम लहरा रही हैं ये चार महिला उद्यमी
ई-कॉमर्स (E-commerce) देशभर में महिला उद्यमियों के लिए आगे बढ़ने की राह आसान बना रहा है. ई-कॉमर्स की दुनिया महिलाओं के लिए अवसरों के नए दरवाज़े खोल रही है ताकि वे उन क्षेत्रों में भी अपनी पैठ बना सकें, जो अनदेखे हैं. ई-कॉमर्स ने उन्हें उड़ान भरने के लिए खुला आसमान दिया है. इस महिला उद्यमी दिवस (Women's Entrepreneurship Day) पर हम इन चार महिलाओं से काफी कुछ सीख सकते हैं.
दुपट्टों से बुना करोड़ों का कारोबार: काजल रमेशभाई, को-फाउंडर, मयंत्रा क्रिएशंस
सूरत की उद्यमी काजल रमेशभाई ने नेट एंब्रॉयडरी दुपट्टों का ऑनलाइन कारोबार शुरू ही किया था कि वह फ्लिपकार्ट (Flipkart) पर धूम मचाने लगा. इस अवसर का लाभ उठाने के लिए, काजल ने जो कि सोशल सैक्टर से बिज़नेस की दुनिया में आयी थीं, अपना खुद का ब्रैंड मयंत्रा क्रिएशंस शुरू किया.
आज काजल और उनके पार्टनर्स के तीन वेंचर हैं – राहुल राज टैक्सटाइल्स, मयंत्रा क्रिएशंस (ब्रैंड) और हर्शिव एंटरप्राइज़ेस, इसमें तीसरा वेंचर ऑफलाइन-एक्सक्लुसिव बिज़नेस है जो सिर्फ प्लाज़ो, टॉप्स और कुर्तियों का कारोबार करता है. महामारी के दौरान ग्राहकों तक पहुंच बनाने के लिए ई-कॉमर्स ने पुल का काम किया और उन्हें तेजी से प्रोडक्ट तथा प्राइसिंग में अपस्किलिंग करने के साथ-साथ स्टॉक मैनेजमेंट को भी धारदार बनाने के लिए प्रेरित किया. काजल ने वॉलमार्ट वृद्धि प्रोग्राम से जुड़कर इसे हासिल किया.
काजल का कहना है, "इस प्रोग्राम के जरिए, मैंने यह सीखा कि किस प्रकार प्रोडक्ट्स को अलग-अलग बाजारों में लॉन्च और प्रमोट किया जाता है, क्वालिटी कंट्रोल के मानकों पर कैसे खरा उतरा जाए और कीमतों की चुनौतियों से निपटने के लिए किस रणनीति को अपनाया जाए, आदि. वृद्धि टीम ने मुझे महामारी के दौरान अपना कारोबार ऑनलाइन करने में मदद दी."
वह बताती हैं कि पिछले साल उन्होंने अपने ऑनलाइन तथा ऑफलाइन कारोबार से 5 करोड़ रुपये का रेवेन्यू कमाया.
बदलाव की वाहक: रुचिका अरोड़ा, फाउंडर, चैतन्य लूमटैक्स
रुचिका अरोड़ा के सामने 2018 में एक शानदार अवसर इस रूप में खड़ा था कि वह अपने पारिवारिक कारोबार चैतन्य लूमटैक्स को ऑनलाइन स्थापित करें, और उन्होंने ऐसा करने में एक पल भी नहीं गंवाया. आर्टिफिशियल ग्रास मैट्स, बैडशीट्स और हैंडलूम प्रोडक्ट्स बनाने वाली उनकी कंपनी इससे पहले तक सिर्फ ऑफलाइन कारोबार करती आयी थी. रुचिका ने कमान संभाली और ब्रैंड के लगातार बढ़ रहे ग्राहक आधार तक सुगम पहुंच बनाने के लिए प्रोडक्ट पैकेजिंग और शिपमेंट की जिम्मेदारी संभाली. इस बीच, दो साल में ही, ई-कॉमर्स सिर्फ एक और बिक्री चैनल से आगे बढ़कर 70% सेल्स दर्ज कराने वाला प्लेटफार्म बन चुका था. वॉलमार्ट वृद्धि प्रोग्राम से सक्रिय रूप से जुड़ी होने के चलते, वह फ्लिपकार्ट मार्केटप्लेस के जरिए अधिकाधिक ग्राहकों तक पहुंचने लगीं.
उनका कहना है, "मार्केटिंग, कस्टमर संतुष्टि, कारगर पैकेजिंग और प्रोडक्शन लागत में कमी करने जैसे विषयों पर ट्रेनिंग मॉड्यूल्स काफी उपयोगी साबित हुए. मैंने इनसे सीखा कि किस प्रकार महामारी के दौरान बिज़नेस रणनीतियां महत्वपूर्ण हो सकती हैं."
मैन्सट्रुअल इक्विटी और सस्टेनेबिलिटी का सबक: अरुणा दारा, फाउंडर और सीईओ, अपना ग्रीन प्रोडक्ट्स
एकेडमिक रिसर्च की बदौलत अरुणा को पता चला कि केले के रेशों से (बनाना फाइबर्स) से सैनिट्री नैपकिन्स भी तैयार किए जा सकते हैं. उन्होंने स्कूल और कॉलेज के छात्रों को बाजार में उपलब्ध सैनिट्री नैपकिन्स के इन विकल्पों के बारे में जागरूक बनाने का बीड़ा उठाया. जैसे-जैसे जागरूकता बढी़, उसी अनुपात में मांग भी बढ़ने लगी और उन्होंने 2019 में प्रोडक्शन पर निवेश किया. साथ ही, उन्होंने किसानों से केले के फाइबर्स खरीदकर उन्हें आमदनी का एक और जरिया उपलब्ध कराया. वॉलमार्ट वृद्धि प्रोग्राम की सराहना करते हुए उन्होंने बताया कि उन्हें बिज़नेस को आगे ले जाने ई-कॉमर्स का महत्व समझ में आया और साथ ही यह भी कि वे ब्रैंड की मौजूदगी में विस्तार तथा सप्लाई और लॉजिस्टिक्स के पक्षों पर कैसे पकड़ मजबूत बना सकती हैं.
अरुणा ने बताया कि उन्होंने अपनी कंपनी को फ्लिपकार्ट पर रजिस्टर किया था और डिजिटल मौजूदगी के चलते उनके लिए लॉजिस्टिक्स आसान बना तथा उनकी कंपनी की मौजूदगी भी विभिन्न चैनलों पर बढ़ी. फिलहाल, ई-कॉमर्स से उनके कारोबार में 10% योगदान कर रहा है और उन्हें उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में इसमें बढ़ोतरी होगी. कंपनी के कुछ उल्लेखनीय कार्यों में, 2019 में तेलंगाना सरकार से राज्य के विभिन्न जिलों में ग्रामीण स्तर पर महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए मिले प्रस्ताव को क्रियान्वित करना रहा. कंपनी ने करीब 32 जिलों में काम किया और वनपर्ती, सिद्दीपेट, निर्मल में 3 यूनिटों की स्थापना के अलावा कई बीमार इकाइयों में भी सुधार किया.
कॉफी मगों, टी-शर्ट्स, और हुडीज़ से खड़ा किया लाखों का कारोबार: वृंदा खुराना, फाउंडर, चंदन टैक्सटाइल्स – इंकडइन
दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट से फाइन आर्ट्स में बैचलर्स डिग्री के साथ आगे बढ़ते हुए पानीपत की वृंदा खुराना ने अपने पारिवारिक कारोबार चंदन टैक्सटाइल्स से नाता जोड़ा. इससे जुड़ने पर ही उन्हें अपने ब्रैंड इंक्डइन (Inkeddin) को लॉन्च करने का ख्याल आया. ऑनलाइन प्रमोशन से ब्रैंड को मजबूती मिली.
वृंदा ने बताया, "मेरे 80% ऑर्डर ऑनलाइन मिलते हैं जबकि सोशल मीडिया चैनलों जैसे फेसबुक और इंस्टाग्राम से या सीधे व्हट्सऍप से 20% ऑर्डर आते हैं."
फ्लिपकार्ट पर रिटेलिंग के चलते ब्रैंड को हर दिन औसतन 100 ऑर्डर मिल रहे हैं और कंपनी का सालाना टर्नओवर 20 लाख रुपये तक जा पहुंचा है.
उन्होंने बताया, "मैंने वृद्धि मॉड्यूल्स में दूसरा लैवल भी पूरा कर लिया है. इस प्रोग्राम के दौरान शेयर की गई केस स्टडीज़ से मैंने काफी कुछ सीखा. ऑनलाइन बिज़नेस से संबंधी एक केस स्टडी से मुझे पता चला कि अपनी लिस्टिंग मैनेज कर मैं प्रोडक्ट क्वालिटी में सुधार कर सकती हूं और किस प्रकार उपयोगी कीवर्ड्स का इस्तेमाल कर सेल्स बढ़ाने में मदद मिलती है."
वह कहती हैं, "डिजाइन मेरा जुनून है और मैं बिज़नेस से जुड़ने से पहले भी इसमें रुचि रखती थी. कुछ साल पहले, मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी माताजी के लिए भी एक उपहार बनाया था और मदर्स डे के मौके पर उन्हें भिजवाया. उन्होंने मुझे यह उपहार मिलने पर पत्र लिखकर आभार जताया."
वृंदा इसे अपनी बड़ी उपलब्धि और अपने ब्रैंड को शुरू करने की एक प्रमुख प्रेरणा मानती हैं.
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