World Nature Conservation Day: प्रकृति के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दिखाने का दिन
मानव शरीर पांच तत्वों से बना है- जल, अग्नि, वायु, भूमि, अन्तरिक्ष. पृथ्वी भी इन्ही पांच तत्वों का नाम है. हममें और पृथ्वी में कोई अंतर नहीं है. मतलब, पृथ्वी को नष्ट करना खुद को नष्ट करने के समान है. और, पृथ्वी को कंजर्व करना खुद को कंजर्व करहै. हने के ही समान है. हम हर दिन प्रक्रति की संपत्ति, जैसे पानी, हवा, मिट्टी, खनिज, जानवर पर आश्रित हैं, इसलिए हमें प्रकृति को संरक्षित करना चाहिए. यह हमारे ही हित में है. आज विश्व पर्यावरण संरक्षण दिवस (World Nature Conservation Day) है. प्रक्रति के प्रति हमारी प्रतिबद्ध्ता को याद करने का दिन है. हर साल 28 जुलाई को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है. यह दिन एक स्वस्थ वातावरण की नींव है. इसके साथ ही यह दिन वर्तमान और भावी पीढ़ियों की भलाई को सुनिश्चित करने का भी दिन है.
हम अगर अपनी गतिविधिओं पर नज़र डालें तो ये देखने में बहुत मुश्किल नहीं होगी कि कैसे हमने अपनी कभी न थमने वाली जरूरतों के लिए प्रक्रति का दोहन किया है. तेजी से बढ़ते औद्योगीकरण और लगातार बढ़ती आबादी के लिए जगह बनाने के लिए कंपनियों ने वनों के आवरण को इतना काटा है कि इसका प्रभाव जलवायु परिवर्तन और अन्य पर्यावरणीय बदलावों में दिख रहा है. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Program) के अनुसार हर तीन सेकंड में, दुनिया एक फुटबॉल पिच को कवर करने के लिए पर्याप्त जंगल को खो देती है. नातिजनन पिछली शताब्दी में हमने अपनी आधी आर्द्रभूमि को नष्ट कर दिया है. जैव-विविधता में कमी (loss of biodiversity) और जलवायु परिवर्तन (climate change) प्रक्रति के प्रति हमारी असंवेदनशीलता का ही परिणाम है. बताने की ज़रूरत नहीं है वनों की कटाई, अवैध वन्यजीव व्यापार, प्रदूषण, प्लास्टिक, रसायन आदि का उपयोग भी प्रक्रति को खतरे में डालने के समान है.
जैसे की हम सब जानते हैं 1 जुलाई 2022 से भारत सरकार ने सिंगल यूज प्लास्टिक (single use plastic) पर रोक लगा दी है. क्योंकि प्लास्टिक न केवल हमारे देश के पर्यावरण को खराब कर रही है बल्कि विश्व स्तर पर भी हमारी प्रकृति को नुकसान पहुंचा रही है. इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जा रहा है. ऐसे में सरकार ने इस साल के प्रक्रति संरक्षण दिवस की थी ‘कट डाउन ऑन प्लास्टिक यूज’ (cut down on plastic use) रखी है.
प्रकृति का संरक्षण बहुत आवश्यक है. यहां तक कि वैज्ञानिकों ने भी हमें निकट भविष्य में बड़े पैमाने पर विभ्भिन प्रजातियों के विलुप्ति को लेकर चेतावनी दी है. पर्यावरण के बारे में कई शोधों से पता चला है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण दिन-प्रतिदिन धरती के तापमान में वृद्धि हो रही है. तूफान और समुद्र का स्तर भी बढ़ रहा है और मीठे पानी के ग्लेशियर पिघल रहे हैं. पर्यावरण प्रदूषण के कारण पिछले तीन दशकों से जिस प्रकार मौसम चक्र तीव्र गति से बदल रहा है और प्राकृतिक आपदाओं का आकस्मिक सिलसिला तेज हुआ है, उसके बावजूद अगर हम नहीं संभलना चाहते तो प्रकृति को भी दोष नहीं दे सकते. प्रकृति बार-बार मौसम चक्र में बदलाव के संकेत, चेतावनी तथा संभलने का अवसर देती रही है लेकिन हम आदतन किसी बड़े खतरे के सामने आने तक ऐसे संकेतों या चेतावनियों को नजरअंदाज करते रहे हैं, जिसका नतीजा अक्सर भारी तबाही के रूप में सामने आता रहा है.
बेहतर होगा कि हम प्रतिदिन बिगड़ते पर्यावरण को लेकर सजग रहे. पर्यावरण को बचाने की जरूरत सिर्फ अभी की पीढ़ी के लिए ही नहीं, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए भी है.पिछले कुछ वर्षों में पर्यावरण संरक्षण के बारे में जितना जागरूकता बढ़ी है. उससे कहीं ज्यादा अभी हमें जागरूकता बढ़ाने के आवश्यकता है. हाल के दिनों में पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकता और अधिक स्पष्ट हो गई है.