कई बार फेल हुआ Zomato, शराब डिलीवरी भी की, अब 1-1 रुपये में 4.66 करोड़ शेयर बांटकर हिला दिया मार्केट
जोमैटो ने दो बार ग्रॉसरी डिलीवरी और एक बार शराब डिलीवरी शुरू की, लेकिन बंद करनी पड़ी. जानिए कैसे दीपिंदर गोयल ने जोमैटो को बना दिया इतना बड़ा ब्रांड.
ऑनलाइन फूड डिलीवर करने वाली कंपनी
कभी हर दिन नई बुलंदियां छूने के लिए चर्चा में रहा करता था, लेकिन आजकल वह अपने शेयरों में गिरावट (Zomato Share Price) को लेकर चर्चा में है. वहीं कई दिग्गज भी इस पर टिप्पणी कर रहे हैं, जिससे चर्चा और गहरी होती जा रही है. हाल ही में भारतपे के को-फाउंडर अश्नीर ग्रोवर (Ashneer Grover) ने कहा था कि अगर जोमैटो ने ब्लिंकइट के बजाय स्विगी से मर्जर किया होता तो शेयर 450 रुपये का होता. वहीं जीरोधा के फाउंडर और सीईओ नितिन कामत (Nithin Kamat) ने कहा है कि जोमैटो का स्टॉक इन दिनों यस बैंक और रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों जैसा बर्ताव कर रहा है. जैसे-जैसे शेयर के भाव गिर रहे हैं, वैसे-वैसे इसमें निवेश तेजी से बढ़ रहा है. हालांकि, गिरावट के दौर में जोमैटो ने अपने कर्मचारियों को करीब 4.66 करोड़ शेयर सिर्फ 1-1 रुपये में बांटे हैं, जिसके चलते अब एक बार इसका शेयर तेजी दिखाने लगा है. जोमैटो भले ही आज शेयरों में उतार-चढ़ाव की वजह से बहस का मुद्दा बन गया है, लेकिन इस ब्रांड के शुरू होने की कहानी (Zomato Brand Story) बेहद दिलचस्प है और प्रेरणा देने वाली है.मेन्यू के लिए करना पड़ा इंतजार तो शुरू कर दिया अपना बिजनेस
ये कहानी शुरू होती है करीब 14 साल पहले. अपने दोस्त पंकज चड्ढा के साथ मिलकर जोमैटो को शुरू करने वाले दीपिंदर गोयल एक रेस्टोरेंट में गए थे. वहां पर उन्हें खाने के मेन्यू का इंतजार करना पड़ा. उन्हें यह समझ आया कि हर किसी को खाना मंगाने के लिए या तो अपने दोस्तों से मेन्यू के बारे में पूछना पड़ता है या फिर रेस्टोरेंट फोन करना होता है. यहीं से रखी गई जोमैटो की नींव. दीपिंदर गोयल और पंकज चड्ढा दोनों ही आईआईटी दिल्ली से पढ़े हुए हैं और वहीं से एक दूसरे को जानते हैं. दोनों ने ही हर आईआईटी ग्रेजुएट की तरह कॉरपोरेट वर्ल्ड का रुख किया और बेन कंसल्टिंग नाम की कंपनी में एग्जिक्युटिव बन गए. दोनों ने मिलकर पहले फूडीबे नाम से एक स्टार्टअप शुरू किया, जिसके तहत वह रेस्टोरेंट के मेन्यू बताते थे और उसका रिव्यू किया करते थे. बाद में 2010 में उन्होंने कंपनी का नाम बदलकर जोमैटो कर दिया. 2018 में पंकज चड्ढा कंपनी से अलग हो गए.
कई बार हुए फेल, लेकिन हार नहीं मानी
जोमैटो दीपिंदर गोयल का पहला वेंचर नहीं है. इससे पहले उन्होंने foodlet.com नाम का ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म शुरू किया था. इसके तहत वह रेस्टोरेंट के साथ टाईअप करते थे और उनके प्रमोशन वेबसाइट पर डालते थे. अपनी टीम के साथ मिलकर उन्होंने करीब 9 महीनों तक इस पर काम किया, लेकिन बेहतर नतीजे ना मिलने के चलते उन्हें इसे बंद करना पड़ा. इसके बाद 2008 में उन्होंने जोमैटो की शुरुआत की. गुड़गांव की इस कंपनी के पास अभी करीब 5.5 करोड़ यूजर्स हैं, जिन्हें इस प्लेटफॉर्म की मदद से रेस्टोरेंट से जुड़ने का मौका मिलता है. कंपनी का बिजनेस अभी 24 देशों में फैला हुआ है. अभी जोमैटो के पास Info Edge, Tiger Global, Kora Capital, Sequoia Capital India, Temasek और Ant Group जैसे निवेशक हैं.
कई बार किया ग्रॉसरी बिजनेस, शराब डिलीवरी में भी आजमाया हाथ
इन दिनों जोमैटो के शेयर गिरने की चर्चा में गिरावट की एक बड़ी वजह मानी जा रही है कंपनी की तरफ से ग्रॉसरी डिलीवरी करने वाले स्टार्टअप ग्रोफर्स का अधिग्रहण करना. अधिग्रहण के बाद कंपनी का नाम बदलकर ब्लिंकइट कर दिया गया है. हालांकि, ब्लिंकइट के अधिग्रहण से पहले से भी उन्होंने दो बार ग्रॉसरी डिलीवरी बिजनेस में हाथ आजमाया. पहले 2020 में कंपनी जोमैटो मार्केट के नाम से बाजार में उतरी, लेकिन 3 ही महीने बाद उसे बंद कर दिया. फिर जुलाई 2021 में कंपनी ने एक बार फिर ग्रॉसरी बिजनेस शुरू किया, लेकिन सितंबर 2021 में फिर से बंद कर दिया. इतना ही नहीं, मई 2020 में तो जोमैटो ने शराब की डिलीवरी भी शुरू की थी. यह पायलट प्रोजेक्ट जैसा था, जिसे सिर्फ ओडिशा, पश्चिम बंगाल और झारखंड में शुरू किया गया था. हालांकि, उसे भी अप्रैल 2021 में बंद करना पड़ा.
ब्लिंकइट पर चला दांव फायदे का या नहीं?
इसी साल जून के महीने में जोमैटो ने इस बात का खुलासा किया कि वह ऑनलाइन ग्रॉसरी डिलीवरी प्लेटफॉर्म ग्रोफर्स को खरीदने जा रही है. 4447 करोड़ रुपये में ये डील फाइनल हुई और कंपनी का नाम बदलकर ब्लिंकइट कर दिया गया. नाम बदलने की एक बड़ी वजह यह भी है कि कंपनी ने ब्लिंकइट की शुरुआत 10 मिनट में ग्रॉसरी डिलीवरी करने वाले प्लेटफॉर्म की तरह की थी. वैसे देखा जाए तो ब्लिंकइट कंपनी खुद ही घाटे में है. ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि इस बार उनका दांव फायदे वाला साबित होता है या फिर इसे भी बंद करना पड़ेगा.
घाटे पर घाटा, प्रमोशन पर खूब खर्चा...
हाल ही में आए कंपनी के नतीजों से पता चलता है कि जोमैटो अभी भी घाटे में है. कंपनी का घाटा इस साल की पहली तिमाही में करीब 360 करोड़ रुपये रहा है. इसकी वजह ये है कि कमाई की तुलना में कंपनी के खर्चे दोगुने हो गए हैं. कंपनी ने सिर्फ 2021 में ही विज्ञापन-सेल्स प्रमोशन पर करीब 527 करोड़ रुपये खर्च किए, जो कंपनी की कुल आमदनी का एक चौथाई था. वहीं 2019 में तो कंपनी ने कमाई का करीब 88 फीसदी पैसा विज्ञापन पर खर्च किया था.
आखिर पैसे कैसे कमाती है जोमैटो?
जोमैटो की कमाई के कई तरीके हैं. सबसे अहम है फूड डिलीवरी, जिससे कंपनी की सबसे ज्यादा कमाई होती है. इसके अलावा कंपनी अपने ऐप पर रेस्टोरेंट के विज्ञापन आदि दिखाकर भी पैसा कमाती है. कई रेस्टोरेंट को जोमैटो की तरफ से किचन से जुड़े प्रोडक्ट भी बेचे जाते हैं, जिससे कंपनी कमाई करती है. इतना ही नहीं, अपने सब्सक्रिप्शन प्लान जोमैटो प्रो प्लस से भी कंपनी कमाई करती है.
लिस्टिंग के दिन ही 18 निवेशकों को बनाया करोड़पति
जोमैटो का आईपीओ एक-दो या तीन नहीं बल्कि 40 गुना से भी अधिक सब्सक्राइब हुआ था. इसका मतलब है कि हर एक शेयर के लिए 40 से भी ज्यादा दावेदार. पिछले साल 14 जुलाई को यह आईपीओ खुला था और 27 जुलाई को लिस्ट हुआ था. लिस्टिंग के दिन ही शेयर में निवेश करने वाले 18 लोग करोड़पति बन गए थे. शेयर का इश्यू प्राइस 76 रुपये था, लेकिन शेयर करीब 115 रुपये पर लिस्ट हुआ. अब यह शेयर इश्यू प्राइस से भी नीचे गिर चुका है. 28 जुलाई का बंद भाव 45.70 रुपये रहा. एक वक्त ऐसा भी था जब जोमैटो के शेयरों का भाव 169 रुपये को भी पार कर गया. इस तरह जोमैटो एक वक्त में 1.33 लाख करोड़ रुपये के मार्केट कैप वाली कंपनी बन गई थी. हालांकि, आज की तारीख में इस कंपनी की मार्केट कैप सिर्फ 37 हजार करोड़ रुपये बची है. यानी निवेशकों को 96 हजार करोड़ रुपये का तगड़ा नुकसान हुआ है. इस शेयर की कीमत अपने ऑल टाइम हाई से करीब 70 फीसदी तक गिर चुकी है. हालांकि, कंपनी की तरफ से 1-1 रुपये में कर्मचारियों को 4.66 करोड़ शेयर दिए जाने की घोषणा के बाद जोमैटो के शेयरों में तेजी देखी गई है.