इस दिवाली डीपीएस स्कूल के बच्चे 25 लाख इकट्ठा कर गरीबों की जिंदगी में लाएंगे रोशनी
स्टूडेंट्स की मेहनत रंग लाई है। इस नेक काम के लिए पैसे तो जुट ही गए हैं, उधर अस्पताल भी न्यूनतम दर पर सभी जरूरतमंद बुजुर्गों की आंखों की सर्जरी के लिए तैयार है।
स्टूडेंट गौरी ने अपने स्कूल के अलावा कई एनजीओ की भी इसमें मदद की और परिवार वालों के साथ ही सोशल मीडिया का भी सहारा लिया। उसने इस तरह से लगभग 1.5 लाख रुपये इकट्ठे किए।
इस प्रोजेक्ट की शुरुआत ग्लोबल आई फाउंडेशन और रोटरी क्लब, इंदिरा नगर के सौजन्य से हुई। ये संस्थान सिर्फ 1,000 रुपये में आंख की सर्जरी करवाते हैं।
इस बार दिवाली पर बेंगलुरु के डीपीएस स्कूल के बच्चों ने आंख की समस्या से पीड़ित लगभग 2,500 ग्रामीण मरीजों के ऑपरेशन के लिए 25 लाख रुपये जुटाए हैं। बेंगलुरु के 122 बच्चों ने 20-20 हजार रुपये दान किए। क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म फ्यूलड्रीम के जरिए पैसे जुटाने का लक्ष्य रखा गया था। ग्रामीण इलाकों में लोगों में मोतियाबिंद की काफी समस्या पाई जाती है। इस बीमारी में लोगों को साफ नहीं दिखाई देता। उनकी रोशनी धुंधली हो जाती है। डीपीएस ईस्ट के 11वीं के स्टूडेंट गौरी हरीश ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए बताया, 'मेरी दादी को हाल ही में मोतियाबिंद की समस्या हुई थी। इससे उन्हें दिखना बंद हो गया था। बाद में उनका ऑपरेशन हुआ। इससे मुझे गरीब लोगों की आंख के ऑपरेशन के लिए पैसे इकट्ठे करने की प्रेरणा मिली। '
डीपीएस स्कूल के 9वीं से 12वीं बच्चों ने पैसा इकट्ठा करने में मदद की। इसके लिए उन्होंने डोर टू डोर कैंपेनिंग के साथ ही ऑनलाइन पोर्टल का भी सहारा लिया। डीपीएस (ई-सिटी) की प्रिंसिपल अनुपमा रामचंद्रन ने बताया, 'हर स्टूडेंट ने अपने स्तर पर इसके लिए अभियान चलाया। सभी ने अपना एक लक्ष्य तय किया और ऑनलाइन पोर्टल के जरिए लोगों तक संदेश पहुंचाकर उनसे मदद मांगी। इसमें उन्होंने लिखा, हम गांव में रह रहे मोतियाबिंद के शिकार जरूरतमंद बुजुर्ग लोगों की आंखों की रोशनी दोबारा लौटाना चाहते हैं। हमें आपकी मदद की जरूरत है।'
स्टूडेंट गौरी ने अपने स्कूल के अलावा कई एनजीओ की भी इसमें मदद की और परिवार वालों के साथ ही सोशल मीडिया का भी सहारा लिया। उसने इस तरह से लगभग 1.5 लाख रुपये इकट्ठे किए। अनुपमा ने कहा, हम किताबों के जरिए तो रोजाना स्टूडेंट्स को दूसरों की मदद करने का ज्ञान देते हैं। लेकिन इस बार हम एक कदम आगे बढ़े हैं और बच्चों को किताबों से निकालर सीधे लोगों के बीच पहुंचाया है ताकि हम उन्हें वास्तविक जीवन में रोल मॉडल बना सकें।' अनुपमा ने बताया कि स्टूडेंट्स की मेहनत रंग लाई है। इस नेक काम के लिए पैसे तो जुट ही गए हैं, उधर अस्पताल भी न्यूनतम दर पर सभी जरूरतमंद बुजुर्गों की आंखों की सर्जरी के लिए तैयार है।
डीपीएस (पूर्व) के एक और छात्र प्रणय पारेख ने गणेश चतुर्थी जैसे त्योहार पर लोगों के बीच जाकर पैसे इकट्ठे किए। उन्होंने कहा, 'मैं समाज सेवा करने के लिए किसी संगठन के जरिए इंटर्नशिप करने के लिए सोच रहा था, इस प्रोजेक्ट के तहत काम करके मुझे वो अवसर भी मिल गया। मुझे काफी गर्व हो रहा है कि इस पहल से कई लोगों की जिंदगी में रोशनी आ जाएगी।' प्रणय ने लगभग 1 लाख रुपये इकट्ठा किए। स्कूल की प्रिंसिपल मनीला सी. ने बताया कि इस नेक पहल के लिए हमारे संस्थान के स्टूडेंट्स ने ऑनलाइन पोर्टल के अलावा फूड स्टॉल लगाकर, ग्रीटिंग कार्ड्स और पोस्ट कार्ड्स की बिक्री करके भी पैसे जुटाए। इसके अलावा स्टूडेंट्स ने नुक्कड़ नाटक के जरिए भी फंड जुटाए।
उन्होंने आगे कहा, 'एक बेहतर इंसान बनने के लिए संवेदनशील होना जरूरी है। स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ जरूरी है कि स्टूडेंट्स को इसके लिए भी प्रोत्साहित किया जाए। इससे वे समाज के लोगों की जरूरतों को समझेंगे। वे महसूस कर पाएंगे कि समाज के लोग किन दिक्कतों से गुजर रहे हैं और फिर उसके समाधान में अपना योगदान दे पाएंगे।' मनीला ने कहा कि उन्हें एक प्रिंसिपल होने के नाते इस बात की खुशी है कि उनके कैंपस के स्टूडेंट्स इस तरह के सामाजिक कार्यों में रूचि रखते हैं और बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। इस प्रोजेक्ट की शुरुआत ग्लोबल आई फाउंडेशन और रोटरी क्लब, इंदिरा नगर के सौजन्य से हुई। ये संस्थान सिर्फ 1,000 रुपये में आंख की सर्जरी करवाते हैं।
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