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मशरूम गर्ल दिव्या का नया कारनामा

देहरादून की मशरूम गर्ल दिव्या रावत ने विकसित की अद्भुत औषधीय जड़ी

मशरूम गर्ल दिव्या का नया कारनामा

Tuesday July 25, 2017 , 3 min Read

उत्तराखंड की दिव्या रावत ने एक बेहद ही मूल्यवान जड़ी को प्रयोगशाला में विकसित करने में सफलता पाई है। प्रयोगशाला में इस प्रजाति को विकसित करने वाली दिव्या पहली भारतीय हैं। देहरादून की दिव्या रावत को लोग मशरूम गर्ल के नाम से भी जानते हैं...

महिलाओं के बीचा मशरूम गर्ल दिव्या रावत

महिलाओं के बीचा मशरूम गर्ल दिव्या रावत


दिव्या रावत ने जिस जड़ी को प्रयोगशाला में विकसित किया है, उस जड़ी को कीड़ाजड़ी के नाम से जाना जाता है। इसका औषधीय इस्तेमाल होता है, जो कि बाज़ार में काफी महंगे दामों पर मिलती है।

कीड़ाजड़ी की जिस प्रजाति को दिव्या रावत ने विकसित किया है, उसका नाम Cordycep Millitaris है, जिसका औषधीय इस्तेमाल भी होता है।

उत्तराखंड की दिव्या रावत ने कीड़ाजड़ी नाम की बेहद मूल्यवान जड़ी को प्रयोगशाला में विकसित करने में सफलता पाई है। इस प्रजाति का नाम Cordycep Millitaris है, जिसका औषधीय इस्तेमाल भी होता है। प्रयोगशाला में इस प्रजाति को विकसित करने वाली दिव्या पहली भारतीय हैं। यह जड़ी चीनी खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन में बड़ी भूमिका निभाती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 5 लाख रुपए प्रति किलोग्राम है और अवैध रूप से तो यह 16 लाख रुपए प्रति किलोग्राम के तक भाव से बिकती है। बीबीसी ने भी दावा किया था कि चीन के खिलाड़ियों की अद्भुत शारीरिक क्षमता में इस औषधि का योगदान है।

एमिटी यूनिवर्सिटी में सोशल वर्क की छात्रा रहीं दिव्या मशरूम गर्ल के नाम से मशहूर हैं। उन्होंने मशरूम उगाने के साथ-साथ पहाड़ की कई महिलाओं को रोजगार भी मुहैया कराया है। इसी साल महिला दिवस पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी दिव्या को उनके अद्भुत योगदान के लिए सम्मानित किया था। उत्तराखंड सरकार ने तो दिव्या को ‘मशरूम की ब्रांड एम्बेसडर’ घोषित कर दिया है।

प्रयोगशाला में कीड़ाजड़ी विकसित करने के लिए दिव्या ने थाईलैंड में वैज्ञानिकों से कल्टीवेशन की प्रक्रिया समझी और इसके बाद अपनी प्रयोगशाला में इसे विकसित करने में सफलता पाई।

हिमालय में पाई जाने वाली कीड़ाजड़ी कैटरपिलर्स पर उगती है और इसे खोज पाना बहुत कठिन होता है। चीन के खेल वैज्ञानिक इस पर काफी शोध करते रहे हैं। भारत में इसकी जानकारी सबसे पहले 1998 में दो नेपाली व्यापारियों से हुई थी। तस्करी की तलाशी में इन व्यापारियों से इसकी बरामद हुई थी।

कीड़ाजड़ी एक फफूँद है जिसमें प्रोटीन, पेपटाइड्स, अमीनो एसिड, विटामिन बी-1, बी-2 और बी-12 जैसे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं और खिलाड़ियों को ये तुरंत ताकत देने में सक्षम होते हैं। सबसे खास बात ये है कि डोपिंग टेस्ट में ये नहीं पकड़ी जा सकती। चीनी–तिब्बती चिकित्सा पद्धति में इसे फेफड़ों और किडनी के इलाज में रामबाण औषधि माना जाता है।

-महेंद्र नारायण सिंह यादव

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