Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

मिलिए सैकड़ों लापता बच्चों को उनके परिवार से मिलवाने वाली RPF सब इंस्पेक्टर रेखा मिश्रा से

953 बच्चों को उनके माता-पिता से मिलवाने और मदद करने वाली सब इंस्पेक्टर रेखा...

मिलिए सैकड़ों लापता बच्चों को उनके परिवार से मिलवाने वाली RPF सब इंस्पेक्टर रेखा मिश्रा से

Sunday June 17, 2018 , 3 min Read

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद की रहने वाली रेखा बीते 4 सालों से मुंबई के सीएसटी स्टेशन पर रेलवे सुरक्षा बल में सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं।। उन्होंने 2016 में 434 बच्चों को उनके माता-पिता से मिलवाया था।

तस्वीर साभार- एएनआई

तस्वीर साभार- एएनआई


रेखा बताती है कि उन्होंने अब तक 953 बच्चों की मदद की है। लेकिन सुर्खियों में वह तब आईं जब उन्होंने चेन्नई से अपने घरों से भागकर आई 3 लड़कियों को सही सलामत उनके परिवार तक पहुंचा।

ऐसा कई बार होता है कि किशोर बच्चे अपने माता-पिता से गुस्सा होकर घर से भाग जाते हैं। कई बार काम की तलाश में तो कभी ऐसे ही। उन्हें नहीं पता होता कि उन्हें जाना कहां है और इस दुविधा में सफर करते हुए वे कई बार लापता भी हो जाते हैं। इसके बाद माता-पिता के सामने सबसे बड़ी मुसीबत होती है उन्हें खोजना। ऐसे मामलों में देखा गया है कि 10-16 साल के बच्चों में घर से भागने की प्रवृत्ति सबसे अधिक होती है। लेकिन पुलिस के संघर्षों की बदौलत कई बार ये बच्चे वापस मिल भी जाते हैं। ऐसी ही एक रेलवे पुलिस अफसर हैं रेखा मिश्रा, जिन्होंने अब तक 900 से अधिक बच्चों को उनके मां-बाप से वापस मिलवाया है।

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद की रहने वाली रेखा बीते 4 सालों से मुंबई के सीएसटी स्टेशन पर रेलवे सुरक्षा बल में सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं।। उन्होंने 2016 में 434 बच्चों को उनके माता-पिता से मिलवाया था। इन बच्चों में 45 लड़कियां और 389 लड़के थे। 2017 में रेखा ने 500 से अधिक बच्चों को उनके घर पहुंचाने में मदद की। रेखा बताती हैं, 'अधिकतर बच्चे ऐसे घर से होते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती। ये काम की तलाश में घर से बाहर निकलते हैं और इधर-उधर भटकते रहते हैं। कई बार तो ये बच्चे ग्रुप में भी घर से भाग निकलते हैं।'

रेखा मिश्रा को जब सीएसटीएम रेलवे स्टेशन पर तैनात किया गया था तो उन्हें स्त्री सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन बाद में उन्हें बाल संरक्षण की भी जिम्मेदारी दे दी गई। रेखा ने कहा, 'मुझे काफी प्रसन्नता होती है कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए हम रोज जो करते हैं उसे सराहना मिलती है।' हाल ही में महाराष्ट्र की सरकार ने रेखा मिश्रा के बारे में बच्चों को स्कूल में पढ़ाने की योजना बनाई है। अब बच्चों की किताब में रेखा मिश्रा के काम के बारे में बताया जाएगा। रेखा कहती हैं, 'इससे बच्चों को यह भी पता चलेगा कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं।'

रेखा बताती है कि उन्होंने अब तक 953 बच्चों की मदद की है। लेकिन सुर्खियों में वह तब आईं जब उन्होंने चेन्नई से अपने घरों से भागकर आई 3 लड़कियों को सही सलामत उनके परिवार तक पहुंचाया, ये तीनों लड़कियां मुंबई की चमक-धमक और ग्लैमर से प्रभावित होकर मुंबई आईं थीं।' केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल भी रेखा के काम से बेहद प्रभावित हैं। उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि आरपीएफ इंस्पेक्टर रेखा मिश्रा की भावना और दृढ़ संकल्प को सलाम करता हूं, जिन्होंने अपने परिवारों से अलग हुए 900 से अधिक गायब बच्चों को दोबारा उनके परिवार तक पहुंचाया। रेखा बताती हैं कि वह अपने परिवार में इकलौती पुलिस अधिकारी हैं।

यह भी पढ़ें: गांव के बच्चों को पढ़ाने के लिए हर हफ्ते गुड़गांव से उत्तराखंड का सफर करते हैं आशीष