दिव्यांग जनों को बेहतर जीवन जीने में मदद कर रहे हैं ये 5 ऐप
"पहुंच और समर्थन की कमी के कारण दिव्यांगों के लिए अपने दम पर दुनिया में अपना रास्ता बनाना मुश्किल हो जाता है। हालाँकि, टेक्नोलॉजी ने इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और यह अधिक समावेशी विकास की ओर अग्रसर है। योरस्टोरी ने ऐसे ही ऐप्स की एक लिस्ट तैयार की है जो विकलांगों के लिए उनकी रोज की जिंदगी में मदद और मार्गदर्शन कर सकते हैं।"
2011 की जनगणना के मुताबिक भारत में 2.68 करोड़ दिव्यांग जन हैं। यह (भारत की) आबादी का लगभग 2.23 फीसदी है। विकलांगता कई प्रकार की हो सकती है जैसे दृष्टि विकलांगता, बोलने की विकलांगता, श्रवण विकलांगता या अन्य शारीरिक विकलांगता आदि। इनमें से प्रत्येक की अपनी अलग-अलग चुनौतियां होती हैं। पहुंच और समर्थन की कमी के कारण दिव्यांगों के लिए अपने दम पर दुनिया में अपना रास्ता बनाना मुश्किल हो जाता है। हालाँकि, टेक्नोलॉजी ने इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, और यह अधिक समावेशी विकास की ओर अग्रसर है। योरस्टोरी ने ऐसे ही ऐप्स की एक लिस्ट तैयार की है जो विकलांगों के लिए उनकी रोज की जिंदगी में मदद और मार्गदर्शन कर सकते हैं।
आवाज (Avaz)
आवाज ऐप बोलने की विकलांगता वाले बच्चों और वयस्कों के लिए एक चित्र-आधारित सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है। इस ऐप को द स्पेस्टिक्स सोसाइटी ऑफ इंडिया के रूप में पहचाने जाने वाले 'विद्या सागर' और 25 अन्य स्कूलों के सहयोग से चेन्नई स्थित इनवेंशन लैब्स द्वारा विकसित किया गया। इसमें एक इन-बिल्ट वोकैबलरी है जो भारतीय भाषाओं के हिसाब से तैयार की गई है। यह सात भाषाओं में उपलब्ध है, जिनमें तमिल, हिंदी, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, मराठी और अंग्रेजी शामिल हैं। यह एप्लिकेशन पिक्चर्स को शब्दों से रिप्लेस करता है, जिससे ऑटिस्टिक चिल्ड्रन्स के लिए अपने परिवार के सदस्यों और देखभाल करने वालों के साथ संवाद करना आसान हो जाता है। आवाज ने शुरुआत केवल टैबलेट पर की थी, लेकिन जैसे-जैसे अधिक टैबलेट बाजार में आए, वैसे ही इनवेंशन लैब्स के सीईओ अजीत नारायण ने 2010 में एक एंड्रॉइड ऐप लॉन्च किया। 2012 में एक इसका iPad वर्जन भी उपलब्ध कराया गया था।
इसका एक ग्लोबल कस्टमर बेस है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा पब्लिक स्कूल सिस्टम 'लॉस एंजिल्स यूनिफाइड स्कूल डिस्ट्रिक्ट' और ऑटिज्म-डेनमार्क शामिल है। ऑटिज्म-डेनमार्क एक एसोसिएशन है जो ऑटिज्म से पीड़ित लोगों के अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहा है। ऐप को यूनिसेफ ने भी काफी सराहा है। यूनिसेफ ने कहा है: "आवाज उन बच्चों के लिए बनाया गया एक मजबूत ऑगमेंटेटिव और अल्टरनेटिव कम्युनिकेशन (एएसी) ऐप है जो नॉन-वर्बल हैं या जिन्हें बोलने में कठिनाई होती है।"
लेट मी हियर अगेन
जैसा कि नाम से पता चलता है, लेट मी हियर अगेन एक ऐसा ऐप है जो सुनने में परेशानी वाले लोगों की सहायता करता है। एक 29 वर्षीय डॉक्टर शेरोन बैसिल द्वारा स्थापित यह ऐप बाजार में महंगे टूल्स के लिए एक विकल्प प्रदान करता है जैसे कि वीडियोफोन्स और वाइब्रेटिंग अलार्म। लेट मी अगेन में वर्चुअल नोट्स जैसी विशेषताएं हैं, जो यूजर्स को स्पीच और लंबी बातचीत को शब्दों के रूप में कैप्चर करने की अनुमति देता है। इसका जगाने वाला अलार्म व्यक्ति के सुनने के स्तर से ऊपर की आवाज को कंपन से जोड़ता है; और गार्जियन एंजेल, जो लोगों पर नजर रखता है और खतरे में होने पर उन्हें सचेत करता है। ऐप को MIT ऐप इनवेंटर द्वारा 'ऐप ऑफ द मंथ' से सम्मानित किया गया है।
दिव्यांग सारथी
दिव्यांग सारथी 'दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग' (दिव्यांगजन) से संबंधित सभी जानकारी के लिए वन डेस्टीनेशन ऐप है। यह विभिन्न भारतीय कानूनों, स्थानीय नियमों और कानूनों, दिशानिर्देशों, सरकारी योजनाओं और विकलांग लोगों के लिए रोजगार के अवसरों पर विवरण प्रदान करता है। ऐप में एक टेक्स्ट-टू-वॉयस कन्वर्जन सॉफ्टवेयर भी है जो लिखित जानकारी को एक ऑडियो फाइल में कन्वर्ट करता है।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 दिसंबर 2016 को अपने रेडियो संबोधन 'मन की बात' में कहा था कि शारीरिक रूप से अशक्त लोगों के पास एक 'दिव्य क्षमता' है और उनके लिए 'विकलांग' शब्द की जगह 'दिव्यांग' शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने विकलांग व्यक्तियों के सशक्तीकरण विभाग का नाम बदलकर हिंदी में 'दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग' भी रखा।
हियर टू रीड (Hear2Read)
सुरेश बजाज 67 साल के थे, जब उन्होंने 2013 में खुद से हियर 2 रीड शुरू किया था। सुरेश खुद नेत्रहीन थे लेकिन अमेरिका में इलाज कराने के बाद वह अपनी आंखें वापस पाने में सफल रहे। हालांकि, जब वह भारत लौटे तो उन्होंने नेत्रहीन लोगों की मदद करने का फैसला किया। सुरेश ने फिर कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी (CMU) के साथ मिलकर एक ऐप डेवलप किया।
यह ऐप गूगल के एंड्रॉइड टॉकबैक एक्सेसिबिलिटी फीचर का इस्तेमाल करता है, और वर्ड डॉक्यूमेंट, टेक्स्ट या HTML फाइल, एसएमएस टेक्स्ट, फेसबुक पोस्ट, व्हाट्सएप मैसेज और ई-बुक्स पढ़ सकता है। एक बार डाउनलोड करने के बाद, इन फंक्शन्स को इंटरनेट के बिना भी एक्सेस किया जा सकता है। विभिन्न भाषाओं में ऐप के छह वर्जन हैं: कन्नड़, मराठी, पंजाबी, गुजराती, मलयालम और तेलुगु।
ऑगमेंटली (Augmenta11y)
एक थीसिस प्रोजेक्ट के पार्ट के रूप में शुरू हुआ यह ऐप अब फोन कैमरे का उपयोग करके डिस्लेक्सिया से पीड़ित लोगों की मदद कर रहा है। मुम्बई के मुकेश पटेल स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट एंड इंजीनियरिंग के चार छात्रों द्वारा विकसित किया गया ऐप, डिस्लेक्सिया फ्रैंडली फॉर्मट में टेक्स्ट को दिखाने के लिए कस्टमाइजेबल फीचर्स के साथ ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) का उपयोग करता है।
ऐप डेवलपमेंट के बीटा स्टेज के दौरान भारत, माल्टा, नीदरलैंड, कनाडा, यूएस, आयरलैंड, यूके और नाइजीरिया के यूजर्स द्वारा ऐप की टेस्टिंग की गई थी। Augmenta11y में रीडिंग को आसान बनाने के लिए मेजर ऑब्जेक्ट्स, टेक्स्ट स्टेबलाइजेशन और डायनमिंक रिसाइजिंग का पता लगाने के लिए कई स्पेशलाइज्ड एल्गोरिदम भी हैं।