विजय शेखर बने देश के पहले सबसे युवा अरबपति
विपरीत परिस्थितियों के चलते जिसे छोड़नी पड़ी थी कभी कॉलेज की पढ़ाई, वो आज है देश का पहला सबसे युवा अरबपति...
हालात ने जिस शख्स को कभी कॉलेज की पढ़ाई छोड़ने तक के लिए विवश किया, जो कार छोड़कर पैदल, बस, ऑटो से सफर करने लगे, संघर्षों से हार न मानते हुए वो आज हैं देश के पहले सबसे युवा अरबपति...
एक ईमानदार शिक्षक पिता और गृहिणी मां के सुपुत्र ये वही विजय शेखर हैं, जिन्हें इस मोकाम तक पहुंचने के लिए कदम-कदम पर पापड़ें बेलनी पड़ीं। हजार चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती, सो उन्होंने भी अपने नाम 'विजय' को अपने कठिन संघर्षों से सार्थक कर दिया है।
दुनिया के अरबपतियों की लिस्ट जारी करते हुए लोकप्रिय मैग्जीन 'फोर्ब्स' ने घोषणा की है कि पेटीएम के फाउंडर विजय शेखर शर्मा अपनी कुल 11 हजार करोड़ की पूंजी के साथ भारत के सबसे युवा अरबपति हो गए हैं। एक ईमानदार शिक्षक पिता और गृहिणी मां के सुपुत्र ये वही विजय शेखर हैं, जिन्हें इस मोकाम तक पहुंचने के लिए कदम-कदम पर पापड़ें बेलनी पड़ीं। हजार चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती, सो उन्होंने भी अपने 'विजय' नाम को अपने कठिन संघर्ष से सार्थक कर दिया।
अपने गृह जनपद अलीगढ़ (उ.प्र.) के एक छोटे से कस्बे विजयगढ़ में शुरुआती पढ़ाई-लिखाई के बाद जब विजय शेखर ने जिले से बाहर दिल्ली में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए एडमिशन लिया, तो इंग्लिश कमजोर होने के कारण तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। डर के मारे वह क्लास बंक कर जाते। फिर सोचने लगे कि क्यों न पढ़ाई छोड़कर अपने घर विजयगढ़ लौट जाऊं लेकिन उन्हें तो अपना नाम सार्थक करना था। उन्होंने मन में ठान लिया कि अब वह सिर पर सवार अंग्रेजी के भूत से ही पहले निपटेंगे।
अंग्रेजी पर अपनी पकड़ और मजबूत करने के लिए दिल्ली के स्टॉलों से पुरानी-धुरानी पत्रिकाएं और पुस्तकें ले आकर विजय शेखर अंग्रेजी की पढ़ाई में जुट गए। उनके दोस्त भी उनकी मदद करने लगे और एक दिन उन्हें अंग्रेजी का भूत भगाने में कामयाबी मिल गई।
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वो संघर्ष भरे दिन
विजय की अंग्रेजी सुधर गई तो बी-टेक की ग्रेड लड़खड़ाने लगी। एक बार फिर उनका कॉलेज से मोहभंग होने लगा लेकिन वह अंदर से हिम्मत साधे-बांधे रहे। एक बड़ा बिजनेस मैन बनने का सपना तनिक भी डिगा नहीं। उनके सपने में हॉटमेल और याहू जैसी कामयाबी हासिल करने का जुनून बना रहा।
उन्हीं दिनों विजय सॉफ्टवेयर कोडिंग सीखने लगे। 'इंडियासाइट डॉट नेट' नाम से उन्होंने खुद का कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम बना लिया। इसमें निवेशकों ने पैसा लगा दिया। डेढ़-दो साल बाद उन्होंने इसको एक मिलियन डॉलर में बेच दिया। अब उसी पैसे से उन्होंने 'वन97 कम्युनिकेशन एलटीडी' नाम से मोबाइल वैल्यू एडेड सर्विस देने वाली अपनी कंपनी खोल ली। यह कंपनी खोलकर एक बार फिर वह गच्चा खा गए। कंपनी से जुड़े स्टाफ को सेलरी देना तक भारी पड़ गया। खैर, रिश्ते-नाते के लोगों से, मित्रों से सूद पर पैसे लेकर स्टाफ की देनदारी चुकानी पड़ी। वह पैदल हो गए। कार छोड़ बसों में धक्के खाने लगे। अब अपने बिजनेस के सपने को जहां का तहां छोड़ नौकरी करने लगे। वह उनका सबसे कठिन वक्त रहा। कभी-कभी पैदल ही ऑफिस के लिए निकल पड़ते।
अपनी धुन के पक्के विजय शेखर
नौकरी करते हुए मन ऊबा और कुछ दिन बाद फिर बिजनेस की धुन पीछा करने लगी। वह तरह-तरह के प्रयोगों में भी जुटे रहे। कभी कोडिंग सीखकर 'कंटेंट मैनेजमेंट सिस्टम' बनाते तो कभी 'एक्सएस' कंपनी। अलग-अलग के तरह के आइडियाज़ उनके दिमाग में चलते रहे। अंदर ही अंदर उनके मन में इतनी बेचैनी थी कि एक दिन नौकरी भी छोड़ दी।
संघर्ष के दिन शुरू हुए, तो विजय के साथी-संघाती भी एक-एक कर साथ छोड़ने लगे। अब तक कार से आना-जाना तो छूटा ही था, अपना ठिकाना भी बदल कर विजय कश्मीरी गेट इलाके के एक कामचलाऊ हॉस्टल में जाकर रहने लगे। दोनों जून भोजन करने भर भी जेब में पैसे न होने पर चाय पीकर ही दिन काट देते।
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हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती
इसके बाद शुरू हुआ विजय का कभी हिम्मत न हारने के बाद 'विजयी' सिलसिला। उन दिनो विजय शेखर की नजर स्मॉर्ट फोन मार्केट और ग्राहकों की डिमांड को गंभीरता से रीड कर रही थी। वह देख रहे थे कि स्मॉर्ट फोन तेजी से बिकने लगे हैं। अचानक उनके दिमाग में नया आइडिया कौंध उठा। उन्होंने सोचा कि क्यों न मोबाइल पर कैश ट्रांजेक्शन सिस्टम के लिए वह कुछ करें। उन्होंने अपनी उसी पुरानी कंपनी 'वन97 कम्युनिकेशन एलटीडी' के नाम से ही अपनी पेटीएम (Paytm.com) नाम की वेबसाइट पर काम शुरू कर दिया। इसी पर ऑनलाइन मोबाइल रिचार्ज करने लगे। यद्यपि बाजार में अन्य बेवसाइट्स भी यह सुविधा दे रही थीं, लेकिन पेटीएम की तकनीक उपभोक्ताओं को रास आने लगी क्योंकि वह तकनीकी रूप से अन्य की तुलना में आसान थी।
जब काम चल निकला तो विजय शेखर ने पेटीएम डॉट कॉम से ऑनलाइन वॉलेट, मोबाइल रिचार्ज, बिल पेमेंट, मनी ट्रान्सफर, शॉपिंग फीचर आदि की सुविधाएं भी कनेक्ट कर दीं। और देखते ही देखते एक दिन देश का सबसे बड़ा मोबाइल पेमेंट और ई-कॉमर्स प्लेटफार्म बन गया।
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आज देश के सबसे कम उम्र अरबपति विजय शेखर शर्मा की नेटवर्थ 1.7 अरब डॉलर (लगभग 11 हजार करोड़ रुपए) है। 'फोर्ब्स' सूचना में बताया गया है कि दुनिया के युवा अरबपतियों की सूची में पेटीएम बैंक फाउंडर विजय शेखर 1,394वें पायदान पर रहे, जो अंडर-40 यानी 40 से कम उम्र के अरबपतियों में अकेले भारतीय हैं।
फोर्ब्स पत्रिका ने यह भी बताया है कि वह भारत में हुई नोटबंदी का सबसे ज्यादा फायदा उठाने वाले उद्यमी हैं। आज पेटीएम के रजिस्टर्ड यूजर्स की संख्या 25 करोड़ तक पहुंच चुकी है। इस पर रोजाना कम से कम सत्तर लाख ट्रांजैक्शन हो रहे हैं। विजय शेखर पेटीएम की 16 फीसदी हिस्सेदारी अपने पास रखे हुए हैं, जिसका कुल मूल्य 9.4 अरब डॉलर हो गया है। सच पूछिए तो विजय शेखर की जिंदगी में नोटबंदी सौगात बन कर आई।
जब 8 नवम्बर 2017 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की, अपने 500 और 1000 के नोटों से मुक्ति पाने के लिए पेटीएम का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने लगा। दस दिन में ही साढ़े चार करोड़ उपभोक्ताओं ने पेटीएम का इस्तेमाल किया। उनमें कुल पचास लाख नए ग्राहक पेटीएम से जुड़ गए। आने वाले महीनो में तो यह संख्या करोड़ों में पहुंच गई और पेटीएम पर धनवर्षा होने लगी। पेटीएम पर रोजाना 70 लाख तक के लेन-देन होने लगे। इसका रोजाना का लगभग सवा सौ करोड़ का बिजनेस होने लगा।
आज विजयगढ़ (अलीगढ़) वाले विजय शेखर शर्मा देश के सबसे युवा पहले अरबपति बन देश के युवाओं का मार्गदर्शन कर रहे हैं। विजय ने अपनी उपलब्धियों से ये साबित कर दिया है, कि किसी भी काम को बेहतरीन तरीके से करने के लिए डिग्रियों, भाषाओं, मजबूत बैकग्राउंड और रूपये-पैसे का नहीं, बल्कि काबिलियत का योगदान होता है। यदि आपमें बात है और आप अपनी धुन के पक्के हैं, तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती। भरोसा और जुनून एक बड़ी चीज़ है, जिसका साथ विजय शेखर शर्मा ने कभी नहीं छोड़ा।
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