जानिए कोविड-19 वैक्सीन बनाने में लगी इन 8 भारतीय कंपनियों की क्या है अब तक की डेवलपमेंट स्टेज़?
कोरोनावायरस बीमारी ने दुनिया भर में कहर बरपाया है। यह अब तक 14 मिलियन से अधिक लोगों को संक्रमित कर चुका है और छह लाख से अधिक लोगों की जान ले चुका है।
दुनियाभर में कहर बरपा रहे कोरोनावायरस (कोविड-19) के चलते भारत तीसरा सबसे अधिक प्रभावित देश है। भारत में कोविड-19 के मामले 11 लाख के आंकड़े को पार कर चुके हैं। अन्य देशों के साथ, भारत भी पिछले साल चीन में वुहान से शुरू हुई इस महामारी के लिए वैक्सीन बनाने के प्रयासों में लगा हुआ है।
भारत जेनेरिक दवाओं और टीकों के सबसे बड़े निर्माताओं में से है। कई भारतीय कंपनियाँ पोलियो, मेनिन्जाइटिस, रोटावायरस, खसरा आदि विभिन्न बीमारियों के टीके बनाने में लगी हुई हैं।
यहां हम आपको उन भारतीय कंपनियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो कोविड-19 के लिए वैक्सीन बनाने में लगी हुई है। साथ ही हम बतायेंगे कि कौन सी कंपनी, कौनसे डेवलपमेंट स्टेज में है।
ज़ायडस कैडिला की ZyCoV-D
Zydus Cadila फार्मा प्रमुख ने कहा कि वह सात महीने में अपने Covid-19 वैक्सीन उम्मीदवार ZyCoV-D के क्लिनिकल परीक्षण को पूरा करना चाहता है। कंपनी ने पिछले सप्ताह पहली मानव खुराक के साथ क्लिनिकल परीक्षण शुरू किया था।
भारत बायोटेक की कोवाक्सिन
कोवाक्सिन वैक्सीन को हैदराबाद में विकसित और निर्मित किया गया है। भारत बायोटेक ने पिछले हफ्ते कोवाक्सिन का मानव परीक्षण शुरू किया। कंपनी को अपने टीके के उम्मीदवार रूप में चरण I और II के रूप में क्लीनिकल टेस्टींग के लिये मंजूरी मिल गई है।
बायोकॉन की इटॉलिज़ुमाब (ALZUMAb)
किरण मजूमदार-शॉ के नेतृत्व वाली बायोकॉन ने हाल ही में ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया (DGCI) से इटॉलिज़ुमाब (ALZUMAb), एक एंटी-सीडी 6 आईजीजी 1 मोनोक्लोनल एंटीबॉडी का उपयोग करने के लिए मंजूरी ले ली है। DCGI का अप्रुवल ALZUMAb को कोविड-19 से पीड़ित गंभीर तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम (ARDS) के रोगियों के लिए मध्यम से साइटोकिन रिलीज सिंड्रोम (CRS) के उपचार के लिए उपयोग करने की अनुमति देता है।
बायोकॉन की फाउंडर किरण मजूमदार-शॉ ने अभी हाल ही में YourStory की फाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा के साथ इंटरव्यू में ALZUMAb के बारे में बात करते हुए बताया कि COVID-19 उपचार के लिए मुंबई और दिल्ली के चार अस्पतालों में दवा का परीक्षण किया गया था - नायर अस्पताल, KEM अस्पताल, LNJP, और AIIMS - और 500 से अधिक मरीज पहले से ही दवा से लाभान्वित हुए हैं। किरण का कहना है कि ALZUMAb नॉवेल कोरोनावायरस के कारण फेफड़ों में सूजन को कम करने में मदद करता है, रोगियों को बिना वेंटीलेटर या किसी अन्य बाहरी सहायता के सांस लेने में मदद करता है
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की एस्ट्राजेनेका
एस्ट्राजेनेका वैक्सीन टीके के उम्मीदवार के रूप में तीसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण के दौर से गुजर रही है। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सीरम इंस्टीट्यूट ने कहा कि यह भारत में अगस्त 2020 में मानव परीक्षण शुरू करेगा और उम्मीद कर रहा है कि एस्ट्राजेनेका टीका साल के अंत तक उपलब्ध हो जायेगा।
बायोलॉजिकल ई
बायोलॉजिकल ई कंपनी द्वारा विकसित की जा रही वैक्सीन वर्तमान में प्री-क्लीनिकल ट्रायल स्तर पर है।
पैनेशिया बायोटेक
इस फार्मा कंपनी द्वारा जो वैक्सीन विकसित की जा रही है उसका नाम अभी तक नहीं बताया गया है। पैनेशिया बायोटेक ने आयरलैंड में अमेरिका की रिफाना इंक के साथ मिलकर एक संयुक्त उद्यम कंपनी की स्थापना की है। यह कोविड-19 वैक्सीन की 500 मिलियन से अधिक खुराक का निर्माण करेगा। अगले साल की शुरुआत में डिलीवरी के लिए 40 मिलियन से अधिक खुराक मिलने की उम्मीद है।
मीनवैक्स (Mynvax)
मीनवैक्स कंपनी भी एक वैक्सीन उम्मीदवार के रूप में काम कर रही है। कंपनी का दावा है कि वो इसे 18 महीनों में विकसित कर लेगी। यह शुरू में दो दर्जन खुराक बनायेगी। इसने 15 करोड़ रुपये के अनुदान के लिए जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) को याचिका दी है। यह वर्तमान में प्री-क्लीनिकल ट्रायल की स्टेज पर है।
इंडियन इम्यूनोलॉजिक्ल्स की वैक्सीन
यह राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की एक सहायक कंपनी है। इंडियन इम्यूनोलॉजिक्ल्स ने ऑस्ट्रेलिया की ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी के साथ कोरोनावायरस के लिए वैक्सीन बनाने के करार किया है।
Edited by रविकांत पारीक