‘चैम्पियन्स ऑफ द अर्थ अवार्ड 2018’ से सम्मानित किए गए पीएम नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के समर्थन में उनके पथप्रदर्शक कार्य एवं 2022 तक भारत में सभी एकल-उपयोग प्लास्टिक को समाप्त करने के उनके अभूतपूर्व संकल्प के लिए नेतृत्व वर्ग में चयन किया गया।
'सालाना चैम्पियंस ऑफ द अर्थ’ पुरस्कार सरकारी, सिविल सोसायटी एवं निजी क्षेत्र के उन असाधारण नेताओं को प्रदान किया जाता है जिनके कार्यों का पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा हो।
पर्यावरण को संरक्षित करने की दिशा में दूरदर्शी पहल करने और नीतिगत नेतृत्व क्षमता के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को ‘चैम्पियन्स ऑफ द अर्थ अवार्ड 2018’ से सम्मानित किया। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने बुधवार को नई दिल्ली में प्रवासी भारतीय केंद्र में मोदी को यह सम्मान दिया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के समर्थन में उनके पथप्रदर्शक कार्य एवं 2022 तक भारत में सभी एकल-उपयोग प्लास्टिक को समाप्त करने के उनके अभूतपूर्व संकल्प के लिए नेतृत्व वर्ग में चयन किया गया।
'सालाना चैम्पियंस ऑफ द अर्थ’ पुरस्कार सरकारी, सिविल सोसायटी एवं निजी क्षेत्र के उन असाधारण नेताओं को प्रदान किया जाता है जिनके कार्यों का पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा हो। पुरस्कार ग्रहण करने के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह पुरस्कार उन सभी अनजान लोगों के लिए है, जो वर्षों से दूरस्थ इलाकों, पर्वतीय क्षेत्रों और जनजातीय क्षेत्रों में कार्यरत हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह पुरस्कार भारत की सतत, नई, शाश्वत और प्राचीन परंपरा के लिए सम्मान है और सतत ऊर्जा के लिए हमारी प्रतिबद्धता का परिचायक है। उन्होंने अन्य श्रेणियों में पुरस्कार से सम्मानित अन्य लोगों को भी बधाई दी।
मोदी ने जोर देकर कहा कि जलवायु और आपदा का संस्कृति से सीधा संबंध है और जब तक जलवायु से जुड़े सरोकार हमारी संस्कृति का हिस्सा नहीं बन जाते, आपदाओं से बचना कठिन होगा। यह कहते हुए कि विश्व भर में आज पर्यावरण के प्रति भारत की संवेदनशीलता को महत्व दिया जा रहा है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की आदत को अपनाने के लिए जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं और आम लोगों को संवेदनशील बनाने के लिए स्वच्छ वायु अभियान की चर्चा की।
मोदी ने कहा, 'ये भारत की उस महान नारी का सम्मान है, जिसके लिए सदियों से Reuse और Recycle रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा रहा है। जो पौधे में भी परमात्मा का रूप देखती है। जो तुलसी की पत्तियां भी तोड़ती है, तो गिनकर। जो चींटी को भी अन्न देना पुण्य मानती है।' उन्होंने आगे कहा, 'Climate और Calamity का Culture से सीधा रिश्ता है। Climate की चिंता जब तक Culture का हिस्सा नहीं होती तब तक Calamity से बच पाना मुश्किल है। पर्यावरण के प्रति भारत की संवेदना को आज विश्व स्वीकार कर रहा है, लेकिन ये हज़ारों वर्षों से हमारी जीवन शैली का हिस्सा रहा है।'
इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि सरकार ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में अनेक नीतियां और कार्यक्रम शुरू किए हैं। डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भारतीय त्याग परंपरा को ध्यान में रखते हुए पहले ही यह घोषणा कर दी है कि उन्होंने यह पुरस्कार भारतीय शाश्वत मूल्यों को समर्पित किया है।
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