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सिर्फ 5 लाख में बिना मिट्टी के खेती की, दो साल में टर्नओवर हुआ 6 करोड़

सिर्फ 5 लाख में बिना मिट्टी के खेती की, दो साल में टर्नओवर हुआ 6 करोड़

Tuesday September 12, 2017 , 5 min Read

श्रीराम इससे पहले खुद की स्थापित की गई एक आईटी कंपनी चलाते थे। लगभग पांच साल पहले उनके एक दोस्त ने यूट्यूब पर हाइड्रोपोनिक्स का एक विडियो दिखाया जिससे वे काफी प्रभावित हुए। 

श्रीराम गोपाल (फोटो साभार- वीकेंड लीडर)

श्रीराम गोपाल (फोटो साभार- वीकेंड लीडर)


ट्रांसपैरेंसी मार्केट रिसर्च के मुताबिक ग्लोबल हाइड्रोपोनिक्स मार्केट अभी 6,9340 लाख डॉलर का है और 2025 में इसके 12,106 लाख अमेरिकी डॉलर के हो जाने की उम्मीद है।

इस तकनीक को हाइड्रोपोनिक्स कहते हैं। इससे फ्लैट में या घर में भी बिना मिट्टी के पौधे और सब्जियां आदि उगाई जा सकती हैं।

आज तकनीक का दायरा काफी बढ़ चुका है। इसकी बदौलत अब खेती किसानी भी पूरी तरह बदल चुकी है। वैज्ञानिकों ने खेती का ऐसा ही तरीका खोजा है जिसके बारे में आप सुनेंगे तो हैरान हो जाएंगे। बिन मिट्टी के खेती करने वाले इस तरीके का नाम है 'हाइड्रोपोनिक्स'. आबादी बढ़ने के साथ ही खेती करने वाली जमीन का दायरा सिमट रहा है। हाइड्रोपोनिक्स से शहरी या कस्बाई इलाकों में खेती करने का सपना देखा जा सकता है। चेन्नई के रहने वाले श्रीराम गोपाल ने बिना मिट्टी के खेती करने वाले एक स्टार्ट अप की शुरुआत की है। उनका टर्नओवर इस साल छह करोड़ तक पहुंच चुका है। 2015-16 में उनका टर्नओवर सिर्फ दो करोड़ था। यानी इस बिजनेस में हर साल 300 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो रही है।

दुनियाभर में पानी की किल्लत महसूस की जा रही है। खेती करने वाली जमीन का दायरा सिमट रहा है और शहरी क्षेत्रों का विकास होता चला जा रहा है। सबसे बड़ी मुश्किल बंजर और रेगिस्तानी इलाकों में होती है। जहां न तो पानी होता है और न ही उपजाऊ जमीन। इससे आने वाले समय में कृषि उत्पादन पर असर पड़ सकता है। लेकिन इस मुश्किल का हल भी खोज लिया गया है। जिसमें बिना मिट्टी के खेती हो रही है और पानी भी सामान्य खेती के मुकाबले 90 प्रतिशत कम लगता है। जब लागत कम होगी तो जाहिर सी बात है कि फायदा ज्यादा ही होगा। श्रीराम बताते हैं कि 2014-15 में उनका टर्नओवर सिर्फ 38 लाख रुपये था लेकिन एक साल में ही यह बढ़कर 2 करोड़ हो गया।

श्रीराम इससे पहले खुद की स्थापित की गई एक आईटी कंपनी चलाते थे। लगभग पांच साल पहले उनके एक दोस्त ने यूट्यूब पर हाइड्रोपोनिक्स का एक विडियो दिखाया जिससे वे काफी प्रभावित हुए। उनके पिता की पुरानी फैक्ट्री में काफी जगह पड़ी हुई थी। वहां उन्होंने मिट्टी रहित खेती करने की सोची। उनके पिता की फैक्ट्री में फोटो फिल्म डेवलप करने का काम होता था, लेकिन बदलते जमाने में फोटो फिल्म की जरूरत खत्म हो गई और इसके साथ ही उनकी फैक्ट्री भी बंद हो गई। बचपन से ही कैमरों के आस पास जीवन बिताने वाले श्रीराम ने इंजिनियरिंग करने के बाद चेन्नई में ही कैमरे की एक दुकान डाल दी थी।

अपनी टीम के साथ श्रीराम गोपाल (फोटो साभार- theweekend leader)

अपनी टीम के साथ श्रीराम गोपाल (फोटो साभार- theweekend leader)


यदि हम बिना मिट्टी के ही पेड़-पौधों को किसी और तरीके से पोषक तत्व उपलब्ध करा दें तो बिना मिट्टी के भी पानी और सूरज के प्रकाश की उपस्थिति में पेड़-पौधे उगा सकते हैं।

इसके बाद उन्होंने किसी नए बिजनेस में हाथ आजमाने की सोची। उसी दौरान उन्हें हाइड्रोपोनिक्स के बारे में जानकारी मिली। श्रीराम ने सिर्फ 5 लाख रुपये में सिनामेन थिंकलैब प्राइवेट लैब लिमिटेड से अपना यह स्टार्टअप शुरू किया था आज उनका टर्नओवर 6 करोड़ सालाना पहुंचने वाला है। ट्रांसपैरेंसी मार्केट रिसर्च के मुताबिक ग्लोबल हाइड्रोपोनिक्स मार्केट अभी 6,9340 लाख डॉलर का है और 2025 में इसके 12,106 लाख अमेरिकी डॉलर के हो जाने की उम्मीद है।

अब बात करते हैं इस तकनीक के बारे में। आपने कभी अपने घर या कमरे में पानी से भरे ग्लास में या किसी बोतल में किसी पौधे की टहनी रख दी हो तो देखा होगा कि कुछ दिनों के बाद उसमें जड़ें निकल आती हैं और धीरे-धीरे वह पौधा बढ़ने लगता है। हमने यही पढ़ा है कि पेड़-पौधे उगाने और उनके बड़े होने के लिये खाद, मिट्टी, पानी और सूर्य का प्रकाश जरूरी होता है। लेकिन असलियत यह है कि पौधे या फसल उत्पादन के लिये सिर्फ तीन चीजों - पानी, पोषक तत्व और सूर्य के प्रकाश की आवश्यकता होती है। इस तरह यदि हम बिना मिट्टी के ही पेड़-पौधों को किसी और तरीके से पोषक तत्व उपलब्ध करा दें तो बिना मिट्टी के भी पानी और सूरज के प्रकाश की उपस्थिति में पेड़-पौधे उगा सकते हैं।

इस तकनीक को हाइड्रोपोनिक्स कहते हैं। इससे फ्लैट में या घर में भी बिना मिट्टी के पौधे और सब्जियां आदि उगाई जा सकती हैं। पानी में लकड़ी का बुरादा, बालू या कंकड़ों को डाल दिया जाता है और पौधों के लिये आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराने के लिये एक खास तरीके का घोल डाला जाता है। ये घोल कुछ बूदों के तौर पर महीने में एक या दो बार ही डाला जाता है। पौधों पौधों में ऑक्सिजन पहुंचाने के लिए पतली नली या पंपिंग मशीन का इस्तेमाल किया जाता है। परंपरागत बागवानी की अपेक्षा हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से बागवानी करने पर पानी का 20 प्रतिशत भाग ही काफी होता है।

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