प्रयागराज का एक ऐसा बैंक जहां क्रेडिट-डेबिट 'धन' का नहीं, 'राम नाम' का होता है
संगम की रेत पर विश्व का अनोखा राम नाम बैंक जहां मुद्रा का नहीं, श्रद्धा का संचय होता है। प्रेम की पूंजी और अध्यात्म के ब्याज से होता है कल्याण।
मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना, सारे जहां से हिन्दुस्तान हमारा की तर्ज पर कौमी एकता एवं देश की अखण्डता, अमन, शांति के लिए राम नाम बैंक में मुसलिम, सिख एवं ईसाई बन्धु भी कार्यकर्ता के रूप में स्वयं राम नाम लिखते हैं और दूसरों से लिखवाकर बैंक में जमा करते हैं।
माघ मेला, सैक्टर 1, अक्षयवट मार्ग स्थित राम नाम बैंक देश-विदेश से आए हुए श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केन्द्र बना रहता है। संगम स्नान करने के बाद श्रद्धालु यहां बैठकर भगवान राम का नाम लिखते हैं तथा लोक के साथ परलोक संवारने वाला खाता खुलवाकर प्रस्थान करते हैं। तम्बुओं के बने राम नाम बैंक में रूपए-पैसों का नहीं बल्कि भगवान राम के नाम का लेन-देन होता है मगर अन्य सभी प्रक्रिया सामान्य बैंक जैसी है।
अन्य बैंकों की तरह यहां पर श्रद्धालुओं को खाता संख्या प्रदान की जाती है और जब व्यक्ति राम नाम लिखकर समय-समय पर यहां पर जमा करता है तो यहां से जारी की गई पासबुक में राम नाम संख्या हर बार अंकित कर दी जाती है।
अन्य बैंकों की तरह यहां पर कई काउन्टर बने हुए हैं, एक काउन्टर पर निःशुल्क राम नाम पुस्तिकाओं का वितरण होता है, तो दूसरे पर राम नाम धन जमा होता है, किसी काउन्टर पर अनेक श्रद्धालुओं को राम नाम खाते सम्बन्धित जानकारी एवं सहायता लेते देखा जा सकता है, तो किसी पर बैलेंस पूछताछ की सुविधा है। इस बैंक के खजाने कोश में धन की जगह श्रद्धालुओं द्वारा लिखा गया लगभग साढ़े तीन करोड़ राम धन सुरक्षित है जिसकी परिक्रमा संगम के अक्षय क्षेत्र पर श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए करते हैं। पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक काफी अधिक संख्या में श्रद्धालुओं ने परिक्रमा कर राम नाम लिखकर जमा करते हैं।
राम सेवा ट्रस्ट की गुंजन वार्ष्णेय बताती हैं,
‘‘प्रतिवर्ष निःशुल्क राम नाम पुस्तिका वितरित होती है। देश-विदेश से आए हुए श्रद्धालु संगम की रेत पर विभिन्न भाषाओं में राम नाम लिखकर जमा करते हैं, तमाम भाषाओं जैसे हिन्दी, उर्दू, अंग्रेजी, बंगला, तेलुगु, संस्कृत में भी राम नाम लिखते हैं। संगम अक्षय क्षेत्र है, यहां पर किया गया पुण्य कर्म का फल जन्म-जन्मान्तर तक अक्षय रहता है। अक्षय क्षेत्र में राम नाम लिखने वालों की मनोकामनाएं पूर्ण हुईं हैं।’’
होमगार्ड के पद पर तैनात ग्राम भीटी, जनपद मिर्जापुर के हरिनारायण बताते हैं कि
‘‘प्रथम दिन से वे राम नाम बैंक से जुड़कर नित्य संगम के अक्षय क्षेत्र पर राम नाम लिख रहे हैं, जिससे उन्हें विशेष लाभ हुआ। प्रयाग का राम नाम बैंक एकमात्र ऐसा बैंक है जहां सभी समुदाय के लोग एकजुट होकर कौमी एकता के लिए राम नाम लिखते हैं। भक्तों की यहां मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और भक्त राम नाम लिखकर यहां संग्रह करते हैं और अपना खाता खुलवाते हैं।’’
राम नाम बैंक की यह विशेषता है कि प्रयाग का जो राम नाम बैंक है इसमें न केवल हिन्दु बल्कि मुसलिम भाई, सिख भाई, ईसाई भाई, सभी धर्मों के खाते हैं और अपनी स्वेच्छा से मुसलमान भाई आते हैं, वो भी यहां राम नाम लिखते हैं और पूछने पर कहते हैं, चाहें राम कहो, चाहें रहीम कहो, अंदाजे बयां अलग हैं। भगवान या ईश्वर, अल्लाह, खुदा एक है।
राम नाम बैंक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां पर हर धर्म के खाते हैं और यहां पर सात वर्ष के बालक से लेके नब्बे-सौ वर्ष तक के वृद्ध हैं जो राम नाम लिखते हैं।
ज्योतिषाचार्य आशुतोष वार्ष्णेय बताते हैं कि
‘‘संस्था में बहुत सारे ऐसे बालक हैं छोटे-छोटे जो राम का मतलब नहीं जानते लेकिन लाल कलम से राम नाम लिखते हैं। यहां तक कि जेल के कैदियों को भी संस्थान ने पुस्तकें वितरित की थीं और वो सब भी राम का नाम लिखते हैं और कहते हैं कि जब वाल्मीकि राम का नाम लिखकर साधु हो गए तो हम लोग क्यों नहीं। राम नाम की महिमा बड़ी निराली है और संगम तट पर राम नाम पुस्तक निःशुल्क वितरित करते हैं, उसी के साथ-साथ लाल कलम भी करी जाती है।’’
संगम की रेत का राम नाम बैंक भले ही रेत पर हो, परन्तु खातेधारकों को अतिआधुनिक सुविधा प्रदान करता है, कागज की बचत के लिए श्रद्धालु कम्प्यूटर, लैपटाॅप, ऐप पर राम नाम लिखकर पेनड्राइव के माध्यम से अथवा ई-मेल द्वारा संस्थान में राम नाम डिजिटल रूप में जमा करते हैं। जीवन में कष्ट अथवा कोई इच्छा शेष हो, तो इच्छा पूर्ति अथवा कष्ट निवत्तिृ के लिए श्रद्धालु यहां से राम नाम का कर्ज लेते हैं और जब वे धीरे-धीरे राम नाम लिखकर कर्ज चुकाने लगते हैं तो उनकी इच्छाएं पूर्ण होने लगती हैं।
राम सेवा ट्रस्ट की गुंजन वार्ष्णेय के अनुसार,
‘‘मेले में सवा लाख पूर्ण करने वाले राम भक्तों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। लौकिक धन केवल इस लोक में जब तक व्यक्ति जीवित रहता है तब उसके काम आता है लेकिन राम नाम धन लोक-परलोक दोनों संवारता है इसलिए कहा जाता है, राम नाम की लूट है, लूट सके तो लूट, अंत काल पछताएगा, जब प्राण जाएंगे छूट।’’
भगवान राम का नाम अक्षय है, जन्म के समय नवजात शिशु के कान में राम बोला जाता है और मृत्यु के समय चिता जलाने से पहले तथा मृतक की अस्थियां चुनते समय राम लिखा जाता है जिसके कारण व्यक्ति सद्गति को प्राप्त होता है।
राम नाम का कर्ज देकर मनोकामना पूरी करने वाला अनोखा बैंक
जहां आदमी अपनी दैनिक, सांसारिक जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक से रुपये-पैसे का कर्ज लेेता है, वहीं आध्यात्मिक उर्जा, शांति, मोक्ष, कष्टों से निवारण एवं मनोकामना पूर्ति के लिए भक्त राम नाम बैंक से राम नाम का कर्ज लेते हैं। ऐसी मान्यता है कि कर्ज के रूप में सवा लाख राम नाम लिखने का संकल्प पूर्ण करने पर मनोकामनओं की पूर्ति होती है।
रामनवमी पर होता है विशेष पूजन - राम नाम बैंक की प्रतिवर्ष संगम शाखा, माघ मेले एवं कुम्भ के दौरान संगम के अक्षय क्षेत्र पर दूर-दराज से आए भक्तों द्वारा लाल कलम से राम नाम अंकित प्रपत्रों को संजोकर एकत्र करती है जिनका रामनवमी पर विशेष पूजन एवं परिक्रमा भक्तों द्वारा किया जाता है। राम नाम बैंक के राम नाम कोष में चार करोड़ से अधिक राम नाम लिखे प्रपत्र संग्रहित हैं। ये राम नाम भक्तों द्वारा हस्तलिखित हैं। राम नाम से मां गंगा, त्रिवेणी तट की आकृति एवं प्रयागराज, शिवजी आदि की आकृति भक्तों द्वारा बनाकर जमा है।
विभिन्न भाषाओं में जमा है राम का नाम
हिन्दी, उर्दू, बांग्ला, अंग्रेजी आदि अनेक भाषाओं में राम नाम भक्तों द्वारा हस्तलिखित हैं। बैंक के प्रयागनगरी में ही नहीं बल्कि देश-विदेश में भी अनेक श्रद्धालु हैं जो नित्य राम का नाम अपनी-अपनी भाषाओं में लिखकर जमा करते हैं।
आधुनिकता से भी जुड़ा है राम नाम बैंक
फेसबुक, ट्विटर जैसी सोशल नैटवर्किंग साइट पर भी है राम नाम की गूंज। आधुनिक युवा पीढ़ी को राम नाम की भक्ति से जोड़ने के लिए राम नाम बैंक इन्टरनेट पर, फेसबुक पर भी सक्रिय www.facebook.com/raamnambank संस्था द्वारा राम नाम लिखने के नियम एवं ढेरों जानकारियां ई-मेल द्वारा भिजवाई जाती है। राम नाम लेखन पुस्तिका इन्टरनेट से निःशुल्क डाउनलोड भी की जा सकती है।
बैंक के निदेशक आशुतोष वार्ष्णेय बताते हैं कि
‘‘सूचना तकनीक के अति आधुनिक होने से अध्यात्म को भी बल मिला है, लोग घर पर ही बैठकर कम्प्यूटर, लैपाटॉप, टैबलेट पर ही राम नाम टाइप करते हैं और पेन ड्राइव आदि में सुरक्षित कर रामनवमी तक डिजिटल रूप में भगवान राम का नाम बैंक के मुख्य कम्प्यूटर में सेव करते हैं। इस आधुनिकीकरण के जरिए कागज की बचत होती है और युवा पीड़ी भी धर्म-कर्म से जुड़कर अपनी¨रोजमर्रा के तनाव से मुक्ति पाती है।’’
प्रतिवर्ष रामनवमी तक होता है लेखा-जोखा पूर्ण
राम नाम लेखन के पश्चात् भक्त वर्ष भर पुस्तिका बैंक में जमा करते रहते हैं। पहली बार जमा करने पर भक्तों को एक खाता संख्या प्रदान की जाती है और उसके बाद हर बार उसी खाते में उनके द्वारा लिखित राम नाम का लेखा-जोखा चढ़ाया जाता है। रामनवमी तक यह लेखा-जोखा पूर्ण हो जाता है, रुपये-पैसे वाले बैंक 31 मार्च को अपना हिसाब-किताब बराबर करते हैं और राम बैंक रामनवमी के दिन जो कि 31 मार्च के आस-पास पड़ती है, अपना लेखा-जोखा बराबर करते हैं।
रामनवमी तक राम नाम को लाल और पीले रंग के वस्त्रों में लपेटकर राम भक्त परिक्रमा पथ बनाकर उसकी परिक्रमा करते हैं।
राम नाम बैंक से कर्ज लेने वालों के लिए नियम
राम नाम बैंक की अध्यक्ष गुंजन वार्ष्णेय बताती हैं कि
‘‘जो व्यक्ति रामनाम का कर्ज लेता है उसे बैंक के कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है। जब तक पाठ-जप पूरा न हो मदिरा, मांस, मछली, प्याज और लहसुन खाना वर्जित है। लेखन के लिए बैंक के छपे प्रार्थना पत्रों को विधिवत भरना होता है।’’
तारक मंत्र है राम नाम
मोक्ष प्राप्ति, शांति एवं आध्यात्मिक उर्जा ग्रहण करने के अनेकानेक माध्यम हैं, विभिन्न देवी-देवताओं की आराधना से व्यक्ति विशेष को आत्मविश्वास, सफलता, एकाग्रता एवं लक्ष्य की प्राप्ति होती है। उसमें सरल, व्ययशून्य, कलियुग में अत्यन्त प्रभावी है ‘राम नाम’। शास्त्रों में राम नाम को तारक मंत्र कहा गया है, यह लोक-परलोक दोनों को तारता अर्थात् संवारता है। राम नाम की परिक्रमा ब्रह्माण्ड की परिक्रमा समान है।