घरेलू स्टार्टअप से महिलाएं कर रहीं लाखों की कमाई
वक्त तेजी से बदल रहा है। अपने पैरों पर खड़े होने का जुनून हो तो हर हुनरमंद महिला आसानी से आत्मनिर्भर हो सकती है। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली में तमाम महिलाएं घरेलू स्तर पर छोटे-छोटे स्टार्टअप से खूब पैसे कमा रही हैं। उन्हें करोड़ों की फंडिंग भी मिल जा रही है। इस काम में सरकार सहित कई संस्थाएं भी उनकी मदद कर रही हैं।
दिल्ली में इंदिरा गांधी टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वुमेन का 'अन्वेषण फाउंडेशन' यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स के अलावा यूनिवर्सिटी में न पढ़ने वाली छात्राओं को भी स्टार्टअप शुरू करने में आर्थिक मदद और तकनीकी सहयोग प्रदान कर रहा है।
राजस्थान की राजधानी जयपुर में लगभग डेढ़ हजार आंत्रप्रेन्यॉर्स महिलाओं का नेतृत्व कर रहा क्रिएटिव वुमन स्टार्टअप एसोसिएशन राज्य की आधी आबादी को प्रमोट कर रहा है। उसके साथ एक्सपर्ट ऑनलाइन काउंसलिंग भी करते रहते हैं। एसोसिएशन ऐसी महिलाओं को सरकारी योजनाओं के लाभ मिलने भी मदद कर रहा है। वर्कशॉप और टॉक शॉ के जरिए मेंबर्स का स्किल डेवलपमेंट की जानकारियां साझा की जा रही हैं। एसोसिएशन प्रमुख नीता बाफना कहती हैं कि यह संस्था किटी पार्टी या फिर मनोरंजन तक सीमित नहीं है। यह एक ऐसा मंच है, जहां महिलाओं को उनके टैलेंट के दम पर आगे बढ़ने के अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं। हम ऐसी महिलाओं को आगे ले आ रहे हैं, जिनमें कुछ करने का दम है।
इसी तरह पाली (राजस्थान) में गृहिणी महिलाओं के स्टार्टअप को प्रोत्साहन देने के लिए 'सखी सहेली ग्रुप' सक्रिय है। महिलाएं अपनी सखी-सहेलियों के साथ समय-समय पर आयोजित ग्रुप के एक्जिबिशन में पहुंचने के साथ ही जमकर खरीदारी भी करती हैं। उन्हें उत्पादों पर बीस प्रतिशत तक डिस्काउंट भी दिया जाता है। एक्जिबिशन में खासतौर से पाली के साथ-साथ जोधपुर और सुमेरपुर की महिलाएं ही डेकोरेशन आइटम, गर्ल्स वेयर, कॉस्मेटिक आइटम, बैडशीट, ड्राई फ्रूट्स, पर्दे एवं बैंगल्स, किचन हाउस होल्ड आइटम, होम केयर, एंटिक गिफ्ट आइटम, इमीटेशन ज्वैलरी, किड्स आइटम्स, किड्स वियर, होम मेड चॉकलेट, कॉटन साड़ी, डिजाइनर कुर्ता, दुपट्टे आदि हैंडमेड प्रोडक्ट के स्टॉल लगाती हैं।
दिल्ली में इंदिरा गांधी टेक्निकल यूनिवर्सिटी फॉर वुमेन का 'अन्वेषण फाउंडेशन' यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स के अलावा यूनिवर्सिटी में न पढ़ने वाली छात्राओं को भी स्टार्ट अप शुरू करने में आर्थिक मदद और तकनीकी सहयोग प्रदान कर रहा है। यूनिवर्सिटी ने महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए बाहरी स्टूडेंट्स के लिए भी दरवाजे खोल दिया है। फाउंडेशन उन महिलाओं को तीन चरणों में साढ़े सात लाख रुपए की मदद भी देता है, जिनके प्रोजेक्ट उसके सामने प्रस्तुत किए जाते हैं। हर ती महीने में प्रोजेक्ट के प्रोग्रेस की जानकारी देनी होती है। फाउंडेशन का मकसद महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ाने के साथ ही उन्हे आत्मनिर्भर बनाना है। महिलाएं मेल पार्टनर के साथ भी अपनी कंपनी खोल सकती हैं लेकिन उसमें महिला का कंपनी शेयर कम से कम 51 प्रतिशत होना चाहिए।
उत्तर प्रदेश में लखनऊ शहर की कुछ महिलाओं ने बिना किसी तरह के मार्केटिंग अनुभव के घर से स्टार्टअप शुरू किया है। नाश्ते का सामान, होममेड चॉकलेट, ज्वैलरी और केमिकल फ्री प्रोडक्ट के रूप में उन्होंने स्वरोजगार की मजबूत नींव रखी है। आज वह खुद तो आत्मनिर्भर बनी ही हैं, साथ ही अन्य महिलाओं को भी स्वावलंबन का पाठ पढ़ा रही हैं। गृहिणी रीतांजलि फरवरी 2017 से 20 हजार रुपए की लागत से 200 चॉकलेट से शुरुआत कर घरेलू चॉकलेट बना रही हैं। उन्होंने बच्चों की वजह से चॉकलेट बनाना सीखा है। अब रोजाना उनके यहां एक हजार चाकलेट तैयार हो जाते हैं। उनके तीस तो स्थायी ग्राहक बन चुके हैं।
ज्वैलरी मेकिंग कर रहीं डॉली छह साल का जॉब छोड़कर इंटरनेट की मदद से पांच हजार की लागत से फैशन और ज्वैलरी का काम कर रही हैं। इसके अलावा वह ड्रेस के अनुसार ज्वैलरी, इयरिंग, चूड़िया, कड़े, हार, अंगूठी, कार्ड, सुगंधित तेल, कैंडल आदि का ऑर्डर भी लेकर होम डिलीवरी करती हैं। इसी तरह विकास नगर की रेनू अग्रवाल 25 हजार की लागत से दो साल पहले अपनी सहेलियों के साथ मठरी, खस्ता, समोसा, नमक पारा, आचार आदि बनाने का काम शुरू कर आज रोजाना पचास किलो तक ये खाद्य सामग्रियां बेच लेती हैं।
उल्लेखनीय है छोटे शहरों की महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए केंद्र सरकार तरह-तरह से पहल कर रही है। उनको स्टार्टअप इकोसिस्टम से परिचित कराया जा रहा है। एक यात्रा के रूप में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना आदि राज्यों में महिलाओं को स्थानीय स्तर पर ही हरसंभव मदद दिलाई जा रही है। यही वजह है कि छोटे और मझोले शहरों में इनोवेटिव स्टार्टअप की संख्या तेजी से बढ़ी है। स्टार्टअप इंडिया यात्रा का मकसद इन उद्यमियों को ऐसा प्लेटफार्म मुहैया कराना है, जहां से वो अपने सपनों को पूरा कर सकें। इसके लिए उन्हें जानेमाने संस्थानों का मार्गदर्शन और जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके तहत स्टार्टअप इंडिया मोबाइल वैन की शुरूआत की गई है।
कई बार बेहद सिंपल आइडिया कैसे करोड़ों का बिजनेस खड़ा कर सकता है, इसका हमें अंदाजा नहीं होता है। ऐसी कई महिलाएं है जिन्होंने ऐसे सिंपल आइडिया को करोड़ों के बिजनेस में बदल दिया है। यहीं नहीं उन्होंने एक ट्रेंड भी बना दिया, जिसे बाकी लोग भी फॉलो कर रहे हैं। मसलन, कभी बीबीसी में नौकरी करती रहीं, आज 'लिटिल ब्लैक बुक' की सीईओ सुचिता सलवान अब अपने 'टम्बलर' ब्लॉग के जरिए पैसा कमा रही हैं। वह तमाम ब्रांड अपनी ब्लॉग पर प्रमोट करती रहती हैं। वह एक योग टीचर से लेकर लोकल रेस्त्रां तक को प्रमोट कर रही हैं। अब उनके ब्लॉग के 20 लाख यूजर हैं। उन्हें दस करोड़ रुपए की फंडिंग भी मिल चुकी है।
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