अडानी-हिंडनबर्ग मामला: सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए बनाई एक्सपर्ट कमेटी, सेबी को जांच का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने बाजार नियामक सेबी को दो महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करने को कहा है. इसने सेबी से यह जांच करने के लिए भी कहा है कि क्या सेबी के नियमों की धारा 19 का उल्लंघन हुआ है, और क्या स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर हुआ है.
अमेरिकी शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों के बाद अडानी समूह के शेयरों में हाल में आई गिरावट पर दाखिल जनहित याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एएम सप्रे की अध्यक्षता में एक 5 सदस्यीय समिति गठित करने का आदेश दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने बाजार नियामक सेबी को दो महीने के भीतर अपनी जांच पूरी करने को कहा है. इसने सेबी से यह जांच करने के लिए भी कहा है कि क्या सेबी के नियमों की धारा 19 का उल्लंघन हुआ है, और क्या स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर हुआ है.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की पीठ ने शेयर बाजारों के लिए मौजूदा नियामक उपायों को मजबूत करने के लिए डोमेन विशेषज्ञों के एक पैनल के गठन पर अपना फैसला सुनाया.
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, "हम एक विशेषज्ञ समिति का गठन कर रहे हैं. समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अभय मनोहर सप्रे करेंगे और समिति में ओपी भट, जस्टिस देवधर, केवी कामथ और नंदन नीलेकणि शामिल होंगे."
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि समिति का कार्य ढांचे को मजबूत करने के उपायों का सुझाव देना, अडानी विवाद की जांच करना और वैधानिक ढांचे को मजबूत करने के उपायों का सुझाव देना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि समिति को सभी जानकारी प्रदान की जाए और दो महीने में इस अदालत के समक्ष एक सीलबंद कवर में रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए.
इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत में अब तक चार जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं. वकील एम. एल. शर्मा, विशाल तिवारी, कांग्रेस नेता जया ठाकुर और खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाले मुकेश कुमार ने ये याचिकाएं दायर की हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने अडानी समूह के शेयरों में गिरावट के बीच 10 फरवरी को कहा था कि भारतीय निवेशकों के हितों की रक्षा की जरूरत है.
कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित कर नियामकीय तंत्र को मजबूत करने के लिए विचार करने के लिए कहा था. इस पर केंद्र ने सहमति जताई लेकिन जब 17 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट को प्रस्तावित विशेषज्ञ पैनल के नामों को लेकर केंद्र की तरफ से सीलबंद लिफाफे में सुझाव दिया गया तो कोर्ट ने उसे सिरे से खारिज कर दिया. इसके बाद शीर्ष अदालत ने विषय विशेषज्ञों की समिति बनाने को लेकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर फर्जी लेनदेन और शेयर की कीमतों में हेरफेर सहित कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इन आरोपों के बाद से ही ग्रुप की कंपनियों के शेयर की कीमतों में भारी गिरावट देखी जा रही है. कई दिनों तक ग्रुप के कई शेयरों में लोअर सर्किट लगाने पड़े. बीच-बीच में किसी-किसी दिन कुछ शेयर रिकवर भी करते हैं. अडानी समूह ने खुद पर लगे सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि वह सभी कानूनों और सूचना सार्वजनिक करने संबंधी नीतियों को पालन करता है.
Edited by Vishal Jaiswal