विदेशी फुटबॉल क्लब ने किया अदिति चौहान को साइन, ऐसा करने वाली दूसरी भारतीय महिला फुटबॉलर हैं अदिति
अब विदेशी क्लब के लिए भी खेलती हुई नज़र आएंगी स्टार फुटबॉलर अदिति, युवाओं के लिए बन गईं हैं प्रेरणाश्रोत
"गोवा में साल 1992 में जन्मीं अदिति यूं तो अपने शुरुआती दिलों में बास्केटबॉल खेलती थीं, हालांकि उनके स्कूल शिक्षक के सुझाव के बाद उन्होने फुटबॉल की तरफ रुख कर लिया। फुटबॉल के साथ शुरू हुए सफर अदिति के लिए रोमांच से भरा हुआ रहा और इसी के साथ उन्होने पहली बार राज्य की अंडर-19 स्टेट टीम के ट्रायल के लिए खुद को पेश किया था।"
अंतर्राष्ट्रीय भारतीय गोलकीपर अदिति चौहान अब दूसरी ऐसी भारतीय महिला फुटबॉल खिलाड़ी बन गईं हैं जो विदेशी क्लब के साथ अनुबंध कर जल्द ही प्रोफेशनल तौर पर खेलती हुई नज़र आएंगी। मालूम हो कि अदिति का बचपन खेलों के आस-पास ही गुज़रा है और खेलों के प्रति इस लगाव के चलते उन्हें हमेशा से ही उनके परिवार का पूरा समर्थन भी मिला है।
अदिति राष्ट्रीय महिला फुटबॉल टीम की सदस्य हैं और अब वो जल्द ही आइसलैंड के फुटबॉल क्लब Hamar Hveragerdi से जुड़ने जा रही है। अदिति से पहले बाला देवी वो भारतीय महिला फुटबॉल खिलाड़ी थीं जिन्होने विदेशी क्लब के साथ अनुबंध किया था।
गोवा में साल 1992 में जन्मीं अदिति यूं तो अपने शुरुआती दिलों में बास्केटबॉल खेलती थीं, हालांकि उनके स्कूल शिक्षक के सुझाव के बाद उन्होने फुटबॉल की तरफ रुख कर लिया। फुटबॉल के साथ शुरू हुए सफर अदिति के लिए रोमांच से भरा हुआ रहा और इसी के साथ उन्होने पहली बार राज्य की अंडर-19 स्टेट टीम के ट्रायल के लिए खुद को पेश किया था।
एशियन गेम्स में चमका नाम
अदिति के अनुसार जब उन्होने फुटबॉल को बतौर करियर चुनने का फैसला किया, तब उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उनका भविष्य कैसा होने वाला है, लेकिन उन्हें यह समझ आ चुका था कि फुटबॉल ही उनका असली पैशन है।
महज 17 साल की उम्र में अदिति को साल 2008 में अंडर 19 स्तर पर भारतीय राष्ट्रीय महिला टीम का प्रतिनिधित्व करने का सुनहरा मौका भी मिल गया। मालूम हो कि अदिति साल 2016 में हुए साउथ एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम का अभिन्न हिस्सा थीं।
अपनी इस यात्रा के अनुभव के बारे में बात करते हुए अदिति ने बताया है कि बतौर प्रोफेशनल फुटबॉलर एक खिलाड़ी तमाम उतार-चढ़ावों से गुज़रता है और महिला खिलाड़ियों के लिए यह थोड़ा अधिक जटिल हो सकता है। ऐसे में खिलाड़ियों को एक सपोर्ट सिस्टम की भी जरूरत होती है।
लड़कियों के लिए शुरू की एकेडमी
अदिति के अनुसार वह खुश हैं कि आज लोग उन्हें फुटबॉल की वजह से जानते हैं और वो अपने जीवन में जो भी हासिल कर सकीं हैं उसमें फुटबॉल का बड़ा हाथ है। वो इस सब के लिए फुटबॉल की अहसानमंद हैं।
अदिति कहती हैं कि वो खुश हैं और उन्हें इस बात का संतोष है कि उन्होने अपने पैशन को फॉलो किया और अपने लिए खुद ही रास्ता बनाया।
आज एक के बाद एक तरक्की के तमाम मुकाम छू रहीं अदिति अब अपनी खुद की फुटबॉल एकेडमी ‘She Kicks Football’ के जरिये खेल के प्रति लगाव रखने लड़कियों के हुनर को तराशने का काम कर रही हैं। अदिति की देखरेख में आज बड़ी संख्या में लड़कियां अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रही हैं।
अदिति के अनुसार जब वो बड़ी हो रही थीं तब उनके पास किसी भी तरह की कोचिंग नहीं थी, लेकिन वो अब इन युवा लड़कियों को उनके खेल को निखारने में पूरा सहयोग करना चाहती हैं।
Edited by Ranjana Tripathi