40 लाख किसानों को 6 हजार करोड़ का लोन दे चुका है इस एक्स बैंकर का एग्री-फिनटेक स्टार्टअप
चेन्नई स्थित एग्री-फिनटेक स्टार्टअप Samunnati छोटे किसानों और एग्री-SMEs की कार्यशील पूंजी की जरूरतों को हल कर रहा है। इसने 20 भारतीय राज्यों में 54 कृषि मूल्य श्रृंखलाओं को प्रभावित किया है।
अनुभवी बैंकर अनिल कुमार एसजी रूरल फाइनेंस से 2007 में परिचित हुए, जब उन्होंने IFMR ट्रस्ट ज्वाइन किया। यहां उन्हें एक सूक्ष्म-वित्त समाधान विकसित करने का काम सौंपा गया, जिसे क्षेत्रिय ग्रामीण फाइनेंशियल सर्विसेज (KGFS) के रूप में जाना जाता है।
काम के तौर पर, उन्हें और उनकी टीम को भारत के निम्न-आय वाले परिवारों को प्रोफाइल करना था और उनकी संपत्ति और देनदारियों को ट्रैक करना था।
वह YourStory को बताते हैं, "तब हमें एहसास हुआ कि एक घर अकेले में काम नहीं करता बल्कि वह एक पारिस्थितिकी तंत्र का एक हिस्सा होता है। इसलिए, संपूर्ण मूल्य श्रृंखला के साथ जुड़ना महत्वपूर्ण था।"
आज सात साल बाद, 2014 से अनिलकुमार अपनी उद्यमशीलता की यात्रा शुरू करने के लिए उस मूल्य-श्रृंखला के दृष्टिकोण को अपना रहे हैं।
उन्होंने समुन्नति (Samunnati) की स्थापना की। यह एक एग्री-फिनटेक स्टार्टअप है जो भारत के छोटे धारक किसानों के लिए बाजार संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में काम करता है। यह स्टार्टअप कृषि मूल्य श्रृंखला (agri value chain) के हर चरण में क्रेडिट को अधिक सुलभ बनाता है, और अंततः कृषि को “उच्चतर संतुलन में संचालित” करने में मदद करता है, अर्थात् अधिक कुशल बनता है।
समस्या जिसे यह हल करता है
चेन्नई स्थित स्टार्टअप का लक्ष्य भारत के मौजूदा कृषि फाइनेंसरों और किसान कल्याण नीतियों से अलग होना था।
अनिलकुमार बताते हैं, “भारत में कृषि ऋणदाताओं के साथ समस्या किसानों को लेकर उनकी समझ से है। ज्यादातर छोटे मालिक किसान जमींदार नहीं हैं। वे सिर्फ किराएदार हैं। लेकिन, उन्हें पूरी ऋण राशि के लिए जवाबदेह बनाया जाता है फिर चाहे फसल की पैदावार हो या नहीं।”
नतीजतन, भारत में किसान न केवल कर्ज में डूबा हैं, बल्कि औपचारिक ऋण तक भी उनकी सीमित पहुंच है। अध्ययनों से पता चलता है कि केवल 11 प्रतिशत कृषि आबादी के पास संगठित ऋणदाताओं और कृषि ऋणों की पहुंच है।
यह वह समस्या है, जिसे समुन्नति अपने कृषि-वित्त उत्पादों के साथ हल करना चाहता था।
फसल ऋण या कृषि इनपुट ऋण को खैरात की तरह देने वाले पारंपरिक ऋणदाताओं के विपरीत, यह छोटे धारक किसानों की विशिष्ट जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करता है और उनके लिए वित्तीय उत्पादों को डिजाइन करता है जो संपार्श्विक (collateralised) नहीं होते हैं।
यह संपूर्ण कृषि मूल्य श्रृंखला पर प्रभाव बनाने के लिए एफपीओ और एग्री-एसएमई की कार्यशील पूंजी की जरूरतों को भी हल करता है। स्टार्टअप के संस्थापक कहते हैं, "औपचारिक ऋण की पहुंच के मामले में बहुत कुछ नहीं बदला है, लेकिन जो बदल गया है वह यह कि किसानों तक पहुंचने की हमारी क्षमता बढ़ी है।"
विकास और प्रभाव
तकनीक का उपयोग करते हुए, समुन्नति ने 20 राज्यों में 700 से अधिक एफपीओ (सप्लाई साइड पर) और 1,500+ कृषि उद्यमों (डिमांड साइड पर) तक अपनी पहुंच का विस्तार किया है। छह वर्षों में, इसने 6,000 करोड़ रुपये के ऋण का वितरण किया है और भारत में 54 कृषि मूल्य श्रृंखलाओं में चार मिलियन (40 लाख) किसानों के जीवन को प्रभावित किया है।
स्टार्टअप की मौजूदा नेटवर्थ 505 करोड़ रुपये है। इसने एफपीओ के उत्पादन की लागत में 7-15 प्रतिशत की कटौती की है, और मौसम, फसलों और जलवायु के आधार पर कृषि उत्पादकता में सुधार किया है।
समुन्नति ग्राहक एक से 100 दिनों के लिए कार्यशील पूंजी का लाभ उठा सकते हैं। इसके औसत ऋण का साइज लगभग 70 लाख रुपये और व्यक्तिगत लेनदेन 5-10 लाख रुपये है।
संस्थापक बताते हैं, "हमारा लक्ष्य प्रवाह क्षमता को अधिक बनाना है, और मूल्य श्रृंखला में सभी के लिए कार्यशील पूंजी बाधाओं को दूर करना है।" स्टार्टअप एक B2B2C मॉडल पर काम करता है, और वर्तमान में इसकी मंथली रन रेट (MRR) 250 करोड़ रुपये है।
समुन्नति का प्राथमिक राजस्व ब्याज से आय (13-18 प्रतिशत) है, यह स्टार्टअप ऋण पर कमाता है, और लेनदेन होने पर बाजार लिंकेज शुल्क लेता है। वे कहते हैं, "हम अपने एमआरआर को हर साल दोगुना करते हैं।"
इकोसिस्टम को जोड़ने के लिए प्लेटफॉर्म
पिछले अगस्त में, समुन्नति ने एग्रीटेक स्टार्टअप्स के बीच जुड़ाव और उत्साह को बढ़ाने के लिए अपने मालिकाना 'समारंभ' (Samaarambh) प्लेटफॉर्म की शुरुआत की। ये स्टार्टअप अनुकूलित कार्यशील पूंजी का लाभ उठा सकते हैं, सलाहकार और सलाह प्राप्त कर सकते हैं और प्लेटफॉर्म के माध्यम से व्यापक वितरण नेटवर्क में टैप कर सकते हैं। 230 से अधिक स्टार्टअप अब तक समारंभ पर पंजीकृत हैं।
दिसंबर में, समुन्नति ने एग्री एलिवेट भी लॉन्च किया, जिसे संस्थापक "कृषि में सभी सेवा प्रदाताओं की आभासी निर्देशिका" कहते हैं। अभी के लिए यह प्लेटफॉर्म गैर-लेन-देन वाला है, और एग्री इकोसिस्टम में मौजूद सूचना विषमता को हल करने का लक्ष्य रखता है।
अनिलकुमार बताते हैं, “एफपीओ पारिस्थितिकी तंत्र के ऐसे खिलाड़ियों से अनभिज्ञ हैं जो कृषि मशीनरी से कृषि इनपुट्स के उनके मुद्दों को संबोधित कर सकते हैं। एग्रीटेक स्टार्टअप्स के पास उन किसानों तक आसान पहुंच नहीं है जो उनकी सेवाओं के ग्राहक हैं।” इसलिए, कृषि एलीवेट सभी प्रकार के कृषि सेवा प्रदाताओं के लिए एक सर्च इंजन के रूप में कार्य करता है जहां एक-दूसरे की खोज कर उनसे बातचीत करते हैं।
फंडिंग राउंड्स और मार्केट के हालात
समुन्नति एक अच्छी तरह से वित्त पोषित स्टार्टअप है, जिसने 2016 के बाद से 40 निवेशकों से ऋण और इक्विटी वित्त दोनों उठाया है। जनवरी 2021 में अपने आखिरी फंडिंग राउंड में, इसने FMO: एंटरप्रेन्योरियल डेवलपमेंट बैंक और ट्रायडोस इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट से 89.6 करोड़ रुपये का ऋण जुटाया।
यह अपने कम आय वाले किसान नेटवर्क के विस्तार के लिए इस फंड का उपयोग करेगा।
एफएमओ में चीफ इनवेस्टमेंट ऑफिसर, हबीब-जान डी रुत्जर (Huib-Jan de Ruijter) ने फंडिंग के समय कहा, "समुन्नति को ऋण देना इस क्षेत्र में वित्त की पहुंच में सुधार के हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करता है, जिसे कि अधिक से अधिक वित्त की आवश्यकता है।"
इससे पहले, स्टार्टअप ने सितंबर 2020 में यूएस इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (डीएफसी) के नेतृत्व में 20 मिलियन डॉलर का ऋण वित्तपोषण राउंड जुटाया था। और इससे पहले, इसने एलेवेर, एक्सेल, रिस्पांसबिलिटी, नूवेन, और अन्य सोशल इम्पैक्ट इन्वेस्टर्स से एक सीरीज डी राउंड जुटाया था।
दक्षिण एशिया क्षेत्र, डीएफसी के प्रबंध निदेशक, अजय राव ने कहा, “हम भारत में कृषि मूल्य श्रृंखला वित्त में समुन्नति के अग्रणी काम से प्रभावित हैं, जो कृषि मूल्य श्रृंखलाओं को और अधिक कुशल बनाने में योगदान देता है, मूल्य श्रृंखला के माध्यम से अधिक उत्पादन को सक्षम बनाता है, भोजन की बर्बादी को कम करता है, और छोटे धारक किसानों के लिए उच्च और स्थिर आय प्रदान करता है।”
फंडिंग के बड़े राउंड को समुन्नति स्थानीय और वैश्विक निवेशकों से जुटाने में सक्षम रहे हैं।
संस्थापक कहते हैं, “किसी को भी एग्रीटेक के बारे में आश्वस्त करने की आवश्यकता नहीं है। यदि आप सहयोग करते हैं तो क्षमता और अवसर की भरमार है। छोटे किसानों और कृषि व्यवसायियों को मिलाकर, यह 245 बिलियन डॉलर का बाजार है।”
एग्रीटेक ने पिछले दो से तीन वर्षों में "इकोसिस्टम-स्तरीय जीवंतता" देखी है, और इस दशक में तेजी से विकास के लिए तैयार है। अनिलकुमार कहते हैं, "यह भारतीय कृषि के लिए सिलिकॉन वैली मूमेंट है।"