हाई स्कूल पास करते ही स्टार्टअप की दुनिया से जुड़ गए थे MakeMyTrip के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट जसमीत सिंह
जानिए कैसे 17 साल की उम्र में स्टार्टअप से जुड़कर अपने सपनों को जी रहा है दिल्ली का यह लड़का...
"MakeMyTrip के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट जसमीत सिंह ने हाई स्कूल पास करने के तुरंत बाद टीनएज में ही गुरुग्राम स्थित एक स्टार्टअप के साथ अपने करियर की शुरुआत की थी। जसमीत के लिए यह एक पार्ट-टाइम जॉब थी क्योंकि 3-4 महीने बाद उन्हें कॉलेज भी शुरु करना था, लेकिन नियति ने शायद जस्सी के लिए कुछ और ही प्लान कर रखा था और वे इस कंपनी को कभी नहीं छोड़ पाए। आज 20 साल बाद यह कंपनी बड़ी होकर अमेरिकी शेयर बाजार 'नैस्डेक (Nasdaq)' में लिस्टेड हो चुकी है और जसमीत इसके सीनियर वाइस प्रेसिडेंट है।"
जसमीत सिंह की उम्र आज 37 वर्ष है। हालांकि जब उन्होंने मेकमायट्रिप (MakeMyTrip) ज्वाइन किया था, तब वे एक टीनएजर थे। आज MakeMyTrip की गिनती इंटरनेट आधारित देश की शुरुआती सफल कंपनियों में होती है। जब जसमीत ने इसे ज्वाइन किया था तब यह गुरुग्राम में एक ऑफिस में खुला अनजान सा स्टार्टअप था, जिसे 30 वर्षीय एक अनजान उद्यमी दीप कालरा ने शुरू किया था। आज गुरुग्राम मुख्यालय वाला यह स्टार्टअप देश की सबसे बड़ी ट्रैवल बुकिंग कंपनी बन गया है, और दीप कालरा आज ऑनलाइन ट्रैवल इंडस्ट्री के पोस्टर बॉय हैं।
आधिकारिक रूप से मेकमायट्रिप की शुरुआत इस सहस्राब्दी के साथ हुई थी। अगर ज्यादा सटीकता से कहा जाए, तो अप्रैल 2020 में इस कंपनी को खोला गया था। जसमीत ने उसी महीने एक इंटर्न के रूप में इस कंपनी को जॉइन किया था और उन्हें डेटा एंट्रीज से जुड़े काम सौंपा गया था।
जसमीत के लिए यह एक पार्ट-टाइम जॉब थी क्योंकि 3-4 महीने बाद उन्हें कॉलेज में जाना था। लेकिन नियति ने शायद जस्सी (जसमीत को लोग इसी नाम से बुलाते हैं) के लिए कुछ और ही प्लान रखा था और वे इस कंपनी को कभी नहीं छोड़ पाए। आज 20 साल बाद यह कंपनी बड़ी होकर अमेरिकी शेयर बाजार 'नैस्डेक (Nasdaq)' में लिस्टेड हो चुकी है और जसमीत इसके सीनियर वाइस प्रेसिडेंट है।
23 साल की उम्र आते-आते जस्मीत ने अपनी पहली कार (एक हुंडई सैंट्रो) खरीद ली; 25 साल की उम्र में उन्होंने अपने सपनों का घर बना लिया (गुरुग्राम के DLF फेज 2 के बगल में); और 32 साल की उम्र में उनके पास अपनी ड्रीम कार बीएमडब्ल्यू 3 सीरीज एम स्पोर्ट आ गई थी। और सबसे अच्छी बात है कि ये सबकुछ उन्होंने अपने दम पर अपने पैसों से हासिल किया। जिसका श्रेय जसमीत मेकमायट्रिप और और इसकी रिस्ट्रिक्टेड स्टॉक युनिट्स (RSU) पॉलिसी को देते हैं, जिसकी वजह से वे ये सब करने में सफल हो पाए।
मेकमायट्रिप में ग्रुप चीफ ह्यूमन रिसोर्स ऑफिसर युवराज श्रीवास्तव ने बताया,
"हम दुनिया के उन कुछ गिने चुने संगठनों में से एक है, जहां एंप्लॉयी अपनी सालाना कमाई के अलावा रिस्ट्रिक्टेड स्टॉक युनिट्स के जरिए भी संपत्ति बना सकते हैं। स्टॉकहोल्डर्स अपने आरएसयू को कभी भी भुना सकते हैं और उन्हें इसके लिए बायबैक का इंतजार भी नहीं करना होता है।"
गुरुग्राम मुख्यालय वाली कंपनी का यह स्टॉक प्रोग्राम डायरेक्टर लेवल से ऊपर और एसोसिएट डायरेक्टर स्तर या उससे नीचे के कुछ चुनिंदा कर्मचारियों के लिए है। निदेशकों और उनसे ऊपर के कर्मचारियों को चार साल की अवधि वाली योजना ऑफर की जाती है, जहां शेयरों को रिस्ट्रिक्टेड स्टॉक युनिट्स और परफॉर्मेंस स्टॉक युनिट्स (PSU) में बांटा जाता है।
युवराज ने बताया,
“75 प्रतिशत स्टॉक आरएसयू हैं जो चार साल की अवधि में समान रूप से निहित हैं और बाकी सभी शेयर पीएसयू के तहत आते हैं, जो तीन साल के लिए निहित हैं। एसोसिएट डायरेक्टर्स और उससे निचले स्तर के कर्मचारियों को चार साल वाला प्रोग्राम ऑफर किया जाता है, जहां पहले साल में 10 फीसदी स्टॉक दूसरे साल में 20 फीसदी, तीसरे साल में 30 फीसदी और चौथे साल में 40 फीसदी शेयर निहित होते हैं।"
आवंटन के संदर्भ में बाक करें तो, सीनियर मैनेजमेंट लेवल पर सभी कर्मचारियों को स्टॉक दिए जाते हैं, जबकि मिड-लेवल मैनेजमेंट में कर्मचारियों के प्रदर्शन के आधार पर शेयर आवंटित किए जाते हैं। लॉ फर्म 'लिंकिलॉ सॉलिसिटरर्स' ने बताया कि शेयर निहित (स्टॉक वेस्टिंग) उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें किसी कर्मचारी, निवेशक, या को-फाउंडर्स को शेयरों या स्टॉक ऑप्शन में रिवॉर्ड दिया जाता है, लेकिन इसपर उन्हें पूरा अधिकार एक निश्चित अवधि या कुछ मामलों में किसी निश्चित उपलब्धि को हासिल करने के बाद मिलता है।
जस्सी का सफर
जस्सी नई दिल्ली के लाजपत नगर में एक मिडिल क्लास परिवार में पले बढ़े हैं। 12वीं की परीक्षा के बाद गर्मियों की छुट्टी के दौरान जस्सी ने 'इंस्टीट्यूट फॉर ट्रैवल ट्रेड' में एक छह महीने के डिप्लोमा कोर्स में दाखिला ले लिया था। उन दिनों मेकमायट्रिप शुरू ही हुआ था और वे डेटाबेस एंट्री ऑपरेटर को हायर करने के लिए 'ट्रैवल स्कूलों' से संपर्क कर रहे थे।
जस्सी ने बताया,
“उन दिनों एपीआई (एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) टेक्नोलॉजी नहीं थे। सभी ट्रिप से जुड़े कार्यक्रम को खुद ही सिस्टम में फीड किया जाता था। वे ऐसे लोगों की तलाश में थे, जिसे तीन-अक्षर वाला IATA (इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन) कोड पता हो।"
वह एक पार्टटाइम नौकरी में 4,000 रुपये कमा रहे थे, जो सन 2000 में एक टीनएजर को, 'बहुत सारा पैसा' लग रहा था। जस्सी पर परिवार की ओर से नौकरी छोड़ कॉलेज जाने का दबाव था, लेकिन वो इसी नौकरी में रहना चाहते थे।
वह अपने टीनएज के दिनों को याद कर हंसते हुए बताते हैं,
“मुझे तब यह किसी लॉटरी जैसी लग रही थी। हम देर रात तक काम करते थे, कई बार तो रात भर। मैं अगले तीन महीनों के लिए 'होटल डेटाबेस' में चला गया। छह महीने पूरे करने के बाद मैंने फैसला कर लिया कि इस इस नौकरी को छोड़ने का तो कोई सवाल ही नहीं है।"
जस्सी ने करीब एक साल डेटाबेस ऑपरेटर के रूप में काम किया और फिर वह सेल्स में चले गए। उनका सेल्स में जाना भी संयोग ही था क्योंकि एक सेल्स डिपार्टमेंट का एक आदमी बीमार हो गया और उन्हें उसकी जगह भेजा गया था। उन्होंने पहली ही रात एक बिक्री हासिल कर ली और जल्द ही वह कंपनी के टॉप सेलर्स बन गए। इसके बाद जल्द ही वह सुपरवाइजर और फिर टीम लीडर बन गए।
जस्मीत अपनी नौकरी में अच्छआ कर रहे थे और उन्हें इसके लिए पहचान भी मिल रही थी। हालांकि इसके बावजूद परिवार की ओर से उनपर कॉलेज की शिक्षा पाने का दबाव बढ़ रहा था। उन्होंने बताया "मेरे माता-पिता काफी गुस्सा थे।" हालांकि जस्सी कॉलेज जाने के लिए अपनी नौकरी छोड़ने को तैयार नहीं थे। इसलिए 2002 में, उन्होंने अन्नामलाई विश्वविद्यालय से डिस्टेंस एजुकेशन के जरिए बैचलर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (बीबीए) में एडमिशन ले लिया और इसे चार साल में पूरा किया।
वह कहते हैं,
"मुझे अपने जॉब से काफी संतुष्टि थी और मैं इसी पर (नौकरी पर) ध्यान केंद्रित करना चाहता था। मैं अपने माता-पिता को समझाने में कामयाब रहा।”
पिछले दो दशकों में, जस्सी ने सेल्स और दूसरे डिपार्टमेंट में कई भूमिकाएं निभाए। बाद में वह मेकमायट्रिप में उद्यमशीलता की भूमिकाएं निभाने लगे, इसमें कुछ वर्टिकल के ऑपरेशन और और बिजनेस डिवेलपमेंट में बदलाव कपना भी शामिल था। गोआईबिबो के मर्जर से पहले उन्हें मेकमायट्रिप में अल्टरनेटिव अकोमोडेशन (एयरबीएनबी की तरह) बिजनेस की देखरेख का जिम्मा सौंपा गया था। मेकमायट्रिप ने अपनी राइवल कंपनी गोआईबिबो का 2016 में अधिग्रहण किया था।
इंटर्न से सीनियर वाइस प्रेसिडेंट तक का सफर करने वाले जस्सी का सफर काफी आकर्षक रहा है। हालांकि इसके बावजूद जस्सी का कहना है कि कई ऐसे वर्ष थे, जब उन्होंने खुद को एक निश्चित भूमिका या पद में फंसा हुआ महसूस किया। वे कहते हैं, "हालांकि यह सभी सफर का अभिन्न अंग होते हैं और सभी का महत्वपूर्ण स्थान होता है। जस्सी फिलहाल मेकमायट्रिप में हॉलिडे बिजनेस के लिए सभी सेल्स और कस्टमर एक्सपीरियंस से जुड़े कामों को देखते हैं। उन्हें यह भूमिका पिछले साल ही सौंपी गई है।
लॉक, स्टॉक और बैरल
कई भारतीय स्टार्टअप्स अब सभी को स्टॉक देने की बात कहते हैं। हालांकि इन्हें अभी भी काफी कुछ करना बाकी है। अधिकतर अमेरिकी स्टार्टअप पूरे बोर्ड को ईसॉप्स (एंप्लॉयी स्टॉक ओनरशिप स्कीम्स) ऑफर करते हैं। हालांकि यह भी सही है कि कई देश के स्टार्टअप् ईकोसिस्टम में अब ऐसी कई कंपनियां आ गई है, जो सभी के लिए स्टॉक ऑप्शन ला रही हैं। उदाहरण के लिए, ऑनलाइन पेमेंट स्टार्टअप फोनपे ने हाल ही में अपने सभी 2,200 कर्मचारियों को स्टॉक आवंटित करने के लिए 200 मिलियन डॉलर के एक योजना की घोषणा की है।
सभी के लिए स्टॉक ऑफर करने की पॉलिसी की शुरुआत देश में जिन कंपनियों ने सबसे पहले की, उसमें कैलिफोर्निया और नई दिल्ली स्थित स्लाइड शेयरिंग स्टार्टअप, स्लाइडशेयर था। इसे 2012 में लिंक्डइन ने 119 मिलियन डॉलर में अधिग्रहण कर लिया था। इस कंपनी की शुरुआत 2016 में हुई थी, जब शायद 'स्टार्टअप' शब्द से भी देश में अधिक लोग परिचित नहीं थे। स्लाइडशेयर ने उस समय फैसला किया था कि पहले दिन से ही कंपनी के सभी कर्मचारियों के पास 'स्टॉक ऑप्शन' रहेगा।
फ्लिपकार्ट के पूर्व कार्यकारी अधिकारी सतीश केवी और कंपनी में ESOP पॉलिसी का नेतृत्व करने वाले सतीश के वी बताते हैं कि स्टॉक न केवल शीर्ष प्रतिभाओं को आकर्षित करने, बल्कि उन्हें लंबे समय तक कंपनी के साथ जोड़े रखने के लिए भी एक शानदार तरीका है। सतीश का मानना है कि स्टार्टअप ईकोसिस्टम के लिए ईसॉप्स लिक्विडिटी प्रोग्राम का योगदान बेहद शक्तिशाली है। सतीश फिलहाल एक एचआर टेक स्टार्टअप स्पॉटेबल के को-फाउंडर और चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर हैं। उन्होंने बताया, "यह एक महत्वपूर्ण उपकरण है और स्टार्टअप कर्मचारियों के लिए पैसा बनाने का एक बड़ा अवसर भी है।" फ्लिपकार्ट ने अपने ESOP लिक्विडिटी इवेंट्स के जरिए पिछले कुछ सालों से 200 से अधिक उद्यमियों को देखा है।
सतीश ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि ESOP को अभी भी बड़े स्थापित संगठनों से प्रतिभाओं को आकर्षित कर स्टार्टअप में लाने में लंबा रास्ता तय करता है। खासतौर से "जब ये कागजी मुद्राएं पहले के समय की तुलना में आज अधिक वास्तविक हैं।"
LetsVenture के डायरेक्टर, गणेश नायक के विचार भी सतीश से मिलते जुलते हैं। वे कहते हैं,
“कर्मचारी अपने करियर के साल स्टार्टअप को देते हैं और कंपनी निर्माण प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सिर्फ इक्विटी ओनरशिप के जरिए, कर्मचारी उद्यमिता से जुड़े जोखिम और इनाम से वास्तविकता में जुड़ पाते हैं। अच्छे टैलेंट के लिए, सैलरी एक कमोडिटी की तरह होता है; कंपनियों को उन्हें आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए इक्विटी की पेशकश करने की आवश्यकता है।”
बता दें कि लेट्सवेंटर बेंगलुरु स्थित एक स्टार्टअप फंडिंग प्लेटफॉर्म है।
जस्सी को ईसॉप्स का अपना पहला सेट 2004-05 में मिला। वह स्वीकार करते हैं कि उन्हें उस समय बस इतना ही समझ आया कि 'जब यह शेयर हो जाएगा, तो यह पैसे में बदल जाएगा।' क्लीयरटैक्स कंपनी बताती है कि एक कर्मचारी के नजरिए से ईसॉप्स एक पॉलिसी है, जिससे किसी कर्मचारी को मामूली दर पर कंपनी के शेयर हासिल करने का लाभ मिलता है। साथ ही उसे बेचकर (अपने नियोक्ता द्वारा तय किए गए निर्धारित समय के बाद) लाभ कमाने का भी मौका मिलता है।
जस्सी बताते हैं,
"जब ये शेयर भुनाए जाते हैं, तो अचानक से आपको एहसास होता है कि आपके पास बहुत सा पैसा आ गया है। आपको अपने बैंक खाते में लाखों रुपये बढ़े हुए दिखाई देते हैं।"
मेकमायट्रिप 2010 में न्यूयॉर्क शहर स्थित नैस्डैक शेयर बाजार में लिस्टेड हुआ था। जस्सी उस समूह का हिस्सा था जिसने लिस्टिंग समारोह के लिए न्यूयॉर्क की यात्रा की थी। लिस्टिंग के बाद, ट्रैवल बुकिंग कंपनी ने शीर्ष बिजनेस स्कूलों से लोगों को हायर करना शुरू कर दिया।
जस्सी ने बताया,
"आपके दिमाग में ये चीज तो आती ही है कि आप इन टॉप बिजनेस स्कूल वालों से कैसे मुकाबला करेंगे। मैंने अपने आप को समझाया कि मुझे अब एक कदम आगे रहने की जरूरत है। चीजों को समझने के लिए अतिरिक्त घंटे बिताने की जरूरत है, ताकि मैं इसमें सबसे आगे रह सकूं।"
फाउंडर दीप कालरा को अक्सर कंपनी के टाउन हाल में यह कहते हुए सुना जाता है कि मेकमायट्रिप सिर्फ डिग्री देखकर प्रभावित नहीं होती है। जस्सी निश्चित रूप से उनकी इस बात का सबूत हैं।
Edited by Ranjana Tripathi