काम और व्यक्तिगत जीवन के बीच सामंजस्य और संतुलन में क्या है अंतर? जवाब सुनिए ख़ुद ऐमज़ॉन इंडिया के कर्ता-धर्ता अमित अग्रवाल से!
पिछले 6 सालों में भारत में, ग्लोबल ई-टेलर ऐमज़ॉन इंडिया ने अभूतपूर्व विकास दर हासिल की है। ऐमज़ॉन इंडिया के कर्ता-धर्ता अमित अग्रवाल बताते हैं कि भारत में ऐमज़ॉन के विकास को; इनोवेशन, सेलर और कस्टमर आधारित पहल, इन्फ़्रास्ट्रक्चर और टेक्नॉलजी के ऊपर 5 बिलियन डॉलर से अधिक निवेश की मदद से तेज़ रफ़्तार दी गई।
अमित अग्रवाल के नेतृत्व में ई-कॉमर्स के क्षेत्र में भारत सबसे तेज़ी के साथ बढ़ने वाला बाज़ार है। ऐमज़ॉन इंडिया ने भारत के दूरस्थ इलाकों तक अपनी गहरी पैठ बना ली है और अब यह भारत में सबसे अधिक ट्रांजैक्शन वाला इंटरनेट ब्रैंड हो चुका है। अमित इसका श्रेय, ऐमज़ॉन की ग्राहक आधारित नीतियों को देते हैं।
ऐमज़ॉन के ग्लोबल सीनियर वाइस प्रेज़िडेंट और ऐमज़ॉन इंडिया के कंट्री मैनेजर अमित अग्रवाल, कंपनी के साथ लगभग दो दशकों से जुड़े हुए हैं और इस वक़्त का एक लंबा हिस्सा उन्होंने बतौर टेक्निकल अडवाइज़र, ख़ुद ऐमज़ॉन के फ़ाउंडर, जेफ़ बेज़ोस के साथ बिताया है। अमित न सिर्फ़ कथित तौर पर ऐमज़ॉन के ग्राहक-आधारित ई-टेलर नीतियों और उसके फ़ाउंडर की प्रेरणाओं की वक़ालत करते हैं, बल्कि उसी कल्चर को जीते हैं और उसका अनुसरण भी करते हैं।
योरस्टोरी की फ़ाउंडर और सीईओ श्रद्धा शर्मा के साथ हुई एक एक्सक्लूसिव बातचीत में, अमित ने कंपनी के कल्चर और अन्य विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर बात की। पेश हैं बातचीत के कुछ अंशः
श्रद्धा शर्माः आपने बताया कि ऐमज़ॉन में काम करने वाले लोगों को शाम 6 बजे से सुबह 8 बजे तक ऑफ़िस के ई-मेल्स का जवाब नहीं देना होता ताकि वे अपने काम और जीवन के बीच में सही सामंजस्य स्थापित कर सकें। क्या सच में ऐसा होता है?
अमित अग्रवालः सभी लोग बात को ठीक तरह से समझ सकें, इसलिए मैं इसकी भूमिका स्पष्ट कर देता हूं। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि लोग किसी उद्देश्य के साथ अंदर से स्फूर्ति और ऊर्जावान महसूस कर सकें और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दिखा सकें और इसलिए, आप जिस कल्चर की बात आमतौर पर करते हैं, दरअसल उसे काम और व्यक्तिगत जीवन के बीच संतुलन का कल्चर नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह बहुत ही सतही बात हो जाएगी। आपको इस संतुलन को बनाने के लिए काम और जीवन के बीच सही सामंजस्य की ज़रूरत पड़ती है। क्यों न हम, इसे सही संदर्भ में देखें और समझें!
सामंजस्य तब ही हासिल हो सकता है, जब आप अपनी पसंदीदा चीज़ में पूरे दिल से डूबे हों। इसलिए जब आप अपने परिवार के साथ हों, तब आप उन पर ही पूरा ध्यान रखें। इसके बाद, जब आप काम पर हों, तब आप पूरी तरह से काम में दिल लगाएं। साथ ही, सामंजस्य हासिल करने के लिए, हमारे लिए यह बहुत ही ज़रूरी है कि हम लोगों के व्यक्तिगत जीवन और समय का सम्मान करें।
ऐसा कई बार होता है कि हम साथ मिलकर कई दिनों तक बिना घड़ी देखे काम करते हैं, क्योंकि वह वक़्त की ज़रूरत होती है, लेकिन हमेशा के लिए ऐसा नियम नहीं बनाया जा सकता।
श्रद्धा शर्माः आप एक महीने में 15 दिन यूएस में बिताते हैं और 15 दिन भारत में। ऐसे में आप काम और व्यक्तिगत जीवन के बीच सामंजस्य कैसे स्थापित कर पाते हैं?
अमित अग्रवालः आप मेरी यात्रा के कार्यक्रम के बारे में जैसा सोच रहे हैं, दरअसल यह उतना मुश्क़िल है नहीं। लेकिन हां, मुझे बहुत यात्राएं करनी पड़ती हैं। पहली बात तो यह कि मैं वह काम कर रहा हूं, जिसे करने का मेरा सपना था। मैं नहीं जानता कि ऐसे कितने लोग हैं, जो इतने बड़े स्तर पर प्रभाव डालने की योग्यता का दावा कर सकते हैं।
मैं जो काम कर रहा हूं और जिन चुनौतियों का सामना करता हूं, उनसे मुझे ऊर्जा मिलती है। मैं ख़ुद 6 बजे ऑफ़िस से घर चला जाता हूं ताकि मैं अपने परिवार और बच्चों के साथ मस्ती कर सकूं और उनके साथ अच्छा समय बिता सकूं और जब मैं काम पर होता हूं, तब मैं सिर्फ़ काम के बारे में सोचता हूं और पूरी तन्मयता के साथ सिर्फ़ काम करता हूं।
तो मैं मानता हूं कि इस बात से फ़र्क नहीं पड़ता कि आप कितना समय कहां बिता रहे हैं, फ़र्क इस बात से पड़ता है कि आप कितना अच्छा समय बिता रहे हैं। मैं इस संतुलन को बनाने का प्रयास करता हूं।
श्रद्धा शर्माः पिछले 6 सालों से भारत में ऐमज़ॉन की कमान संभाल रहे हैं। व्यक्तिगत रूप से आप भारत में अपने अनुभव के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
अमित अग्रवालः मेरा मानना है कि हमें हर तरह की सीख मिलती हैं। मैं आपसे बिज़नेस संबंधी कई सीखों के बारे में बात की, जो मुझे यहां काम करने के दौरान मिलीं। व्यक्तिगत रूप से मैं यह मानता हूं कि पिछले 6 सालों में, मैंने ग्राहक आधारित नीतियों, नए प्रयोगों और खोज, दूरगामी सोच के संबंध में अपनी सीमाएं जानीं और उन्हें परखा।
मैं मानता हूं कि जब तक आप अपनी सीमाओं को चुनौतियां नहीं देंगे और उन्हें परखने की कोशिश नहीं करेंगे, तब तक आपको अपनी सीमाओं का पता ही नहीं लगेगा। यही वजह है कि मैं सीखने की प्रक्रिया के बारे में बहुत ही रोमांचित रहता हूं।
मुझे लगता है कि ऐमज़ॉन का उद्देश्य ई-कॉमर्स से कहीं अधिक बड़ा है। बिना किसी झुकाव के, मैं सच में यह मानता हूं कि यह चीज़ सच में लोगों की ज़िंदगियां बदल सकती है और वह भी एक सार्थक ढंग से। साथ ही, इसकी मदद से देश की अर्थव्यवस्था को भी बल मिल सकता है।