कोरोनावायरस: लोगों को फ्री में मास्क बनाकर दे रहा है बिहार का ये आर्मी मैन
ऐसे समय में जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी से लड़ रही है, वहां सुधीर कुमार जैसे आर्मी मैन भी हैं जो अपनी ड्यूटी से आगे बढ़कर जमीनी स्तर पर समस्याओं से लड़ने के लिए खड़े हैं। सुधीर भारतीय सेना में एक जूनियर कमीशंड अधिकारी (JCO) हैं।
43 वर्षीय, सुधीर कुमार वर्तमान में अमृतसर, पंजाब में तैनात हैं। उन्होंने बिहार के मोतिहारी जिले के जटवालिया गाँव में अपने घर जाने के लिए एक महीने की छुट्टी ली थी ताकि वे अपनी बेटी की शादी फाइनल कर पाएं। यहां तक कि सुधीर ने शादी के लिए 4 लाख रुपये का लोन भी लिया था, लेकिन लॉकडाउन के कारण यह अमल में नहीं आया।
इस बीच, सुधीर को उनकी यूनिट से मैसेज मिला कि देशव्यापी लॉकडाउन के कारण उनकी छुट्टी बढ़ा दी गई है। उसी समय, सुधीर और उनका परिवार लगातार अपने गाँव में कोरोनावायरस के प्रसार के बारे में खुद को अपडेट कर रहा था।
सुधीर कहते हैं, जहां उनके गाँव के लोगों को महामारी के बारे में जानकारी तो थी, लेकिन वे यह नहीं जानते थे कि वास्तव में यह है क्या और यह उन्हें कैसे प्रभावित करेगी। हालाँकि, वे सावधानी बरतने के बारे में जानते थे। लेकिन इसके चलते गाँव में फेसमास्क और अन्य आवश्यक चीजों की कमी हो गई।
सुधीर बताते हैं,
“जब हमने अपने बेटे को मास्क खरीदने के लिए भेजा, तो उन्होंने कहा कि ज्यादा मांग के कारण बाजार में मास्क की कमी थी। जो उपलब्ध थे, वे बहुत महंगे थे, और 200 रुपये ले रहे थे।"
लेकिन उन्होंने वायरस के फैलने के डर से महंगे मास्क खरीदने का फैसला किया।
सुधीर कहते हैं,
"मास्क देखने के बाद, हमने सोचा कि क्यों न उन्हें घर पर ही बनाया जाए।"
देश की सेवा
सुधीर के अनुसार, भारतीय सेना ने उन्हें न केवल सेना में काम करने के लिए प्रशिक्षित किया है, बल्कि कुछ साल पहले परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत सिलाई और बुनाई में उनकी पत्नी की मदद भी की। इससे उनकी पत्नी को बैग बनाने में मदद मिली और उससे उनके परिवार को अपनी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिली।
सुधीर कहते हैं कि उन्होंने अपने गांव में लोगों को मास्क बनाने और वितरित करने के लिए खुद को तैयार किया। घर पर एक सिलाई मशीन, मास्क बनाने के लिए कच्चा माल, और ऐसे मुश्किल समय में देश की सेवा करने की इच्छा - उनके पास यह सब था।
एक बार जब उन्होंने मास्क बनाना शुरू करने का फैसला किया, तो उन्हें कच्चा माल (raw material) उपलब्ध कराने वाला भी मिल गया। शुरुआत करने के लिए, सुधीर ने 20,000 रुपये का मटेरियल खरीदा, और अपने घर से कुछ सामान जैसे इलास्टिक, धागे आदि भी निकाले और अपनी पत्नी के साथ मास्क सिलना शुरू कर दिया।
वे कहते हैं,
"पहले हमारी योजना थी कि हम दो तीन दिन ऐसा करेंगे, लेकिन जब मुझे अपनी युनिट से मैसेज मिला कि लॉकडाउन के कारण मेरी छुट्टी बढ़ा दी गई है, तो मैंने इसे जारी रखने का फैसला किया।"
सुधीर कहते हैं कि भारतीय सेना के साथ काम करने के 25 वर्षों में, उन्होंने जो कुछ भी सीखा है वह है देश की सेवा करना, और यही उनके जीवन का दर्शन है। वे कहते हैं, "यह सभी लोगों की सेवा करने के बारे में है - चाहे ये मेरी युनिट हो या मेरा गांव।”
जरूरतमंदों की मदद करना
लॉकडाउन के बाद से, पति-पत्नी की जोड़ी ने अपने गाँव के साथ-साथ आस-पास के गाँवों में भी फ्री में 4,000 से अधिक मास्क बनाए और वितरित किए हैं। सुधीर बताते हैं कि उन्हें अपने द्वारा बनाए गए मास्क की जिले के एक डॉक्टर से भी जाँच करावाई जिन्होंने इस बात की पुष्टि की कि मास्क उतने ही अच्छे हैं जितने कि मोतिहारी जिले में उपलब्ध मास्क।
सुधीर के बनाए मास्क डबल लेयर के होते हैं और बिहार के स्थानीय 'अस्त्र' कपड़े से "स्पंज जाली" (sponge jali) के लेयर के साथ बनाए जाते हैं। उनका कहना है कि वर्तमान में बाजार में उपलब्ध मास्क सिंगल लेयर्ड 'स्पंज जाली' से बनाए जा रहे हैं, और वह डबल लेयर मास्क बना रहे हैं।
इसके अलावा, सुधीर और उनका परिवार अपने गाँव में 'सोशल डिस्टेंसिंग' के बारे में जागरूकता फैला रहे हैं। सुधीर का छोटा मिट्टी का आंगन ग्रामीणों के लिए एक देखभाल का मैदान भी है। सुधीर ने लोगों से एक मास्क के दोबारा इस्तेमाल से बचने के लिए भी कहा है। उन्होंने उनसे कहा है: "यदि आपने लंबे समय तक इसका उपयोग किया है, तो आप इसे फेंक सकते हैं और मुझसे एक नया ले सकते हैं।" वह मास्क धोने की सलाह भी नहीं देते हैं।
वह कहते हैं,
“मैं सूचनाओं पर नजर रख रहा हूँ, और इस बार हम सभी को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। इसलिए नए का उपयोग करना बेहतर है।"
वे कहते हैं,
“हम समाज के लोगों की मदद करना चाहते हैं। हम मियाँ बीबी सिलाई कर रहे हैं, सामान दे रहे हैं, आप आइए और ले जाइए।"
जहां उनके गाँव के लोग जानते हैं कि कोरोना वायरस एक घातक बीमारी है और सरकार के निर्देशों के अनुसार देखभाल करना चाहते हैं, लेकिन उनके पास कई संसाधनों तक पहुँच नहीं है।
इसलिए, सुधीर ने यहां भी लोगों की मदद करने की सोची। मास्क के अलावा, वह गाँव के जरूरतमंदों को मुफ्त में नमक, साबुन, सोयाबीन, आलू, और प्याज जैसी अन्य आवश्यक सप्लाई दे रहा है।
नेक काम
भारतीय सेना में जूनियर रैंक (एनबी सब) के एक अधिकारी के रूप में, सुधीर कहते हैं, उनकी कमाई बहुत अधिक नहीं है, और कभी-कभी अपने परिवार की इच्छाओं को पूरा करने के लिए भी पर्याप्त नहीं है। लेकिन संकट की इस घड़ी में, वह अपनी बेटी के विवाह के लिए अपने द्वारा लिए गए व्यक्तिगत ऋण का उपयोग लोगों की सेवा के लिए कर रहे हैं।
सुधीर ने पंजाब में अपनी बटालियन (515) में रहने के दौरान तकनीक का उपयोग करना भी सीख लिया है। वे कहते हैं, इससे उन्हें कॉल पर सभी आवश्यक वस्तुओं को ऑर्डर करने में मदद मिली है, और थोक व्यापारी उनके घर पर सप्लाई लाते हैं, और सुधीर ऑनलाइन पैसे ट्रांसफर करते हैं।
वे कहते हैं,
"जो लोग बेसिक फूड नहीं खरीद सकते हैं या बाजार में इसे खोजने में असमर्थ हैं उन्हें कहीं भी जाने की आवश्यकता नहीं है। वे मुफ्त में मुझसे आकर ले सकते हैं।"
सेना के इस विनम्र जवान का कहना है कि उनकी एक ही फिलोसोफी है। वे कहते हैं कि मैंने जो कुछ भी कमाया है और कमाऊंगा वह अपने परिवार और अपने देश के लिए खर्च करूंगा।
सुधीर कहते हैं,
"दूसरों की मदद करने से मुझे पैसे की कमी कभी नहीं होगी, बल्कि दुआएं ही मिलेंगी।"