BCCI का बड़ा फैसला, Ranji Trophy में अब होंगी महिला अंपायर
महिला आईपीएल, महिला खिलाडि़यों के लिए समान वेतन के बाद अब BCCI ने लिया एक और ऐतिहासिक फैसला.
यह जेंडर बराबरी का दौर है. समाज मे विभिन्न स्तरों पर व्याप्त स्त्री-पुरुष के बीच की असमानता को दूर करने के लिए अब एक के बाद एक जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई, BCCI) भी इस साल अपने कई फैसलों से यह साबित करने की कोशिश कर रहा है कि वह जेंडर समानता के लिए प्रतिबद्ध है. पहले महिलाओं का IPL, फिर महिला खिलाडि़यों के लिए पुरुष खिलाडि़यों के बराबर वेतन का फैसले के बाद अब बीसीसीआई ने एक और बड़ा फैसला लिया है.
बीसीसीआई और रणजी ट्रॉफी के इतिहास में यह पहली बार होने जा रहा है कि पुरुषों के मैच के लिए भी महिला एंपायर्स की नियुक्ति की जाएगी.
बीसीसीआई बहुत जल्द ही महिलाओं के लिए एक अंपायरिंग टेस्ट करेगा. इसमें क्वालीफाई करने वाली महिला एंपायर्स को रणजी ट्रॉफी यानी हमारे घरेलू क्रिकेट में अंपायरिंग करने का मौका मिलेगा.
ड्राफ्ट के लिए फिलहाल तीन महिलाओं का चयन किया गया है. यह महिलाएं अभी क्रिकेट मैच के दौरान ऑफिशिएट (स्कोरर का काम और अन्य प्रकार के ऑफ फील्ड काम) करती रही हैं. अब वह पहली बार खेल के मैदान में एंपायरिंग करती नजर आएंगी.
कौन हैं वो तीन महिला एंपायर
जिन तीन महिलाओं का BCCI ने चयन किया है, उनके नाम हैं वृंदा राठी, जननी नारायण और गायत्री वेनुगोपालन. वृंदा मुंबई से हैं और जननी चेन्नई से. गायत्री वेनुगोपालन गुड़गांव में रहती हैं. यह तीनों महिलाएं बीसीसीआई द्वारा मान्यता प्राप्त क्रिकेट एंपायर हैं. वृंदा राठी और जननी नारायणन ने मेन्स अंडर-23 सीके नायडू ट्रॉफी के मैचों की अंपायरिंग की है.
BCCI अगले सीजन के मैच के लिए भी महिला अंपायर्स की लिस्ट बनाएंगे. इस लिस्ट में शामिल महिलाओं को पहले अंपायरिंग का टेस्ट पास करना होगा और उसके बाद उन्हें घरेलू टूर्नामेंट्स में एंपायरिंग की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.
वृंदा राठी और जननी नारायण इंटरनेशनल क्रिकेट एंपायर्स के एक पैनल इंटरनेशनल पैनल ऑफ आईसीसी डेवलपमेंट एंपायर्स (International Panel of ICC Development Umpires) की भी सदस्य हैं, जिसकी स्थापना 2005 में हुई थी. इस पैनल में दुनिया भर की 12 महिला एंपायर्स शामिल हैं, जिसमें से दो भारतीय महिलाएं हैं.
कौन हैं वृंदा राठी
1990 में मुंबई में जन्मी 32 वर्षीय वृंदा राठी खुद एक बॉलर रह चुकी हैं. उन्होंने मुंबई यूनीवर्सिटी के लिए क्रिकेट मैच खेले हैं. मुंबई में आयोजित होने वाले स्थानीय मैचों में एक समय में उनका काफी जलवा था. वर्ष 2010 में उन्होंने बीसीसीआई की स्कोरिंग परीक्षा
पास की थी.
2013 में हुए विमेन वर्ल्ड कप क्रिकेट में वृंदा राठी ने बतौर स्कोरर भी काम किया था. तभी उनकी मुलाकात न्यूजीलैंड की महिला एंपायर कैथी क्रास से हुई. कैथी ने उन्हें एंपायरिंग में अपनी किस्मत आजमाने की सलाह दी. कैथी जो खुद कभी क्रिकेट प्लेयर बनना चाहती थीं.
कैथी से प्रेरित होकर वृंदा हिंदुस्तान लौटने के बाद पहले मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन की परीक्षा में बैठीं और पास हो गईं. फिर उन्होंने बीसीसीआई की अंपायरिंग की परीक्षा भी दी और उसमें भी अव्वल रहीं.
कहानी जननी नारायणन की
1986 में चेन्नई में जन्मी 36 वर्षीय जननी नारायण बचपन से क्रिकेट खेलती थीं. हालांकि उन्होंने कभी कोई बड़ा क्रिकेट मैच नहीं खेला, लेकिन खेल के प्रति उनका जुड़ाव हमेशा से था. एंपायर बनने की चाहत में उन्होंने लगी-लगाई सरकारी नौकरी भी छोड़ दी थी. 2009 में उन्होंने तमिलनाडु क्रिकेट बोर्ड से संपर्क कया और एंपायर बनने की इच्छा जाहिर की. उन्हें नहीं पता था कि इसकी प्रक्रिया क्या होती है और अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्हें क्या करना होगा.
क्रिकेट बोर्ड के सदस्यों को भी बड़ा आश्चर्य हुआ. ऐसे थोड़े न कोई उठकर एंपायर बन जाता है. इसके लिए कम से कम क्रिकेट का बैकग्राउंड तो होना ही चाहिए. पहले तो तमिलनाडु क्रिकेट बोर्ड ने उन्हें यह कहकर वापस भेज दिया कि यह संभव नहीं. लेकिन जननी ने कोशिश नहीं छोड़ी. आखिरकार हारकर बोर्ड उन्हें परीक्षा में शामिल करने के लिए राजी हो गया. 2018 में जननी बीसीसीआई की लेवल 2 की एंपायरिंग की परीक्षा में बैठीं और अव्वल रहीं. इसके बाद उन्होंने आईटी की अपनी नौकरी छोड़ दी और पूरी तरह क्रिकेट को ही समर्पित हो गईं.
कहानी गायत्री वेणुगोपालन की
1979 में दिल्ली में जन्मी 43 वर्षीय गायत्री वेणुगोपालन भी बचपन से क्रिकेट खेलती थीं. उनका सपना एक दिन सफल क्रिकेट खिलाड़ी बनने का था, लेकिन कंधे में लगी एक चोट के बाद उनका क्रिकेट खेलना बंद हो गया. यह उनके लिए बड़ा सदमा था, लेकिन वह कुछ भी करके क्रिकेट से जुड़ी रहना चाहती थीं. कुछ सा उन्होंने कॉरपोरेट की नौकरी की और उसके बाद क्रिकेट में वापसी का फैसला लिया. 2019 में उन्होंने बीसीसीआई की एंपायरिंग की परीक्षा पास की, कॉरपोरेट की नौकरी छोड़ दी और एंपायर बन गईं.
(फोटो इंडियन एक्सप्रेस से साभार)
Edited by Manisha Pandey