अमेरिका से नौकरी छोड़ अपने गाँव वापस आईं भक्ति, 25 साल की उम्र में सरपंच बन बदली गाँव वालों की किस्मत
सरपंच भक्ति शर्मा आज राज्य के साथ ही पूरे देश में एक जाना-माना नाम बन चुकी हैं। भक्ति साल 2012 में पढ़ाई और अपने स्वर्णिम भविष्य का सपना लिए अमेरिका गई थीं, जहां उन्हें एक अच्छी-ख़ासी नौकरी भी मिली, लेकिन भक्ति शर्मा ने अपने भविष्य के लिए कुछ और ही रास्ता तय कर लिया था।
"सरपंच भक्ति शर्मा आज राज्य के साथ ही पूरे देश में एक जाना-माना नाम बन चुकी हैं। भक्ति साल 2012 में पढ़ाई और अपने स्वर्णिम भविष्य का सपना लिए अमेरिका गई थीं, जहां उन्हें एक अच्छी-ख़ासी नौकरी भी मिली, लेकिन भक्ति शर्मा ने अपने भविष्य के लिए कुछ और ही रास्ता तय कर लिया था।"
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित गाँव बरखेड़ा को आज खासतौर पर उनकी सरपंच के लिए जाना जाता है। इस गाँव की सरपंच कभी अमेरिका में रहा करती थीं, लेकिन अपने गाँव के लोगों की भलाई और उनकी सेवा करने की चाह उन्हें वापस उनके गाँव खींच ले आई।
सरपंच भक्ति शर्मा आज राज्य के साथ ही पूरे देश में एक जाना-माना नाम बन चुकी हैं। भक्ति साल 2012 में पढ़ाई और अपने स्वर्णिम भविष्य का सपना लिए अमेरिका गई थीं, जहां उन्हें एक अच्छी-ख़ासी नौकरी भी मिली, लेकिन भक्ति शर्मा ने अपने भविष्य के लिए कुछ और ही रास्ता तय कर लिया था।
पिता से मिली प्रेरणा
दरअसल भक्ति के पिता चाहते थे कि भक्ति वापस गाँव आ जाएँ और यहीं पर अपने गाँव वालों के साथ मिलकर कुछ काम करते हुए अपने गाँव का नाम रोशन करें। भक्ति ने पिता की इस इच्छा को ध्यान में रखते हुए अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और फिर अमेरिका से अपने गाँव वापस आ गईं।
जब भक्ति वापस गाँव आईं तब उन्होने यहीं पर एक स्वयंसेवी संस्था की शुरुआत करने का निर्णय किया, जिसका उद्देश्य घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं की मदद करना था। इसी दौरान गाँव में सरपंच पद के चुनाव हुए और भक्ति ने भी चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। चुनाव में भक्ति को उनके गांव वालों का पूरा समर्थन मिला और वे चुनाव जीत गईं। गौरतलब है कि भक्ति शर्मा अपने गाँव की पहली महिला सरपंच भी हैं।
25 साल की उम्र में बनीं सरपंच
भक्ति जब गाँव की सरपंच चुनी गईं तब उनकी उम्र महज 25 साल थी। भक्ति ने सरपंच की कुर्सी संभालते ही गाँव के विकास का लक्ष्य लेकर अपना काम शुरू कर दिया। भक्ति ने इस दौरान सबसे पहले रुके हुए विकास कार्यों की समीक्षा की और उन्हें शुरू करवाया।
यह गाँव के विकास को लेकर भक्ति की लगन ही थी कि उन्होने महज 10 महीने के भीतर ही गाँव के विकास में सवा करोड़ रुपये खर्च किए, जिससे गाँव में नई सड़कों और शौचालयों का निर्माण करवाया गया। इतना ही नहीं, भक्ति ने इस दौरान अपने गाँव को शहर से जोड़ने वाली सड़क का भी निर्माण करवाया, जिससे गांव वालों के लिए शहर से जुड़े रहना और भी आसान बन गया।
गाँव वालों को मिले पक्के मकान
भक्ति शर्मा ने गाँव के जरूरतमंद लोगों के कच्चे मकानों को पक्के मकानों में भी तब्दील करवाने का काम किया है। आज गाँव के करीब 80 प्रतिशत मकान पक्के हो चुके हैं। गाँव के लोग इसके पहले बिजली और पानी की समस्या से भी जूझ रहे थे, लेकिन भक्ति के सरपंच बनने के बाद उन्हें इस समस्या से भी निजात मिल चुकी है।
इतना ही नहीं, गाँव वालों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलवाकर भक्ति ने उन्हे आर्थिक तौर पर भी सशक्त करने का काम किया है। भक्ति अब लगातार दो बार सरपंच पद का चुनाव जीत चुकी हैं, इसी के साथ उन्होने ‘सरपंच मानदेय’ नाम से एक स्कीम भी शुरू की है, जिसके तहत गाँव की उन महिलाओं को सम्मानित किया जाता है जिनके घर पर बेटी पैदा होती है। भक्ति ऐसी महिलाओं को अपनी दो महीने की तंख्वाह देती हैं, इसी के साथ गाँव में उस बेटी के नाम पर पेड़ भी लगाया जाता है।
Edited by Ranjana Tripathi