वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए लागू होगा भारत स्टेज-6
दिन ब दिन हवा का स्तर खराब होता जा रहा है। इसमें सबसे ज्यादा योगदान सड़क पर चलने वाले वाहनों का है। प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए वैसे तो कई कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा धुआं छोड़ने वाले वाहनों की समस्या का समाधान खोजना सबसे जरूरी है। इस दिशा में काम करते हुए सरकार ने भारत स्टेज यानी BS-6 के मानकों को 2022 की जगह 2019 से ही लागू करने करने का फैसला लिया है।
केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि वाहनों से होने पाले प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण के लिये भारत स्टेज (बीएस) श्रेणी के छठे चरण के वाहन संबंधी नियम अगले साल 2020 से लागू होंगे। जावड़ेकर ने हाल ही में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीएस-6 मानकों पर आधारित वाहनों का प्रयोग 2022 से शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन हवा की गुणवत्ता अत्यधिक खराब होने के कारण सरकार ने इस श्रेणी के मानकों पर आधारित वाहनों को 2020 से ही प्रयोग में लाने का फैसला किया है।
जावड़ेकर ने कहा कि दिल्ली में हवा की गुणवत्ता 2007 से खराब होनी शुरू हो गयी थी। मोदी सरकार ने इस चुनौती को समस्या के संबंध में समाधान परक रुख अख्तियार करते हुये स्वीकार किया। इसके मद्देनजर सरकार ने 2018 में ही निर्धारित लक्ष्य से चार साल पहले ही बीएस चार मानक के बजाय सीधे बीएस -6 मानक पर आधारित वाहनों का प्रयोग करने का फैसला किया था। इसके मुताबिक दिल्ली सहित देश के अन्य शहरों में अगले साल से बीएस -6 मानक पर आधारित वाहन उपलब्ध हो जायेंगे। इन शहरों में अगले साल से बीएस चार मानक वाला ईंधन भी मिलने लगेगा।
चिंताजनक स्तर तक बढ़ चुके वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिये भारत सरकार ने 2016 में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए BS-5 के बजाय अप्रैल 2020 तक देशभर में BS-6 उत्सर्जन मानकों को लागू करने का निर्णय लिया था। हालाँकि अभी इस नए मानक के हिसाब से नए वाहनों का उत्पादन शुरू होने में समय लगेगा।
भारत में सर्वप्रथम उत्सर्जन नियमों की शुरुआत 1991 में हुई थी और तब ये नियम केवल पेट्रोल इंजन से चलने वाले वाहनों पर लागू होते थे। भारत स्टेज उत्सर्जन मानक आतंरिक दहन और इंजन तथा स्पार्क इग्निशन इंजन के उपकरण से उत्सर्जित वायु प्रदूषण को विनियमित करने के मानक हैं। इन मानकों का उद्देश्य वाहनों से होने वाले वाले वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना और वातावरण में घुल रहे ज़हर पर रोक लगाना है।
पर्यावरण मंत्री ने कहा कि इससे वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में प्रभावी तौर पर मदद मिलेगी। सरकार ने इस दिशा में 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। जावडे़कर ने कहा कि वायु प्रदूषण सिर्फ भारत के लिये ही नहीं बल्कि विश्वव्यापी गंभीर समस्या है। इससे निपटने के लिये जलवायु परिवर्तन की चुनौती को देखते हुये संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये सरकार गंभीर प्रयास कर रही है।
वाहन जनित प्रदूषण को वायु प्रदूषण की मुख्य वजह बताते हुये जावड़ेकर ने कहा कि इसे नियंत्रित करने के लिये मोदी सरकार ने पिछले चार साल में प्रभावी कदम उठाये हैं। इनमें दिल्ली को चारों ओर से जोड़ने वाले पेरीफेरल मार्ग के निर्माण का फैसला शामिल है। यह परियोजना 20 साल से लंबित थी जिसे मोदी सरकार ने चार साल में पूरा किया।