बिहार-एमपी के आईएएस कपल ने संभाली यूपी में सीएम के शहर की कमान
आईएएस कपल अनुज सिंह और हर्षिता माथुर को पहली बार एक शहर में पारिवारिक जीवन साथ-साथ बिताने का अवसर मिला है। दोनो को दो प्रमुख विभागों की शीर्ष जिम्मेदारी मिली है तो यह भी तय है कि सीएम का शहर होने के नाते उन पर पूरी प्रदेश सरकार की निगाहें, रोक-टोक और चूक होने पर कड़ी कार्रवाई के खतरे भी होंगे।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृहनगर है गोरखपुर, जिसकी सेहत चाकचौबंद करने की जिम्मेदारी बिहार और एमपी के आईएएस कपल अनुज सिंह और हर्षिता माथुर को सौंपी गई है।
यूपी कैडर में आईएएस की 74वीं रैंक से पास आउट अनुज सिंह को गोरखपुर विकास प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनाया गया है। वह आईआईटी दिल्ली से बीटेक (केमिकल इंजीनियरिंग) की पढ़ाई भी कर चुके हैं। सारण (बिहार) निवासी अनुज सिंह के पिता सुरेंद्र सिंह कारोबारी हैं।
गोरखपुर में अनुज सिंह के सामने मानचित्र के 286 मामलों को निपटाने, जीडीए के सीमा विस्तार, आवासीय और व्यावसायिक योजनाओं की गुणवत्ता को बेहतर बनाने, प्राधिकरण की आय बढ़ाने, मानबेला और खोराबार में बन रहे प्रधानमंत्री आवासों के निर्माण में तेजी लाने और लखनऊ की तरह इंटरनेशनल स्टेडियम का निर्माण कराने के साथ ही वाटर पार्क विवाद निपटाने की चुनौतियां हैं।
यूपी कैडर से ही 112वीं रैंक के साथ पासआउट अनुज सिंह की पत्नी आईएएस हर्षिता माथुर को सीएम के शहर गोरखपुर का मुख्य विकास अधिकारी बनाया गया है। मूलतः भोपाल (म.प्र.) की माथुर नेशनल लॉ कॉलेज, भोपाल से लॉ ग्रेजुएट हैं। उनके पिता पीआर माथुर मध्य प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं।
उनके सामने मुख्य चुनौतियां हैं शौचालयों के अधूरे निर्माण को पूरा कराना, ग्रामीण पीएम आवास का निर्माण समय से कराकर उनका आवंटन कराना, विकास योजनाओं की गुणवत्ता को बेहतर बनाना और 2020 में ही ग्राम पंचायत का चुनाव कराना। जाहिर सी बात है कि जब सीएम के शहर को संवारने की जिम्मेदारी मिली है तो कदम-कदम पर उन्हे अपने आला अधिकारियों ही नहीं, पूरी प्रदेश सरकार की उन पर निगाहें होंगी।
पहली बार एक शहर में दो प्रमुख ओहदे संभालने और मुद्दत बाद एक साथ पारिवारिक जीवन जीने का अवसर मिला है तो सरकारी काम-काज में किसी तरह की चूक से अब बच निकलना भी उनके लिए आसान नहीं होगा।
इस तरह अनुज को जीडीए के कामकाज को रफ्तार देने की तो उनकी पत्नी को ग्रामीण विकास की योजनाओं को तेजी से धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी मिली है। ये आईएएस कपल अब तक गोरखपुर और सिद्धार्थनगर के मुख्य विकास अधिकारी रहे हैं। आईएएस में सेलेक्शन के बाद दोनों की मुलाकात ट्रेनिंग के दौरान मसूरी में हुई थी। दोनों ने एक दूसरे को पसंद किया और करीब आए।
ट्रेनिंग के बाद आईएएस का यूपी कैडर मिला, फिर अलग-अलग जिलों में उन्हें ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के रूप में तैनाती मिल गई। 2017 में परिवार की सहमति ली, फिर एक दूसरे से विवाह बंधन में बंध गए। तमाम व्यस्तताओं के बाद भी जिस कुशलता से आईएएस दंपति अपनी सरकारी और पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वाह कर रहे हैं, उससे अच्छे नतीजे की उम्मीद की जा रही है।
आईएएस दंपती का दावा है कि जिले में एक साथ पोस्टिंग से बेहतर रिजल्ट मिलेंगे। अलग-अलग जिलों में तैनाती से कुछ पारिवारिक दिक्कतें आती हैं। अब ऐसा नहीं होगा।