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अनिल अंबानी को बंबई हाई कोर्ट से राहत, स्विट्जरलैंड में 814 करोड़ की अघोषित जमा से जुड़ा है मामला

विभाग ने अनिल अंबानी (63) पर कर चोरी का आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने जानबूझकर भारतीय कर अधिकारियों को अपने विदेशी बैंक खाते के विवरण और वित्तीय हितों के बारे में नहीं बताया.

अनिल अंबानी को बंबई हाई कोर्ट से राहत, स्विट्जरलैंड में 814 करोड़ की अघोषित जमा से जुड़ा है मामला

Monday September 26, 2022 , 5 min Read

बंबई उच्च न्यायालय ने आयकर विभाग (Income Tax Department) को निर्देश दिया है कि वह रिलायंस समूह (Reliance Group) के चेयरमैन अनिल अंबानी (Anil Ambani) के खिलाफ 17 नवंबर तक कोई दंडात्मक कार्रवाई न करे. आयकर विभाग ने अंबानी को काला धन कानून (Black Money Act) के तहत नोटिस भेजकर पूछा था कि आखिर उन पर मुकदमा क्यों न चलाया जाए. आयकर विभाग ने 8 अगस्त 2022 को अंबानी को दो स्विस बैंक खातों में रखे 814 करोड़ रुपये से अधिक के अघोषित धन पर नोटिस जारी किया था और आरोप लगाया कि उन्होंने कथित रूप से 420 करोड़ रुपये की कर चोरी की.

विभाग ने अनिल अंबानी (63) पर कर चोरी का आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने जानबूझकर भारतीय कर अधिकारियों को अपने विदेशी बैंक खाते के विवरण और वित्तीय हितों के बारे में नहीं बताया. विभाग के नोटिस के मुताबिक, अनिल अंबानी के खिलाफ ब्लैक मनी (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) इंपोजीशन ऑफ टैक्स एक्ट ऑफ 2015 की धारा 50 और 51 के तहत मुकदमा चलाने का मामला बनता है. इसमें जुर्माने के साथ अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है. अनिल अंबानी पर असेसमेंट ईयर 2012-13 से 2019-20 के दौरान विदेश में अघोषित संपत्ति रख कर टैक्स चोरी करने का आरोप है. अंबानी ने इस महीने की शुरुआत में नोटिस को चुनौती देते हुए बंबई हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें दावा किया गया कि काला धन कानून 2015 में लागू किया गया, जबकि कथित लेनदेन 2006-2007 और 2010-2011 के हैं.

अदालत ने क्यों दी 17 नवंबर की तारीख

न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, अंबानी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रफीक दादा ने कहा कि अधिनियम के प्रावधान पिछली तारीख से प्रभावी नहीं हो सकते. उन्होंने यह भी दलील दी कि विभाग ने इस साल मार्च में असेसमेंट ऑर्डर पास किया था और याचिकाकर्ता ने इसके खिलाफ कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स के समक्ष अपील दायर की हुई है. सिविल प्रोसिडिंग को पेंडिंग रखते हुए अब विभाग ने कारण बताओ नोटिस जारी कर याचिकाकर्ता के खिलाफ काला धन अधिनियम के प्रावधानों के तहत आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की मांग की है. जब सिविल प्रोसिडिंग पेंडिंग होती है तो विभाग आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की मांग नहीं कर सकता. उन्होंने आगे कहा कि कारण बताओ नोटिस, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20 का उल्लंघन है, जो कहता है कि किसी भी व्यक्ति पर एक ही कथित अपराध के लिए दो बार मुकदमा नहीं चलाया जाएगा. इसलिए सिविल प्रोसिडिंग चलने दें और इसे तार्किक अंत तक पहुंचने दें.

दो जजों की खंडपीठ ने तय की है तारीख

आगे और भी दलीलें कोर्ट में दी गईं. मामले में आयकर विभाग की ओर से पेश वकील अखिलेश्वर शर्मा ने याचिका पर जवाब देने के लिए समय मांगा. इसके बाद जस्टिस एस वी गंगापुरवाला और जस्टिस आर एन लड्ढा की खंडपीठ ने इसकी अनुमति दी और याचिका पर सुनवाई के लिए 17 नवंबर की तारीख तय की. अदालत ने कहा, ‘आयकर विभाग अगली तारीख तक याचिकाकर्ता ;अंबानीद्ध के खिलाफ कारण बताओ नोटिस के तहत कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगा.’ पीठ ने आयकर विभाग को अंबानी की इस दलील का जवाब देने को भी कहा कि काला धन कानून के प्रावधान पिछली तरीख से लागू नहीं हो सकते.

इन दो एंटिटी में आर्थिक योगदानकर्ता के साथ लाभार्थी मालिक

नोटिस के अनुसार, कर अधिकारियों ने पाया कि अनिल अंबानी बहामास स्थित एंटिटी डायमंड ट्रस्ट और एक अन्य कंपनी नार्दर्न एटलांटिक ट्रेडिंग अनलिमिटेड (NATU) में आर्थिक योगदानकर्ता के साथ-साथ लाभार्थी मालिक भी हैं. एनएटीयू का गठन ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड (BVI) में किया गया था. बहामास ट्रस्ट के मामले में विभाग ने पाया कि यह ड्रीमवर्क होल्डिंग्स इंक नाम की कंपनी थी. स्विस बैंक में खाता कंपनी का है. खाते में 31 दिसंबर 2007 को सबसे अधिक 32095600 डॉलर की राशि थी. नोटिस में कहा गया है कि ट्रस्ट को शुरू में 2.5 करोड़ डॉलर का वित्तपोषण प्राप्त हुआ था. विभाग ने कहा है कि इस कोष का स्रोत अनिल अंबानी का व्यक्तिगत खाता था. यह पाया गया है कि अंबानी ने 2006 में इस ट्रस्ट को खोलने के लिये केवाईसी दस्तावेज के रूप में अपना पासपोर्ट दिया था. इस ट्रस्ट के लाभार्थियों में उनके परिवार के सदस्य भी शामिल हैं.

ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड की कंपनी का गठन जुलाई 2010 में हुआ. इसका खाता बैंक ऑफ साइप्रस (ज्यूरिख) में है. विभाग ने दावा किया कि अनिल अंबानी इस कंपनी और उसके कोष के लाभार्थी मालिक हैं. कंपनी पर आरोप है कि उसने कथित रूप से 2012 में बहामास में पंजीकृत PUSA नाम की इकाई से 10 करोड़ डॉलर प्राप्त किये. ऐसा कहा जाता है कि इसके भी सेटलर और लाभार्थी मालिक अंबानी हैं.

दोनों खातों में अघोषित फंड 8142795784 रुपये

विभाग ने आरोप लगाया है कि अनिल अंबानी ने इन विदेशी संपत्तियों के बारे में आयकर रिटर्न में जानकारी नहीं दी. उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 2014 में पहली बार सत्ता में आने के तुरंत बाद लाये गये काला धन अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया. कर अधिकारियों ने कहा कि इस तरह की चूक जानबूझकर की गयी है. कर अधिकारियों ने दोनों खातों में अघोषित फंड 8142795784 रुपये होने का आकलन किया है. इस पर कर देनदारी 420 करोड़ रुपये बनती है.


Edited by Ritika Singh