कैबिनेट ने भारत की जनगणना 2021 और एनपीआर के उन्नयन को दी मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को भारत की जनगणना 2021 और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के उन्नयन को मंजूरी प्रदान कर दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।
भारत के जनगणना 2021 की कवायद के लिये 8,754.23 करोड़ रुपये के खर्च को मंजूरी दी गई। वहीं, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के उन्नयन के लिये 3,941.35 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि जनगणना के लिये कोई लम्बा फार्म नहीं भरना होगा। यह स्वयं घोषित स्वरूप का होगा। इसके लिये किसी सबूत की जरूरत नहीं होगी और न ही कोई दस्तावेज देना होगा। इसके लिये एक मोबाइल एप भी बनाया गया है।
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के उद्देश्यों में कहा गया है कि एनपीआर देश के स्वाभाविक निवासियों का रजिस्टर है। यह नागरिकता संशोधन कानून 1955 और नागरिकता : नागरिकों के पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान कार्ड जारी: करने के नियम 2003 के प्रावधानों के तहत स्थानीय स्तर पर (गांव/उप शहर), उप जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जायेगा।
सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, एनपीआर अप्रैल और सितंबर 2020 के बीच असम को छोड़कर देश के अन्य सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होगा। यह जनगणना कार्य के साथ होगा।
असम को इससे अलग इसलिये रखा गया है क्योंकि वहां पहले ही राष्ट्रीय नागरिक पंजी. का कार्य हो गया है।
समाचार एजेंसी ANI ने ट्वीट के जरिए इसकी जानकारी दी
एनपीआर का मकसद देश के स्वभाविक निवासियों की समग्र पहचान का डाटाबेस तैयार करना है। इसमें भौगोलिक और बायोमेट्रिक जानकारी उपलब्ध होगी।
एनपीआर के आंकड़े पिछली बार 2010 में घर की सूची तैयार करते समय लिये गये थे जो 2011 की जनगणना से जुड़े थे। 2015 में घर घर जाकर इन आंकड़ों का उन्नयन किया गया था।
दूसरी ओर, जनगणना 2021 दो चरणों में होगी। इसमें पहले चरण में घर की सूची या घर संबंधी गणना होगी जो अप्रैल से सितंबर 2020 तक होगी। इसका दूसरा चरण नौ फरवरी से 28 फरवरी 2021 में होगा। इसकी संबद्धता तिथि 1 मार्च 2021 होगी।
आपको बता दें कि बर्फ से प्रभावित राज्यों जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में संबद्धता तिथि 1 अक्तूबर 2020 होगी।
(Edited by रविकांत पारीक )