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खोए हुए बच्चों का पता लगाने के लिए ‘रीयूनाईट’ एप हुआ लांच

भारत में हर रोज गायब होते हैं 180 बच्चे...

खोए हुए बच्चों का पता लगाने के लिए ‘रीयूनाईट’ एप हुआ लांच

Saturday June 30, 2018 , 3 min Read

 2017 के गृह मंत्रालय के एक आंकड़े के मुताबिक हर रोज भारत में 180 बच्चे लापता हो जाते हैं। वहीं गायब हुए तीन में से दो बच्चे कभी नहीं मिलते। यह स्थिति भयावह है जिसे दूर करने के लिए टेक्नोलॉजी की मदद की सख्त आवश्यकता है।

रीयूनाइट ऐप को लॉन्च करते सुरेश प्रभु और कैलाश सत्यार्थी

रीयूनाइट ऐप को लॉन्च करते सुरेश प्रभु और कैलाश सत्यार्थी


 खोए हुए बच्चों की पहचान करने के लिए इमेज रिकोगनिशन, वेब आधारित फेशियल रिकॉगनिशन जैसी सेवाओं का उपयोग किया जा रहा है। यह एप एंड्राएड और आईओएस दोनों ही प्लेटफार्म पर उपलब्ध है।

हर रोज न जाने कितने बच्चे लापता हो जाते हैं। गुमशुदा बच्चों का पता लगाने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ती है। लापता बच्चों को तलाशने के लिए एक एप की सख्त जरूरत थी। इस जरूरत को पूरा करने के लिए केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग तथा नागरिक उड्डयन मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने एक मोबाइल एप लांच किया। इस एप का नाम ‘रीयूनाईट’ है। यह एप भारत में खोए हुए बच्चों का पता लगाने में सहायता प्रदान करेगा। इस अवसर पर अपने संबोधन में सुरेश प्रभु ने इस एप को विकसित करने के लिए स्वयंसेवी संगठन ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ और ‘कैपजेमिनी’ की सराहना की।

सुरेश प्रभु ने कहा कि खोए हुए बच्चों को उनके मातापिता से मिलाने का यह प्रयास, तकनीक के सुंदर उपयोग को दर्शाता है। यह एप जीवन से जुड़ी सामाजिक चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा। 2017 के गृह मंत्रालय के एक आंकड़े के मुताबिक हर रोज भारत में 180 बच्चे लापता हो जाते हैं। वहीं गायब हुए तीन में से दो बच्चे कभी नहीं मिलते। यह स्थिति भयावह है जिसे दूर करने के लिए टेक्नोलॉजी की मदद की सख्त आवश्यकता है।

इस एप के माध्यम से मातापिता बच्चों की तस्वीरें, बच्चों के विवरण जैसे नाम, पता, जन्म चिन्ह आदि अपलोड कर सकते हैं, पुलिस स्टेशन को रिपोर्ट कर सकते हैं तथा खोए बच्चों की पहचान कर सकते हैं। खोए हुए बच्चों की पहचान करने के लिए इमेज रिकोगनिशन, वेब आधारित फेशियल रिकॉगनिशन जैसी सेवाओं का उपयोग किया जा रहा है। यह एप एंड्राएड और आईओएस दोनों ही प्लेटफार्म पर उपलब्ध है।

बच्चों की सुरक्षा के संदर्भ में बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) भारत का सबसे बड़ा आंदोलन है। बीबीए ने बच्चों के अधिकारों के संरक्षण से संबंधित कानून निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। यह आंदोलन 2006 के निठारी मामले से शुरू हुआ है। इस अवसर पर नोबल पुरस्कार विजेता और बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक श्री कैलाश सत्यार्थी भी उपस्थित थे।

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