बाल-दिवस के छह विविध आयाम समृद्ध कर रहा पीएम मोदी के मन का बचपन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ इस तरह बाल-दिवस को अपने इन छह तरह के सरकारी मिशन जैसे विविध आयामों में सार्थक कर रहे हैं- मिशन इंद्रधनुष, विद्यांजलि, स्वयंप्रभा, सुकन्या समृद्धि, नेशनल बाल स्वच्छता मिशन और शाला अस्मिता। उनके मन का बचपन देश के नौनिहालों का भविष्य संवारने में जुटा हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी वर्ष जनवरी में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेता बच्चों को ऑटोग्राफ देते, उनसे अनौपचारिक, हल्के-फुल्के अंदाज में बातचीत करते हुए कहा था कि अपनी राजकीय व्यस्तताओं में कभी-कभार ही मासूमों को जानने और मिलने का अवसर मिलता है। पीएम मोदी के लिए एक और ऐसा ही सुखद अवसर सुर्खियां बन गया, जब वह संसद भवन में एक नन्हे-मुन्ने को अपनी टेबल पर बैठाकर उससे खेलने लगे।
पीएम वैसे तो ज्यादातर गंभीर मुद्रा में दिखते हैं लेकिन राज-काज के लाख दबावों के बावजूद उनके अंदर भी बचपन मचलता रहता है, जो समय-समय पर तस्वीरों के जरिए उनके अंतरमन के साक्ष्य की तरह अचानक प्रकट हो जाता है। बाल-दिवस बच्चों का एक पारंपरिक दिन है, ऐसे मौको पर भी पीएम मोदी के सम्बोधनों में उनकी गंभीरता बच्चों के बेहतर भविष्य को लेकर होती है। वह कहते हैं, हमारे देश के प्रतिभाशाली बच्चे टीचर बनना पसंद नहीं करते हैं, यह हमारे लिए चिंताजनक है। हम उनके मन में शिक्षक बनने की भावना को सहज नहीं कर सके हैं।
प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं- एक बच्चे के जीवन में सिर्फ दो लोगों का बुनियादी योगदान होता है, पहली मां, और दूसरा शिक्षक, लेकिन हमे बच्चों से सीखना चाहिए। वह तो चाहते हैं कि देश के हर पढ़े-लिखे व्यक्ति को हफ्ते में एक बार स्कूल जाकर जरूर पढ़ाना चाहिए, ताकि मासूम जिंदगियां किताबों के बोझ से दब न जाएं। ऐसे अवसरों पर वह अक्सर यह भी बताने से नहीं चूकते कि वह अपने बचपन में बहुत शरारती थे। अब तो घर से दफ्तर और दफ्तर से घर, इसी में उनका सारा समय निकल जाता है।
पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 नवंबर को ट्वीट किया कि हम 'देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को उनके जन्मदिन पर याद कर रहे हैं। हम स्वतंत्रता संग्राम में और प्रधानमंत्रित्व काल में उनके योगदान को याद कर रहे हैं।'
उन्ही यादों को पिछले छह वर्षों से वह बच्चों के लिए शुरू सरकारी योजनाओं के रूप में क्रियान्वित करते आ रहे हैं, क्योंकि उन्हें बाल दिवस पर सिर्फ अच्छे भाषणा देना नहीं, बल्कि बेहतर कार्यों की परिणतियों में विश्वास रहता है। इस साल 23 जुलाई को जब उन्होंने संसदीय व्यस्तताओं के बीच एक छोटे बच्चे को चॉकलेट देते हुए गोद में लेकर, उछाल-उछाल कर उसके साथ खेलने लगे, फिर यहां तक कह गए कि 'एक बहुत खास दोस्त आज मुझसे मिलने संसद में आया।'
पीएम मोदी कहते हैं कि पैसे के कारण, जो परिवार अपने बच्चों को पढ़ा नहीं सकते थे, उनकी चिंता को दूर करने के लिए जनवरी 2015 से उन्होंने सुकन्या समृद्धि योजना की शुरुआत कर रखी है।
देश के अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ही उन्होंने स्नातक तक की पढ़ाई पूरी कर चुकी अल्पसंख्यक समुदाय की बच्चियों के लिए 51 हजार रुपये की एक खास योजना शुरू कर रखी है। उन्हे मौलाना आज़ाद शिक्षा फाउन्डेशन से शादी शगुन योजना का प्रस्ताव भी मिला है। पीएम मोदी ने देश के 201 जिलों में 25 दिसंबर, 2014 से बच्चों की बेहतर-निरोग सेहत के लिए 'मिशन इंद्रधनुष' को अंजाम दिया है।
इस मिशन को 87 प्रतिशत तक कवर किया जा चुका है। इस बाल प्रतिरक्षण मिशन को नब्बे प्रतिशत तक ले जाना है। आगामी वर्ष 2020 तक पूर्ण टीकाकरण का लक्ष्य है। बच्चों के लिए पीएम मोदी ने नेहरू जी के जन्मदिन पर 14 नवंबर 2014 से पांच-दिवसीय लंबे कार्यक्रम के रूप में 'नेशनल बाल स्वच्छता मिशन' चला रखा है।
पीएम मोदी और भी कई तरह से देश के बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए 14 नवंबर का दिन सार्थक करते आ रहे हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से वह 21 राज्यों के 2200 स्कूलों से 'विद्यांजलि योजना' की शुरुआत कर चुके हैं। इस योजना के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को बताया जाता है कि वे अकेले नहीं, बल्कि ‘टीम इंडिया’ का हिस्सा हैं। उन्हे पढ़ाई के साथ ही भाषण, किस्सागोई, नाटक अभिनय, सह-शैक्षिक गतिविधियों में भी जरूर भाग लेते रहना है।
उच्च गुणवत्ता वाली शैक्षिक सामग्री उपलब्ध कराने के लिए 32 डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) टेलीविजन चैनल प्रसारित करने वाली एक ऐसी ही योजना है 'स्वयंप्रभा'। इसका लक्ष्य आईआईटी सहित शीर्ष संस्थानों से कक्षा व्याख्यान का एक सीधा प्रसारण, चार घंटे के पाठ के साथ हर दिन अलग-अलग विषयों को छह बार दोहराया जाना है।
इतना ही नहीं, देश में स्कूली बच्चों की शिक्षा एवं शैक्षणिक गतिविधियों पर नजर रखने के लिए 'शाला अस्मिता' योजना (ऑल स्कूल मॉनिटरिंग इंडिविज्युअल ट्रेसिंग एनालिसिस) चलाई जा रही है। इसी क्रम में 8.52 करोड़ स्कूली छात्रों का आधार के जरिये स्टूडेंट पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किया जा चुका है, जबकि टारगेट में कुल 21.57 करोड़ से अधिक छात्र हैं। इस योजना के तहत बच्चों के साथ ही देश के इन स्कूलों के 77 लाख शिक्षकों पर भी सरकार की नजर रखी जा रही है।