3 जनवरी से 15 से 18 साल की आयु वाले बच्चों को लगेगी वैक्सीन: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "15 साल से 18 साल की आयु के बीच के जो बच्चे हैं, अब उनके लिए देश में वैक्सीनेशन प्रारंभ होगा। 2022 में, 3 जनवरी को, सोमवार के दिन से इसकी शुरुआत की जाएगी। ये फैसला, कोरोना के खिलाफ देश की लड़ाई को तो मजबूत करेगा।"
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार देर रात राष्ट्र को संबोधित करते हुए क्रिसमस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा, "हम इस वर्ष के अंतिम सप्ताह में हैं। 2022 बस आने ही वाला है। आप सभी 2022 के स्वागत की तैयारी में जुटे हैं। लेकिन उत्साह और उमंग के साथ ही ये समय सचेत रहने का भी है।"
उन्होंने आगे कहा, "आज दुनिया के कई देशों में कोरोना के नए वैरिएंट ओमीक्रोन की वजह से संक्रमण बढ़ रहा है। भारत में भी कई लोगों के ओमीक्रॉन से संक्रमित होने का पता चला है। मैं आप सभी से आग्रह करूंगा कि पैनिक नहीं करें, हां सावधान रहें, सतर्क रहें। मास्क-उसका भरपूर उपयोग करें और हाथों को थोड़ी-थोड़ी देर पर धुलना, इन बातों को हमें भूलना नहीं है।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "आज जब वाइरस म्यूटेट हो रहा है तो हमारी चुनौती का सामना करने की ताक़त और आत्मविश्वास भी मल्टीप्लाई हो रहा है। हमारी इनोवेटिव स्पिरिट भी बढ़ रही है। आज देश के पास 18 लाख आइसोलेशन बेड हैं। 5 लाख ऑक्सीजन सपोर्टेड बेड हैं। 1 लाख 40 हजार ICU बेड हैं। ICU और non ICU बेड्स को मिला दें तो 90 हजार बेड्स विशेष तौर पर बच्चों के लिए भी हैं। आज देश में 3 हजार से ज्यादा PSA ऑक्सीजन प्लांट काम कर रहे हैं। 4 लाख ऑक्सीजन सिलेंडर देशभर में दिए गए हैं। राज्यों को जरूरी दवाओं की बफर डोज तैयार करने में सहायता की जा रही है, उन्हें पर्याप्त टेस्टिंग किट्स भी मुहैया कराई जा रही है।"
पीएम मोदी ने कहा, "कोरोना वैश्विक महामारी से लड़ाई का अब तक का अनुभव यही बताता है कि व्यक्तिगत स्तर पर सभी दिशा-निर्देशों का पालन, कोरोना से मुकाबले का बहुत बड़ा हथियार है। और दूसरा हथियार है वैक्सीनेशन। हमारे देश ने भी इस बीमारी की गम्भीरता को समझते हुए बहुत पहले वैक्सीन निर्माण पर मिशन मोड में काम करना शुरू कर दिया था। वैक्सीन पर रिसर्च के साथ साथ ही, अप्रुवल प्रोसेस, सप्लाई चैन, डिस्ट्रीब्यूशन, ट्रेनिंग, IT सपोर्ट सिस्टम, सर्टीफिकेशन पर भी हमने निरंतर काम किया।"
इन तैयारियों का ही नतीजा था कि भारत ने इस साल 16 जनवरी से अपने नागरिकों को वैक्सीन देना शुरू कर दिया था। ये देश के सभी नागरिकों का सामूहिक प्रयास और सामूहिक इच्छाशक्ति है कि आज भारत 141 करोड़ वैक्सीन डोज के अभूतपूर्व और बहुत मुश्किल लक्ष्य को पार कर चुका है।
उन्होंने कहा, "आज भारत की वयस्क जनसंख्या में से 61 प्रतिशत से ज्यादा जनसंख्या को वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है। इसी तरह, वयस्क जनसंख्या में से लगभग 90 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन की एक डोज लगाई जा चुकी है। आज हर भारतवासी इस बात पर गर्व करेगा कि हमने दुनिया का सबसे बड़ा, सबसे विस्तारित और कठिन भौगौलिक स्थितियों के बीच, इतना सुरक्षित वैक्सीनेशन अभियान चलाया।"
कई राज्य और विशेष तौर से टुरिज़्म की दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य जैसे गोवा, उत्तराखंड, हिमाचल जैसे राज्यों ने शत-प्रतिशत सिंगल डोज वैक्सीनेशन का लक्ष्य हासिल कर लिया है। आज देश के दूर सुदूर गाँवों से जब शत प्रतिशत वैक्सीनेशन की खबरें आती है तो मन को संतोष होता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, "यह प्रमाण है हमारे हेल्थ सिस्टम की मज़बूती का, हमारी टीम डिलीवरी का, हमारे हेल्थकेयर वर्कर्स के डेडिकेशन और कमीटमेंट का, और देश के सामान्य मानवी के अनुशासन और विज्ञान में उसके विश्वास का। हमारे देश में जल्दी ही नेज़ल वैक्सीन और दुनिया की पहली DNA वैक्सीन भी शुरू होंगी।"
उन्होंने आगे कहा, "कोरोना के खिलाफ भारत की लड़ाई शुरू से ही वैज्ञानिक सिद्धांतों, वैज्ञानिक परामर्श और वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित रही है। पिछले 11 महीने से देश में वैक्सीनेशन अभियान चल रहा है। देशवासी इसके लाभ भी महसूस कर रहे हैं। उनकी रोजमर्रा की जिंदगी सामान्य हो रही है। आर्थिक गतिविधियां भी दुनिया के कई देशों की तुलना में उत्साहजनक रही हैं।"
पीएम मोदी ने कहा, "हम सभी जानते हैं कि कोरोना अभी गया नहीं है। ऐसे में सतर्कता बहुत जरूरी है। देश को सुरक्षित रखने के लिए, देशवासियों को सुरक्षित रखने के लिए हमने निरंतर काम किया है। जब वैक्सीनेशन शुरू हुआ, तो उसमें भी वैज्ञानिक सुझावों के आधार पर ही ये तय किया गया कि पहली डोज किसे देना शुरू किया जाए, पहली और दूसरी डोर में कितना अंतराल हो, स्वस्थ लोगों को कब वैक्सीन लगे, जिन्हें कोरोना हो चुका है उन्हें कब वैक्सीन लगे, और जो को-मॉरबिडिटी से ग्रस्त हैं, उन्हें कब वैक्सीन लगे, ऐसे निर्णय लगातार किए गए और ये परिस्थितियों को संभालने में काफी मददगार भी साबित हुए हैं। भारत ने अपनी स्थिति-परिस्थिति के अनुसार, भारत के वैज्ञानिकों के सुझाव पर ही अपने निर्णय लिए हैं।"
वर्तमान में, ओमीक्रॉन की चर्चा जोरों पर चल रही है। विश्व में इसके अनुभव भी अलग-अलग हैं, अनुमान भी अलग-अलग हैं। भारत के वैज्ञानिक भी इस पर पूरी बारीकी से नजर रखे हुए हैं, इस पर काम कर रहे हैं। हमारे वैक्सीनेशन को आज जब 11 महीने पूरे हो चुके हैं तो सारी चीजों का वैज्ञानिको ने जो अध्ययन किया है और विश्वभर के अनुभवो को देखते हुए आज कुछ निर्णय लिए गए है। आज अटल जी का जन्म दिन है, क्रिसमस का त्योहार है तो मुझे लगा की इस निर्णय को आप सबके साथ साझा करना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "15 साल से 18 साल की आयु के बीच के जो बच्चे हैं, अब उनके लिए देश में वैक्सीनेशन प्रारंभ होगा। 2022 में, 3 जनवरी को, सोमवार के दिन से इसकी शुरुआत की जाएगी। ये फैसला, कोरोना के खिलाफ देश की लड़ाई को तो मजबूत करेगा ही, स्कूल-कॉलेजों में जा रहे हमारे बच्चों की, और उनके माता-पिता की चिंता भी कम करेगा।"
उन्होंने आगे कहा, "हम सबका अनुभव है कि जो कॉरोना वॉरियर्स हैं, हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स हैं, इस लड़ाई में देश को सुरक्षित रखने में उनका बहुत बड़ा योगदान है। वो आज भी कोरोना के मरीजों की सेवा में अपना बहुत समय बिताते हैं। इसलिए प्रीकोशन की दृष्टि से सरकार ने निर्णय लिया है कि हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन की प्रीकोशन डोज भी प्रारंभ की जाएगी। इसकी शुरुआत 2022 में, 10 जनवरी, सोमवार के दिन से की जाएगी।"
उन्होंने कहा, "कोरोना वैक्सीनेशन का अब तक का ये भी अनुभव है कि जो अधिक आयु वाले हैं और पहले से ही किसी ना किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, उन्हें प्रीकोशन लेना सलाह योग्य है। इसको ध्यान में रखते हुए, 60 वर्ष से ऊपर की आयु के कॉ-मॉरबिडिटी वाले नागरिकों को, उनके डॉक्टर की सलाह पर वैक्सीन की प्रीकोशन डोज का विकल्प उनके लिए उपलब्ध होगा। ये भी 10 जनवरी से प्रारंभ होगा।"
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन के अंत में कहा, "मेरा एक आग्रह है कि अफवाह, भ्रम और डर पैदा करने के जो प्रयास चल रहे हैं, उनसे बचना चाहिए। हम सभी देशवासियों ने मिलकर अब तक दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चलाया है। आने वाले समय में, हमें इसको और गति देनी है और विस्तार देना है। हम सभी के प्रयास ही कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में देश को मजबूत करेंगे।"