चॉकलेट डे: जब टैक्स और पैकेजिंग को लेकर भारत में विवादों में घिरी थी Nestle की Kitkat
भारत में मौजूद चॉकलेट्स में एक बेहद पसंदीदा और पॉपुलर नाम Nestle India की किटकैट है.
वैलेंटाइन वीक (Valentine Week) चल रहा है, यानी प्रेम को समर्पित सप्ताह. 7 फरवरी को रोज डे से शुरू होने वाले वैलेंटाइन वीक में आज यानी 9 फरवरी को चॉकलेट डे है. चॉकलेट का नाम सुनते ही कई लोगों के मुंह में पानी आ जाता है, एक अलग सी अच्छी वाली फीलिंग आपको घेर लेती है. भारत में मौजूद चॉकलेट्स में एक बेहद पसंदीदा और पॉपुलर नाम Nestle India की किटकैट (KitKat) है. यह अपने टेस्ट की वजह से तो जानी ही जाती है, लेकिन इसका नाम विवादों में भी रह चुका है. आइए जानते हैं कब-कब हुआ ऐसा...
KitKat: चॉकलेट या वेफर
बात वर्ष 1998 की है. भारत में नेस्ले इंडिया अपने प्रॉडक्ट किटकैट को वेफर की कैटेगरी में रखना चाहती थी और इसी के हिसाब से 10 प्रतिशत की सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी का भुगतान करना चाहती थी. लेकिन टैक्स अथॉरिटीज का मानना था कि किटकैट एक चॉकलेट है और इसलिए इस पर 20% सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी लगनी चाहिए. टैक्स अथॉरिटीज का कहना था कि नेस्ले इंडिया, किटकैट का एडवर्टिजमेंट चॉकलेट के तौर पर कर रही है, वेफर के तौर पर नहीं. लेकिन ड्यूटी वेफर वाली भरना चाहती है.
लेकिन नेस्ले का कहना था कि वह किटकैट को चॉकलेट बताकर नहीं बेचती. लोग इसे वेफर और चॉकलेट का कॉम्बिनेशन समझकर खरीदते हैं. वहीं टैक्स अथॉरिटी का कहना था कि किटकैट में 68-70% चॉकलेट मिल्क है और इस वजह से इसे चॉकलेट माना जाना चाहिए.
उस वक्त सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट ने नेस्ले इंडिया पर 24 करोड़ रुपये की ड्यूटी लगाई थी. इसमें किटकैट के कथित मिसक्लासिफिकेशन के लिए 100 प्रतिशत अनिवार्य जुर्माना शामिल था. 27 जुलाई 1998 के एक आदेश में कमिश्नर ऑफ सेंट्रल एक्साइज (एड्ज्यूडिकेशन), मुंबई ने नेस्ले इंडिया पर लगभग 12 करोड़ रुपये की ड्यूटी और 12.04 करोड़ रुपये के अतिरिक्त अनिवार्य जुर्माने को कन्फर्म किया था. इसके साथ ही नेस्ले इंडिया को सेंट्रल एक्साइज एक्ट के सेक्शन 11 AB के प्रावधानों के मुताबिक, ब्याज का भुगतान किए जाने का भी निर्देश दिया गया था. नेस्ले इंडिया को सेंट्रल एक्साइज डिपार्टमेंट की ओर से 11 सितंबर, 1997 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिसमें कंपनी से 12 करोड़ रुपये (लगभग) की सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी की मांग की गई थी.
आखिरकार मामला 'कस्टम्स, एक्साइज एंड गोल्ड ट्रिब्यूनल, मुंबई' में पहुंचा. नेस्ले इंडिया वर्सेज कमिश्नर ऑफ सेंट्रल एक्साइज (एड्ज्यूडिकेशन), मुंबई. ट्रिब्यूनल को यह तय करना था कि किटकैट में वेफर पर चॉकलेट की कोटिंग है या चॉकलेट के अंदर वेफर को रखा गया है.
आखिरकार साल 1999 में ट्रिब्यूनल ने फैसला दिया “…while all chocolate must necessarily contain cocoa, it is not every cocoa product or preparation that is chocolate”. यानी चॉकलेट में कोकोआ होना जरूरी है, लेकिन सभी कोकोआ प्रॉडक्ट या प्रिपरेशन, चॉकलेट हों ऐसा जरूरी नहीं. फैसला नेस्ले के पक्ष में आया था. किटकैट को वेफर माना गया और इसे 10 प्रतिशत सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी की कैटेगरी में ही रखा गया.
जब भगवान जगन्नाथ की तस्वीर वाली पैकेजिंग पर फंसी
जनवरी 2022 में नेस्ले इंडिया को किटकैट के पैकेट पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और माता सुभद्रा की तस्वीरों को लेकर सोशल मीडिया पर ग्राहकों की नाराजगी का सामना करना पड़ा था. लोगों ने कंपनी पर इस कदम के जरिये धार्मिक भावना को आहत करने का आरोप लगाया था. हालांकि नेस्ले इंडिया का कहना था कि उसके इस कदम का उद्देश्य केवल देश के खूबसूरत और दर्शनीय स्थलों को उकेरना था. डिब्बे पर पट्टचित्र के जरिये ओडिशा की संस्कृति को उकेरा गया था.
लेकिन फिर भी कंपनी ने अफसोस जताते हुए कहा था कि उसने तुरंत कदम उठाते हुए उन डिब्बों को बाजार से वापस मंगा लिया, जिनपर ये तस्वीरें लगी थीं. नेस्ले इंडिया की ओर से कहा गया था कि अगर अनजाने में उसने किसी की भावना को ठेस पहुंचाई है, तो उसे इसका खेद है. कंपनी का यह भी कहना था कि उसने साल 2021 में ही उन विवादास्पद पैकेजिंग वाली किटकैट के डिब्बों को बाजार से वापस ले लिया था.
इससे पहले अप्रैल 2021 में कंपनी ने अपने किटकैट चॉकलेट के पैकेट पर मणिपुर के कीबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान को मेघालय में दिखाए जाने के लिए माफी मांगी थी. राज्य सरकार के अधिकारियों की आपत्ति के बाद कंपनी ने यह कदम उठाया था.