कोरोनावायरस: आपके घर आकर COVID-19 टेस्ट कर रहा है यह ई-डायग्नोस्टिक्स स्टार्टअप, जानिए कैसे करें बुक
अकेले भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया कोरोनावायरस की चपेट में है। ऐसे में कोरोना वायरस का प्रकोप स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है। दवा निर्माताओं से लेकर अस्पतालों, डायग्नोस्टिक लैब और फार्मेसियों तक, इस संकट की घड़ी में हर स्टेकहोल्डर्स को इनोवेट करने का अहसास हुआ है। गुरुग्राम स्थित क्लिनिकऐप (KlinicApp) के लिए भी, यह अलग नहीं था।
इस हफ्ते की शुरुआत में, इस ई-डायग्नोस्टिक्स स्टार्टअप ने अपने प्लेटफॉर्म पर COVID-19 टेस्ट शुरू किया। यह कोरोनावायरस का पता लगाने के लिए लोगों के घर जाकर टेस्ट करता है। खास बात ये है कि यह आईसीएमआर-अधिकृत कुछ गिनी चुनी संस्थाओं में से एक है जो इस तरह का काम कर रहा है।
टेस्ट सरकार द्वारा अनुमोदित प्रयोगशालाओं जैसे थायरोकेयर और मेट्रोपोलिस के सहयोग से प्रदान किए जा रहे हैं। मौजूदा समय में KlinicApp अन्य स्टेकहोल्डर्स के साथ "100 प्रतिशत-प्रमाणित" टेस्टिंग किटों को सोर्स करने और अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए बातचीत कर रहा है। प्रत्येक 'SARS-COV-2 डिटेक्शन’ पैकेज की लागत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के निर्देशों के अनुसार 4,500 रुपये है, और परिणाम 48 घंटों में उपलब्ध कराया जाता है।
स्टार्टअप ने मुंबई में डोरस्टेप COVID-19 टेस्टिंग शुरू की है, और इसे एक सप्ताह में पुणे और दिल्ली में शुरू करने की योजना है। इसके लिए मरीजों को केवल 8929176409 पर कॉल करके टेस्ट बुक करना होता है, हालांकि इसके लिए उन्हें डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन को दिखाने की जरूरत होती है।
KlinicApp के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सतकाम दिव्या YourStory से कहते हैं, “लॉजिस्टिक्स के मामले में मुंबई हमेशा से हमारे लिए एक मजबूत बाजार रहा है। वहीं जब देश में पॉजिटिव कोरोना वायरस के मामलों की बात आती है तो महाराष्ट्र कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से एक है। इसलिए, हमारा यहां ध्यान केंद्रित करना जरूरी था।” खबर लिखे जाने तक महाराष्ट्र में 325 कन्फर्म कोरोनावायरस के मामले और 12 मौतें दर्ज की गई हैं।
घर पर COVID-19 टेस्टिंग है क्या
KlinicApp ने मुंबई में सैंपल इकट्ठे करने के लिए ग्राउंड पर 100 फेलबॉटोमिस्ट तैनात किए हैं। उन्हें आईसीएमआर दिशानिर्देशों के अनुसार बड़े पैमाने पर प्रशिक्षित किया जाता है, और डिस्पोजेबल सेफ्टी सूट (व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) और अन्य पर्याप्त गियर से लैस किया जाता है। प्रत्येक phlebotomist प्रति दिन दो से तीन टेस्ट कर सकता है। बता दें कि COVID-19 प्रोसेस एक टिपिकल ब्लड टेस्ट की तुलना में धीमी है। KlinicApp आने वाले हफ्तों में प्रमुख भारतीय शहरों में "पर्याप्त" परीक्षण क्षमता को बढ़ाने की योजना बना रहा है।
संस्थापक ने बताया,
“हमारे पास विभिन्न शहरों से लोगों के सवाल आ रहे हैं, लेकिन हमारे लिए हमारे ऑन-ग्राउंड फ्लीट के लिए सही ट्रेनिंग और सही सुरक्षा उपकरण का होना महत्वपूर्ण है। COVID-19 टेस्टिंग की दृश्यता में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। आने वाले हफ्तों में, हम सही स्रोतों से अधिक किट खरीदने में सक्षम होने की उम्मीद करते हैं।”
हालाँकि, इसके प्लेटफॉर्म पर अन्य पैकेजों के विपरीत, COVID-19 टेस्टिंग में KlinicApp द्वारा छूट नहीं दी गई है। बुकिंग के अलावा, यह वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन को रोकने में मदद करने के लिए यूजर्स के लिए प्रिवेंटिव टिप्स, स्वच्छता और सोशल डिस्टेंसिंग करने के उपाय भी प्रदान करता है।
हेल्थकेयर ऑपरेटरों के लिए, कोरोना वायरस द्वारा उत्पन्न चुनौतियां काफी तेज और अभूतपूर्व थीं, लेकिन इसके लिए तुरंत जागरुकता कुछ ऐसा है जो कंपनियों को प्रासंगिक बने रहने में मदद करता है।
सतकाम कहते हैं,
''हमें ऐसा लगता है कि दूसरे कारोबार अब धीमे होंगे। लोग घरों में कैद हैं, और लॉकडाउन जारी है, ऐसे में वे 15 या 20 दिनों तक अपने नियमित परीक्षणों को आगे बढ़ाएंगे। COVID-19 टेस्टिंग अब सबसे बड़ी जरूरत है, और हम तेजी से विकसित होने वाले पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तन को गले लगाने के महत्व को समझते हैं।”
लॉन्च के बाद से ऑपरेशनल ग्रोथ
जब 2015 के अंत में KlinicApp लॉन्च किया गया, तो भारत का ई-डायग्नोस्टिक्स क्षेत्र बहुत ही नवजात था। प्रिवेंटिव हेल्थ केयर लगभग अनसुना था, और मरीज केवल तब टेस्ट कराते थे किया उनके डॉक्टर इसके लिए उन्हें कहते थे। एक निरंतर आधार पर स्वास्थ्य की निगरानी करना कुछ ऐसा नहीं था जो भारतीय करते थे।
इसके भी अलावा, अधिकांश गैर-मेट्रो शहरों में या तो क्वालिटी डायग्नोस्टिक्स लैब्स की कमी थी या ऐसी फैसिलिटी थीं जो असंगठित व अप्रभावी थीं। KlinicApp अपने इंटीग्रेशन मॉडल और 'वन नेशन, वन प्राइस' नीति के साथ उस अंतर को खत्म करने में कामयाब रहे, जिसने जगह की परवाह किए बिना कीमतों को मानकीकृत किया। यूजर्स न केवल एंड-टू-एंड डायग्नोस्टिक टेस्ट बुक कर सकते थे, बल्कि उनकी आवश्यकताओं के आधार पर उपयुक्त सुविधाओं की खोज भी कर सकते थे।
इसके अतिरिक्त, स्टार्टअप ने एक एआई-आधारित एल्गोरिथ्म भी बनाया है जो यूजर्स को कुछ बीमारियों और लाइफस्टाइल संबंधी विकारों के लिए उनकी संवेदनशीलता की जांच करने की अनुमति देता है। चार वर्षों में, KlinicApp ने लगभग 200,000 रोगियों की सेवा की और 7.3 मिलियन से अधिक टेस्ट किए।
इसने phlebotomists के अपने फ्लीट को 300 तक विस्तारित किया है। वे नमूने एकत्र करते हैं जिन्हें परीक्षण के लिए NABL-प्रमाणित प्रयोगशालाओं में भेजा जाता है। कलेक्शन के 24 घंटे के भीतर मरीजों को रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाती है। वर्तमान में यह प्लेटफॉर्म 8,500 ग्राहकों को सेवा प्रदान कर रहा है और प्रति माह 1 करोड़ रुपये की ग्रॉस बुकिंग वैल्यू (GBV) को देख रहा है।
संस्थापक ने बताया कि स्टार्टअप का लगभग 80 प्रतिशत कारोबार शीर्ष पांच महानगरों से आता है। वे कहते हैं,
“हमारा व्यवसाय पिछले एक साल में 2 गुना बढ़ा है। लगभग 41 प्रतिशत रिपीट यूजर्स हैं, जो हमारे द्वारा दी गई सेवाओं के अच्छे मूल्यों को दर्शाता है।"
संस्थापक कहते हैं,
"हम निवारक स्वास्थ्य देखभाल पर अपना ध्यान बनाए रखना जारी रखेंगे, और लोगों को उनके स्वास्थ्य की बेहतर निगरानी में मदद करेंगे। डायग्नॉस्टिक्स पहला कदम है, इस ओर।"
क्या KlinicApp की योजना अधिक कैटेगरीज, विशेष रूप से मेडिसिन डिलीवरी को जोड़ने की है, जो देशव्यापी लॉकडाउन के समय में अधिक डिमांड में है? इस पर सतकाम कहते हैं,
"हम इस मोड़ पर नई कैटेगरीज में आने की योजना नहीं बना रहे हैं। योजना यह है कि हमारे पास पहले से मौजूद कैटेगरीज में गहराई से जाया जाए और हर शहर में उनका बहुत अच्छा काम किया जाए।"
कोरोनोवायरस के बाद की दुनिया में हेल्थकेयर
शब्दों के जाल में उलझे बिना, KlinicApp के संस्थापक का मानना है कि नोवेल कोरोना वायरस द्वारा वैश्विक स्वास्थ्य सेवा को "बुरी तरह से उजागर" किया गया है। वे कहते हैं,
“सभी देशों को इस महामारी के बाद स्वास्थ्य और लास्ट-मील डिलीवरी के बारे में सोचना होगा। यह एक बड़ी चुनौती होगी।"
अमेरिका और इटली जैसे विकसित देशों की असमानता ने दुनिया को झकझोर दिया है। सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में निवेश को और आगे जाना चाहिए। भारत की बात करें तो यहां COVID-19 टेस्ट अपर्याप्त हैं, यहां निवेश रातोंरात नहीं हो सकता है।
सतकाम का मानना है कि स्वास्थ्य कंपनियां अब पूंजी या कुछ और जुटाने पर "दीर्घकालिक साझेदारी" की ओर देखेंगी। फाउंडर का कहना है कि KlinicApp फंडिंग जुटाने की ओर भी देख रहा है, लेकिन बेहतर समय पर। अतीत में, स्टार्टअप ने फायरइनफोटेक, व्हाइटबोर्ड कैपिटल और बर्मन फैमिली ऑफिस फंड से सीड फंडिंग जुटाई है।
KlinicApp प्रैक्टो, मायलैब, हेल्थियंस, mFine, मेडलाइफ आदि के साथ प्रतिस्पर्धा करता है, जो तेजी से बढ़ते ई-डायग्नोस्टिक्स क्षेत्र में पहले से मौजूद हैं। RedSeer ने ई-डायग्नोस्टिक्स क्षेत्र का 45,000 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया गया है। संयोग से, यहां तक कि प्रैक्टो ने थायरोकेयर के साथ मिलकर अपने प्लेटफॉर्म पर बुकिंग के लिए COVID-19 टेस्ट उपलब्ध कराए हैं।
हालांकि भारत में कोरोनावायरस संकट के समय टेस्टिंग की कमी को देखते हुए सतकाम ने भरोसा दिलाया कि KlinicApp "COVID-19 के खिलाफ लड़ाई के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और देश को इस मुश्किल से बाहर आने में मदद करेगा।"