सार्कोपेनिया से निपटना: उम्र बढ़ने के साथ मांसपेशियाँ क्यों महत्वपूर्ण हो जाती हैं
सार्कोपेनिया को एडवांस्ड मसल लॉस भी कहा जाता है और इसमें व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ बड़ी मात्रा में मांसपेशियों का द्रव्य (मसल मास) खो जाता है और साथ ही उसकी ताकत और कार्यात्मकता भी चली जाती है. मसल लॉस बुजुर्गों की ही बीमारी नहीं है, बल्कि जीवन में बड़ी जल्दी इसकी शुरूआत हो जाती है.
हम सभी के साथ कभी ना कभी ऐसा होता है कि एक डब्बे के ढक्कन को खोलने में परेशानी आती है. हम डब्बे को खोलने के लिए उसे किनारे से ठोकते भी हैं, या फिर उसे गर्म पानी में रखते हैं ताकि ढक्कन ढीला पड़ जाए, लेकिन इन सब जुगाड़ के बाद भी बात नहीं बनने पर हम दूसरों से मदद भी मांग लेते हैं. बीतते वर्षों के साथ हमें लग सकता है कि ऐसे जिद्दी ढक्कन ज्यादा मजबूत हो रहे हैं, पर कई लोगों के लिये समस्या यह है कि अब उनके हाथ और शरीर कमजोर हो रहे हैं.
क्या आपकी हथेली आपके स्वास्थ्य की स्थिति बता सकती है? यह उतना आसान नहीं है, लेकिन आपके हाथ की पकड़ की मजबूती कुल मिलाकर मांसपेशियों की ताकत का एक महत्वपूर्ण संकेत होती है और आपको बहुत कुछ बता सकती है. मांसपेशियों का खोना (मसल लॉस) आयु बढ़ने की प्रक्रिया का अक्सर नजरअंदाज किया जाने वाला एक पहलू है, जिस पर ज्यादातर लोग ध्यान नहीं देते हैं और इसके लक्षणों में हाथ की पकड़ का कम होना शामिल है, जिस पर आमतौर पर ध्यान नहीं दिया जाता है और यह आपकी आयु बढ़ने के साथ होता है.
कई महाद्वीपों में स्वस्थ बुजुर्गों पर हुए एक अध्ययन के अनुसार, 17.5% भारतीयों को एडवांस्ड मसल लॉस था, जिसे सार्कोपेनिया भी कहा जाता है. यह आंकड़ा एशिया के दूसरे देशों और यूरोप की तुलना में काफी बड़ा है. एबॅट के न्यूट्रीशन बिजनेस में मेडिकल एण्ड साइंटिफिक अफेयर्स के हेड डॉ. इरफान शेख बता रहे हैं कि हमारी मांसपेशियों की सेहत कैसे हमारी बढ़ती उम्र के बारे में बता सकती है और हम बढ़ती उम्र के साथ सार्कोपेनिया का प्रभाव कम करने के लिये मांसपेशियों की सेहत के बारे में कैसे जान सकते हैं और उसे दोबारा कायम कर सकते हैं.
सार्कोपेनिया और आपकी सेहत
सार्कोपेनिया को एडवांस्ड मसल लॉस भी कहा जाता है और इसमें व्यक्ति की उम्र बढ़ने के साथ बड़ी मात्रा में मांसपेशियों का द्रव्य (मसल मास) खो जाता है और साथ ही उसकी ताकत और कार्यात्मकता भी चली जाती है. मसल लॉस बुजुर्गों की ही बीमारी नहीं है, बल्कि जीवन में बड़ी जल्दी इसकी शुरूआत हो जाती है. 40 साल की उम्र के लोग हर दशक में 8 प्रतिशत तक मसल मास खो सकते हैं. 70 वर्ष की आयु के बाद यह दर संभावित रूप से दोगुनी हो जाती है. भारत के हर तीसरे पुरूष और पाँचवी महिला में सार्कोपेनिया पाया गया है. दुनिया में एक अनुमान के अनुसार 50 मिलियन लोगों को यह बीमारी है और अगले 40 वर्षों में यह संख्या 200 मिलियन से ज्यादा होने की संभावना है.
मसल लॉस से ऊर्जा और गतिशीलता कम हो सकती है, गिरने और हड्डी टूटने का जोखिम बढ़ सकता है और बीमारी या सर्जरी के बाद ठीक होने और जीवित रहने की प्रत्याशा प्रभावित हो सकती है. मसल मास का मापन बॉडी मास इंडेक्स या बीएमआई जैसे मापन के व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाले टूल की तुलना में सेहत का बहुत बेहतर संकेतक है.
मसल मास को मापना
मापन इतना महत्वपूर्ण क्यों है? सार्कोपेनिया को एक छुपी हुई या अदृश्य स्थिति माना जाता है, क्योंकि मांसपेशियों की ताकत को परखे बिना हो सकता है कि आपको पता न चले कि आप मसल मास खो रहे हैं.
तो आप अपनी मांसपेशियों की ताकत को कैसे परखेंगेᣛ? पकड़ को परखना आपके लिये आसान हो सकता है, जैसे कि कोई डिब्बा खोलना, संतरा दबाना या हाथ मिलाने में लगने वाली ताकत का पता लगाना. अगर आपको ताकत में अंतर लगे, तो ध्यान देना चाहिये.
चेयर चैलेंज टेस्ट भी आपकी मांसपेशियों की ताकत को आसानी से माप सकता है और सही समय पर सुधार के उपाय करने में आपकी मदद कर सकता है. 43 से.मी. (1.4 फीट) ऊँचाई की एक कुर्सी पर 5 सिट-अप करने में आपको जो समय लगता है, वह मांसपेशियों की उम्र बता सकता है. चेयर चैलेंज टेस्ट कैसे काम करता है, इसके बारे में ज्यादा जानने के लिये आप www.muscleagetest.in पर जा सकते हैं.
सार्कोपेनिया का सामना करते हुए मांसपेशियों और उनकी ताकत को फिर से पाना
इस अदृश्य बीमारी पर पर्याप्त चर्चा नहीं होती है, लेकिन अच्छी खबर यह है कि मांसपेशियों और ताकत को ताकत की कसरतों और पर्याप्त पोषक-तत्वों वाले संतुलित आहार से दोबाया बनाया और पाया जा सकता है. इसके लिये आप यह कर सकते हैं:
- नाश्ता करना न छोडे़ं, चाहे आपका समय कितना भी कीमती हो. नाश्ता पोषण का पावरहाउस होता है, जो आपके शरीर को दिन में चलने के लिये चाहिये. आपको पोषक-तत्वों से प्रचुर और संपूर्ण आहार लेना चाहिये, जिसमें अंडे, साबुत अनाज, फल और डेयरी हों, ताकि आप संतुष्ट रहें और आपकी ऊर्जा का स्तर ऊँचा बना रहे.
- रोजाना की शारीरिक गतिविधि सुनिश्चित करें, क्योंकि इससे मांसपेशियाँ लंबे समय तक मजबूत बनी रह सकती हैं. आप डेली रूटीन में आसान गतिविधियों से शुरूआत कर सकते हैं, जैसे कि पैदल चलना, साइकल चलाना, तैरना, जॉगिंग, बैडमिंटन/क्रिकेट खेलना या सीढ़ियाँ चढ़ना. रोजाना एक घंटा शारीरिक गतिविधि करने से मांसपेशियों की ताकत और सेहत में बड़ा बदलाव हो सकता है.
- रोजाना की प्रोटीन की जरूरत को समझें और पूरा करें- रोजाना पर्याप्त मात्रा में उच्च-गुणवत्ता का प्रोटीन (शरीर के वजन के हर किलो पर लगभग 1 ग्राम) लेने और शारीरिक गतिविधि करने से आपके शरीर को पूरे दिन मांसपेशियाँ बनाने और उन्हें बहाल रखने में प्रोटीन का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने में मदद मिलेगी.
- न्यूट्रीशन सप्लीमेंट्स अपनाएं- उम्र बढ़ने के साथ मजबूत मांसपेशियाँ बनाने के लिये नियमित और संतुलित आहार जरूरी है, लेकिन पोषण-सम्बंधी कुछ कमियाँ रह सकती हैं. इन कमियों को दूर करने के लिये लोगों को न्यूट्रीशन सप्लीमेंट्स संतुलन के साथ अपनाने चाहिये, जैसे कि अपने आहार में एचएमबी को सुनिश्चित करना. बीटा-हाइड्रोक्सी-बीटा-मिथाइलब्यूरेट (एचएमबी) सप्लीमेंट वयस्कों में लीन बॉडी मास, मांसपेशियों की ताकत और कार्यात्मकता को बनाये रखने और बहाल करने में सहायक हो सकता है.
मांसपेशियों की जीवन के कई पहलुओं में महत्वपूर्ण भूमिका होती है और सार्कोपेनिया के साथ प्रभावी ढंग से निपटने के लिये मांसपेशियों की सेहत को परखने और सुधारने के कई प्रभावी तरीके हैं. जागरूकता, शिक्षा और कार्यवाही के माध्यम से हम खुद को और दूसरों को सशक्त कर सकते हैं, ताकि मांसपेशियों की सेहत को प्राथमिकता मिले और इसके लिये जीवनशैली की स्वास्थ्यकर आदतों को अपनाया जाना चाहिये और उम्र बढ़ने का अनुभव शानदार और सक्रिय बनाया जाना चाहिये. साथ मिलकर हम ऐसा भविष्य बना सकते हैं, जहाँ सेहतमंद तरीके से आयु बढ़ना और मजबूत मांसपेशियाँ साथ-साथ रहें, ताकि हम हर अवस्था में पूरी शिद्दत से जीने में समर्थ हों.
Edited by रविकांत पारीक