जन्म के समय मृत समझ कर यूपी की जिस लड़की को फेंक दिया गया था कचरे में, कौन बनेगा करोड़पति में उसने जीते 12.5 लाख
"उत्तर प्रदेश के उन्नाव के बेहद सामान्य परिवार में जन्मी एक दिव्यांग बेटी नुपूर चौहान भले ही डॉक्टरों के लिए मृत पैदा हुई हो लेकिन हौंसले उनके हमेशा से ही बुलंद रहे। आज नुपूर की कहानी हर किसी की जुबां पर है।"
उसे जन्म के समय मृत घोषित करार दिया था और कानपुर के अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे कचरे में फेंक दिया था। लेकिन एक रिश्तेदार को उस नवजात शिशु में जीवन के लक्षण दिखे और उसने उस लड़की को कचरे से उठा लिया। तब किसी को शायद ही उम्मीद रही होगी कि ये लड़की अपने दम पर अपना नाम बना पाएगी। उत्तर प्रदेश के उन्नाव के बेहद सामान्य परिवार में जन्मी एक दिव्यांग बेटी नुपूर चौहान भले ही डॉक्टरों के लिए मृत पैदा हुई हो लेकिन हौंसले उनके हमेशा से ही बुलंद रहे। आज नुपूर की कहानी हर किसी की जुबां पर है।
दरअसल नुपूर ने टीवी शो 'कौन बनेगा करोड़पति' में 12 सवालों के सही जवाब देकर 12.50 लाख रुपये जीते। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन द्वारा होस्ट किए जाने वाले इस शो में नुपूर ने अपने हौंसलों से उन लोगों के सामने एक मिसाल पेश की है जिन्हें लगता है कि दिव्यांग होने से उनकी जिंदगी का कोई मतलब नहीं रह गया है। नुपूर अपनी मजबूत इच्छाशक्ति से आज मां-बाप का ही नहीं देश स्तर पर गांव की पहचान बन चुकी हैं। उन्नाव जिले के बीघापुर में रहने वाले नूपुर का जन्म किसान रामकुमार सिंह और उनकी पत्नी कल्पना सिंह के घर हुआ था।
टाइम्स नॉव की रिपोर्ट के मुताबिक, नुपूर की मां कल्पना सिंह ने कहा,
"नूपुर, अपनी विकलांगता के बावजूद, हमेशा एक अच्छी छात्रा रही हैं। वह इंटरमीडिएट में मेरिट सूची में थीं और पहले प्रयास में बीएड प्रवेश परीक्षा से पास हुईं।आज, वह एक प्ले ग्रुप में बच्चों को पढ़ाती है और कक्षा 10 के छात्रों को मुफ्त शिक्षा भी देती है।"
केबीसी की अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए, गर्वित मां ने कहा कि जब भी केबीसी टीवी पर प्रसारित किया जाता था, नूपुर प्रतियोगियों से पहले भी सवालों के सही जवाब दे देती थी।
नुपूर की मां ने आगे बताया,
"जब यह सीजन शुरू हुआ, तो हमने उसे भी अप्लाई करने को कहा और उसका चयन हो गया। हमारी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था जब उसने 12.5 लाख रुपये जीते।"
डॉक्टरों से कोई शिकायत नहीं
नुपूर की मां ने कहा कि नूपुर को डॉक्टरों के खिलाफ कोई शिकायत नहीं है जो उसकी विकलांगता के लिए जिम्मेदार थे। माँ ने कहा,
"वह कहती है कि यह उसकी नियति थी और वह किसी को दोष नहीं देती।"
दरअसल आज से 29 साल पहले कानपुर के एक अस्पताल के डॉक्टरों ने ऑपरेशन के बाद जिस नुपूर चौहान को पैदा होते ही मृत घोषित कर कूड़ेदान में फेंक दिया था। वहीं नुपूर आज अपनी मौसी की समझदारी से परिवार का मान व अभिमान बनी हैं। लेकिन डॉक्टरों की लापरवाही ने नुपूर को पैरों से दिव्यांग बना दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नूपुर चौहान की मां ने जो कहनी बताई, वो हैरान करने वाली है। उन्होंने बताया कि जब वो पैदा हुईं तो उसे सर्जिकल औजार लग गए थे ऑपरेशन के वक्त और वो रोईं नहीं, डॉक्टरों ने कहा मृत है और डस्टबिन में फेंक दिया।
इसके बाद नूपुर की नानी ने उसकी मौसी नीलम सिंह से कहा की नर्स से कहो कि बच्ची को साफ करके, थपथपाओ शायद इसकी सांसे चल जाए और वही हुआ नूपुर रोने लगी लेकिन वो रोईं तो 12 घंटे तक रोती ही रहीं और इस तरह से नुपूर को जीवन मिला जो किसी के लिए भी प्रेरणा से कम नहीं है।
हालांकि नुपूर इसके लिए डॉक्टरों को दोष नहीं देती हैं। नूपुर अब अपने गांव के लिए किसी स्टार से कम नहीं है। लोग उससे मिलने के लिए उसके घर आते हैं।