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बचपन में मां के विचारों से हुए प्रभावित, आज ढेरों अवार्ड अपने नाम करते हुए भोपाल को बना चुके हैं केज़ फ्री

20 हजार से अधिक पंछियों को दिया पिंजरा मुक्त जीवन, कई वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और अवॉर्ड्स किए अपने नाम, भोपाल को बनाया 'केज फ्री शहर', कुछ ऐसी है भोपाल के धर्मेंद्र शाह की कहानी।

बचपन में मां के विचारों से हुए प्रभावित, आज ढेरों अवार्ड अपने नाम करते हुए भोपाल को बना चुके हैं केज़ फ्री

Monday October 26, 2020 , 4 min Read

"बचपन में मां के विचारों से प्रभावित होने के बाद पक्षियों के प्रति दया भाव रखने वाले भोपाल के धर्मेंद्र कुमार बीते 20 सालों से मिशन पंख के तहत काम करते हुए पिंजड़ों में बंद पंछियों को आजाद कराने की मुहिम में लगे हुए हैं। उनका मानना है कि प्रकृति ने जिसे जिसे काम के लिए बनाया है, वह वही करते हुए सुंदर नज़र आता है।"

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भोपाल में साल 2019 में वार्षिक सम्मान समारोह में मिशन पंख के फाउंडर धर्मेंद्र शाह (बीच में) को सम्मानित किया गया

अक्सर आपने लोगों को पक्षियों को पकड़कर कैद में करते देखा होगा लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनियां में ऐसे लोग भी हैं, जो इन्हें कैद से रिहा कराने के मिशन में लगे हुए हैं। जी हां यहां हम बात करेंगे एक ऐसे शख्स और उनके मिशन के बारे में जिन्होंने मिशन पंख के माध्यम से केज में बंद हजारों पंछियों को रिहाई दी है।


मिशन पंख का संचालन कर रहे भोपाल के धर्मेंद्र शाह का मानना है कि ईश्वर ने प्रत्येक प्राणी को एक खास मकसद से बनाया है और जिस भी क्रिएचर का जो काम है वह वही करते हुए सुंदर भी लगता है। अपने इन्हीं विचारों को लेकर आगे बढ़ते हुए मिशन पंख के संचालक धर्मेंद्र शाह ने अब तक अपने मिशन के तहत 20 हजार से भी ज्यादा पंछियों को रिहा कराया है और इस काम को करते हुए वह अब तक लगभग 34 से भी ज्यादा अवार्ड अपने नाम कर चुके हैं।

कहां से मिली इस मिशन की प्रेऱणा?

योरस्टोरी से बात करते हुए धर्मेंद्र शाह बताते हैं, कि बचपन में वह अपनी मां के साथ जिस मोहल्ले में रहते थे वहां अक्स़र बहेलियों की आवाजाही बनी रहती थी।


वह कहते हैं,

"बहेलियों के हाथ में पिंजरें के अंदर बंद पक्षी हुआ करते थे, जिन्हें देखने के बाद मेरी मां मुझसे यह कहती थी कि जाओ और इसके हाथ में जितने भी पिंजड़े हैं सारे खरीद लाओ। बहेलिये से सारे पक्षी खरीद कर मां उन्हें वापस आसमान में उड़ा दिया करती थी और कहती थी कि ये पंछी हैं। ये पिंजरे में कैद नहीं बल्कि खुले आसमान में उड़ते हुए अच्छे लगते हैं और मैं तभी से मां के विचारों को आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहा हूं। मिशन पंख कोई प्रोजेक्ट नहीं हैं बल्कि यह एक विचार है, जिसे जींवत रखने का प्रयास किया जा रहा है।"



यहां देखें पूरा इंटरव्यू


किन-किन चुनौतियों का किया सामना?

अक्सर जब इंसान किसी नेक राह पर चलता है तो उसे चुनौतियों का सामना करना ही पड़ता है। कुछ ऐसी ही कठिनायों का सामना धर्मेंद्र शाह को भी करना पड़ा। धर्मेंद्र कहते हैं कि शुरुआत में जब वह लोगों से पंछियों को कैद से रिहा करने की बात कहते तो उन्हें लोगों की नाराज़गी का सामना भी करना पड़ता था। कई बार तो लोग उन्हें जान से मारने की धमकी भी दे डालते थे लेकिन वह कभी डरे और डिगे नहीं। वह निरंतर अपनी राह चलते रहे और आगे बढ़ते रहे। शायद आज उसी कड़ी मेहनत का ही फल है जब उन्हें अपने शहर को केज फ्री बना पाने में सफलता मिली पाई है।

मिशन को और कितना आगे तक ले जाना चाहते है?

योरस्टोरी से बातचीत के दौरान जब धर्मेंद्र शाह से पूछा गया कि इस मिशन को अभी और कितना आगे तक ले जाना चाहते हैं, तो इसका जवाब देते हुए शाह कहते हैं,


"मिशन पंख अपने आप में देश का पहला मिशन है जो पिछले 20 सालों से पिंजरे में बंद पक्षियों को आजाद कर रहा है।हमारे पास महज 9 लोगों की टीम है, जिसमें से भी 5 से 6 लोग मेरे परिवार से ही हैं, बाकी कुछ दोस्त भी इस मिशन में हमारा साथ दे रहे हैं। अब हाल ही में हैदराबाद में साजन मैथ्यू द्वारा मिशन संचालित किया जा रहा है। इसके साथ ही हम पूरे भारत में इस मिशन के पंख फैलाने की कोशिश में हैं।"


मिशन पंख के तहत काम करते हुए धर्मेंद्र शाह को ओएमजी बुक ऑफ रिकार्ड में स्थान प्राप्त हुआ। ब्रिटिश बुक ऑफ रिकार्ड में भी नाम दर्ज हो चुका है और साथ ही लगभग 34 अवॉर्ड्स और रिकॉर्ड्स धर्मेंद्र शाह अपने नाम कर चुके हैं।


-प्रस्तुति : शोभित शुक्ला