मिलें दक्षिण एशिया और भारत के सबसे बड़े क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म 'मिलाप' के को-फाउंडर मयूख चौधरी से और जानें पर्सनल और मेडिकल एमरजेंसी में कितनी कारगर है क्राउडफंडिंग
मिलाप व्यक्तिगत और चिकित्सा आपात स्थितियों के लिए दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म है, विशेष रूप से स्वास्थ्य देखभाल जैसे कैंसर, अंग प्रत्यारोपण, दुर्घटनाओं, दुर्लभ बीमारियों, आईसीयू लागत और अन्य जीवन रक्षक उपचार (बच्चों के लिए लोकप्रिय) के लिए।
रविकांत पारीक
Friday September 18, 2020 , 8 min Read
"बढ़ती डिजिटल पहुंच और ऑनलाइन भुगतान की सुविधा, अधिक से अधिक भारतीयों के लिए सही समय पर तत्काल जरूरतों व समर्थन हेतु डिजिटल तरीके अपना रही हैं। क्राउडफंडिंग अप्रत्याशित आर्थिक दबाव की जरूरतों को पूरा करने का एक तेज और आसान तरीका है। स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाला कोई भी व्यक्ति बड़ी आसानी से इसको अपना सकता है। देखा जाये तो अधिकतर लोग अब किसी भी तरह की आर्थिक आपात स्थिति से निपटने के लिए ऑनलाइन फंडिंग का सहारा ले रहे हैं, जो कि सबसे आसान और कारगर तरीका है। इसी ज़रूरत को देखते हुए आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र मयूख चौधरी और अनुज विश्वनाथन ने साथ मिलकर साल 2010 में भारत के अग्रणी क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म 'मिलाप' की स्थापना की।"
"मयूख चौधरी को बिजनेस वर्ल्ड पत्रिका ने 2019 में 40 अंडर 40 की प्रतिष्ठित सूची में शामिल करके सम्मानित किया, जिसमें देश में 40 वर्ष से कम उम्र के 40 एन्फ्लुएंशियल लीडर्स शामिल हैं। इस साल मयूख ने फोर्ब्स अल्टीमेट 120 में भी जगह बनाई है।"
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के 2018 के एक पेपर के अनुसार, भारत जैसे देश में जहां चिकित्सा बीमा की पहुंच कम है, मरीज और उनके परिवार लगभग 70% स्वास्थ्य खर्च वहन करते हैं। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया द्वारा 2018 के अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि 55 मिलियन भारतीयों को एक ही वर्ष (2011-12) में स्वास्थ्य में आए खर्च के चलते गरीबी देखनी पड़ी।
आमतौर पर, जब भी किसी को तत्काल चिकित्सा संकटों से निपटने के लिए महत्वपूर्ण राशि की आवश्यकता होती है, वे हमेशा अपने दोस्तों, परिवार और समुदायों की ओर रुख करते हैं। भारत का निजी स्वास्थ्य सेवा खर्च प्रति वर्ष $ 90 बिलियन का अनुमानित है। इसमें से लगभग 60 बिलियन डॉलर आउट-ऑफ-पॉकेट हैं, इसका मतलब है: बचत, उधार और दोस्तों व परिवार के समर्थन से, ऐसे में क्राउडफंडिंग एक अहम भूमिका निभाता है और वित्तीय सहायता को आसान बनाता है।
इन्हीं सब को देखते हुए आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र मयूख चौधरी ने अनुज विश्वनाथन के साथ मिलकर साल 2010 में क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म मिलाप की स्थापना की। मयूख मिलाप के को-फाउंडर और सीईओ हैं। मिलाप में वह फर्म के बिजनेस और प्रोडक्ट स्ट्रेटेजी पर फोकस करते हैं। मिलाप से पहले वह सोहन लाल कमोडिटी के साथ थे, जहां उन्होंने कंपनी के पूंजीकरण के लिए $ 8 मिलियन का प्रारंभिक फंड जुटाने और बाद में $ 25 मिलियन राउंड को मैनेज किया। मयूख Ernst and Young and D. light डिजाइन का हिस्सा भी रहे हैं, जो सस्ती सोलर लाइटिंग समाधान पर एक सामाजिक स्टार्टअप है, जहां उन्होंने पूरे भारत में डिस्ट्रीब्यूशन चैनल्स और फायनेंसिंग पार्टनरशिप्स को बढ़ाने पर काम किया।
इन सभी अनुभवों के परिणामस्वरूप मयूख और उनके सहयोगियों ने सामाजिक और व्यक्तिगत आवश्यकताओं में धन जुटाने के लिए भारत का अग्रणी क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म 'मिलाप' बनाया।
क्या होती है क्राउडफंडिंग?
क्राउडफंडिंग दोस्तों, परिवार, ग्राहकों और व्यक्तिगत निवेशकों के सामूहिक प्रयास के माध्यम से धन जुटाने का एक तरीका है। यह दृष्टिकोण व्यक्तियों के एक बड़े ग्रुप के सामूहिक प्रयासों से बनता है - मुख्य रूप से सोशल मीडिया और क्राउडफंडिंग प्लेटफार्म्स के माध्यम से ऑनलाइन - और अधिक पहुंच के लिए अपने नेटवर्क का लाभ उठाता है। आमतौर पर, धन की मांग करने वाले लोग अपने प्रोजेक्ट का प्रोफाइल वेबसाइट, सोशल मीडिया, क्राउडफंडिंग प्लेटफार्म्स आदि पर देते हैं।
क्या है मिलाप?
मिलाप व्यक्तिगत और चिकित्सा आपात स्थितियों के लिए दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म है, विशेष रूप से स्वास्थ्य देखभाल जैसे कैंसर, अंग प्रत्यारोपण, दुर्घटनाओं, दुर्लभ बीमारियों, आईसीयू लागत और अन्य जीवन रक्षक उपचार (बच्चों के लिए लोकप्रिय) के लिए। मिलाप ने भारतीयों को रुपये जुटाने में मदद की है। अब तक 2.5 लाख मामलों के लिये 1,000 करोड़ रुपये यह प्लेटफ़ॉर्म जुटा चुका है।
मिलाप लोगों की तत्काल चिकित्सकीय जरूरतों को पूरा करने के लिए दोस्तों, परिवार और यहां तक कि अजनबियों से ऑनलाइन धन जुटाना आसान बनाता है।
चेन्नई बाढ़, केरल बाढ़ और हाल ही में कोविड-19 महामारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं में राहत कार्यों के लिए मिलाप का बड़े पैमाने पर उभर कर सामने आया। मिलाप के 30 लाख से अधिक डोनर्स का समुदाय दुनिया भर के 130 देशों से आता है। पिछले 10 वर्षों से मिलाप भारत में लोगों की मदद करने के तरीकों को बदल रहा है, और धन उगाहने में विश्वास, समर्थन और इनोवेशन में उद्योग के अग्रणी होने पर गर्व करता है।
यहां देखें योरस्टोरी के साथ मिलाप के को-फाउंडर मयूख चौधरी का पूरा इंटरव्यू,
मिलाप 'दान' पर कोई शुल्क नहीं लेता है। ये लगातार अधिक से अधिक भारतीयों के लिये ऑनलाइन धन उगाहने का प्रयास कर रहा है। सोशल मीडिया की बढ़ती पैठ और डिजिटल भुगतान के लोकप्रिय होने के कारण, मिलाप व्यक्तिगत कारणों से धन जुटाने के लिए भारत का सबसे पसंदीदा मंच बन गया है।
मयूख के अनुसार भारत के सबसे बड़े क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म पर चलने वाले लगभग 85% कैंपेन आज चिकित्सकीय मदद के लिए हैं।
मयूख कहते हैं,
"मिलाप पर 45% से ज्यादा कैंपेन्स सात सबसे बड़े शहरों के बाहर से आते हैं और समान भुगतान मोबाइल फोन के माध्यम से किए जाते हैं।"
कैसे हुई शुरूआत?
मिलाप के को-फाउंडर और सीईओ मयूख चौधरी बीटेक करने के बाद आईआईटी मद्रास के पूर्व छात्र रहे हैं जबकि उनके साथी को-फाउंडर और मिलाप के प्रेजीडेंट अनुज विश्वनाथन ने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की है और दोनों पहली बार गांवों में सोलर लालटेन बेचने वाले सामाजिक उद्यम में काम करते हुए मिले। मिलाप को शुरू करने के पीछे प्रारंभिक विचार ग्रामीण विकास परियोजनाओं और सूक्ष्म उद्यमियों के लिए एक क्राउडफंडिंग सिस्टम तैयार करना था।
मयूख बताते हैं,
“हमने खुद से पूछा कि क्या ग्रामीण भारत में विभिन्न विकास कार्यों को क्राउडफंडिंग द्वारा समर्थित किया जा सकता है? यह विचार था, आप एक माइक्रोफाइनेंस प्रोजेक्ट के लिए लोन देंगे और फिर किसी छोटे व्यवसाय को स्थापित करने में किसी की मदद करने के लिए धन वापस आने देंगे।
वे आगे कहते हैं,
"आप या तो अपना पैसा वापस ले सकते हैं या अन्य कारणों में इसे लगा सकते हैं।"
क्राउडफंडिंग से वाकिफ होते हुए भी फाउंडर्स शुरू में इससे दूर रहे। शुरूआती चार वर्षों में मिलाप ने सूक्ष्म उद्यमिता विकास, लघु व्यवसाय वित्त और शिक्षा ऋण पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित किया।
मयूख कहते हैं,
"शुरू में हम केवल ग्रामीण विकास परियोजनाओं को ही प्लेटफॉर्म पर रखते थे। टीम और तकनीक के निर्माण के बाद ही हमने एक कदम आगे बढ़ाया। हमने सोचा कि हम लोगों को अपने स्वयं के कारणों को प्लेटफॉर्म पर लाने देंगे और देखेंगे कि क्या होता है।"
मिलाप ने प्राकृतिक आपदाओं, चिकित्सा आपातकाल और शिक्षण शुल्क सहायता जैसे कारणों के लिए धन उगाहने वाले अभियानों को जोड़ा।
सिंगापुर सरकार (राष्ट्रीय अनुसंधान कोष), खोसला इम्पैक्ट, लायन रॉक कैपिटल, स्वर्गीय टोइवो एन्यूस (Toivo Annus - फाउंडिंग मेंबर Skype), जयेश पारेख (फाउंडर, सोनी इंडिया), सौभ नानावटी (सीइओ, इनवेस्को इंडिया), यूनिटस वेचंर्स, विजय शेखर शर्मा, राजीव मधोक जैसे बड़े दिग्गज मिलाप में निवेशक हैं।
कोविड-19 में क्राउडफंडिंग
कोविड-19 महामारी के संकट में मिलाप कई लोगों की जिंदगियां बचाने में कामयाब रहा। पिछले कुछ महीनों में, जैसा कि महामारी सामने आई है, मिलाप ने लोगों से उदारता की अभूतपूर्व लहर देखी है।
कोविड-19 के दौरान फंड जुटाने वालों के बारे में जानकारी देते हुए मयुख बताते हैं, "मिलाप पर मार्च की शुरूआत से लेकर अब तक करीब 70 हजार फंडरायजर सेटअप किये जा चुके हैं। इस बीच 22 मार्च को मिलाप ने लॉकडाउन से संबंधित मदद के लिये एक पेज लॉन्च किया था जिसके तहत प्लेटफॉर्म को पूरी तरह नि:शुल्क कर दिया गया था। यहां पर भी काफी लोगों ने अपने आस-पास लॉकडाउन से प्रभावित परिवारों तक मदद पहुँचाने के लिया फंड जुटाया। इस दौरान कुल लगभग 110 करोड़ रुपये की धन राशि जुटाई गई।
मयूख कहते हैं,
"संकट की इस घड़ी में लाखों लोगों की मदद करने के लिए हजारों लोगों ने प्लेटफॉर्म पर धन का योगदान दिया। हमने राहत-संबंधी धनराशि दान करने के लिए सभी को फ्री कर दिया, आभार के टोकन के रूप में। हमने सभी फंड जुटाने वालों के लिए इस शून्य प्रतिशत शुल्क का विस्तार करने के लिए सही समझ बनाई।"
कोविड-19 के दौरान फर्म के बिजनेस के बारे में बताते हुए मयूख ने जानकारी दी,
"कोविड-19 के चलते लगे देशव्यापी लॉकडाउन के पहले महीने में ही मिलाप पर लोगों की क्वेरीज़ में 5 गुना वृद्धि हुई और फंड जुटाने वालों में 65% वृद्धि देखी गई। ऐसे वक्त में हमें भी आश्चर्य हुआ कि लोग अपनी जिंदगी में होते हर छोटे-बड़े बदलाव के बावजूद दूसरों की मदद के लिये आगे आ रहे थे। इससे मिली प्रेरणा के बाद हमने आगे आने वाले दिनों में भी प्लेटफॉर्म को पूरी तरह नि:शुल्क रखने का फैसला किया।"
मेडिकल के अलावा फंडरेंज़िंग
मेडिकल इमरजेंसी के बाद शिक्षा भी एक अहम कैटेगरी के जिसके तहत फंड रेजर्स फंडिंग जुटाते हैं। बहुत से लोगों ने अपने बच्चों की पढ़ाई के लिये, नेशनल और इंटरनेशनल कॉम्पीटेशन्स में भाग लेने के लिये भी फंडिंग जुटाई है।
मयूख बताते हैं,
"सोनम वांगचुक जिन्हें असल जिंदगी में फुन्सुक वांगडू (फिल्म 3 इडियट्स का एक कैरेक्टर) कहा जाता है, उन्होंने अपने स्कूल हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेट लर्निंग्स के लिये 7 करोड़ रुपये से अधिक की फंडिंग जुटाई है। इनके अलावा सुशील मीणा जो कि एक रेलवे इंजीनियर है, ने छोटे-छोटे कस्बों में गरीबी से जूझते बच्चों की पढ़ाई और उनके स्वास्थ्य के लिये भी धन जुटाया है।"
इसके अलावा भी लोग कम्यूनिटी, पर्यावरण, जीव-जंतुओं, खेलों, ह्यूमन राइट्स, महिला सशक्तिकरण आदि के लिये धन जुटाते हैं।
मयूख कहते हैं,
"स्पोर्ट्स में भी पी. टी. उषा जैसी महान हस्तियों ने अपनी स्पोर्ट्स अकेडमी और वहां ट्रेनिंग करने वाली कुछ बेहतरीन एथलीट्स के लिये मिलाप से ही फंड रेज़ किया है।"
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