मिलें टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अमेरिका को बढ़त दिलाने वाली भारतीय मूल की डॉ. मोनिषा घोष से
अमेरिकी संचार आयोग की पहली महिला चीफ बनीं भारत की डॉ. मोनिषा घोष...
अमेरिका में फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन की पहली महिला चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर के रूप में डॉ. मोनिषा घोष और अमेरिकी नेशनल साइंस फाउंडेशन की डायरेक्टर के रूप में भारतीय कम्प्यूटर वैज्ञानिक डॉ सेतुरमन पंचनाथन अगले वर्ष अपने-अपने पद संभालने जा रहे हैं। दोनो ही भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
5जी टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अमेरिका को बढ़त दिलाने वाली भारतीय मूल की डॉ. मोनिषा घोष को ट्रम्प प्रशासन ने अपने देश के फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन (संघीय संचार आयोग) में चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (सीटीओ) नियुक्त किया है। डॉ. घोष इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला ऑफिसर हैं। वह अगले वर्ष 13 जनवरी 2020 को अपना सीटीओ का पद का दायित्व संभाल लेंगी। इस वक्त भारतीय मूल के ही अजीत पई कमीशन के चेयरमैन हैं।
डॉ. घोष तकनीक और इंजीनियरिंग के मुद्दे पर पई की सलाहकार की भूमिका में भी होंगी। साथ ही, वह आयोग के टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट का भी काम संभालने जा रही हैं।
गौरतलब है कि फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन अमेरिका के सभी 50 राज्यों में रेडियो, टेलीविजन, वायर, सैटेलाइट और केबल के संचार को नियंत्रित करता है। यह एक स्वतंत्र सरकारी एजेंसी है, जो संचार से जुड़े कानून और नियम लागू करने में अहम भूमिका निभाती है।
पई बताते हैं,
“डॉ. घोष 5जी टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अमेरिका को बढ़त दिलाने में मदद करेंगी। उनको वायरलेस टेक्नोलॉजी की गहरी समझ है। उन्होंने इंडस्ट्री में वायरलेस से जुड़े कई मुद्दों पर रिसर्च की है। उनकी विशेषज्ञता अमेरिका के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो सकती है। वह इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) से लेकर मेडिकल टेलिमेटरी और प्रसारण के मानकों तक के बारीक अनुभव और व्यावहारिक समझ से लैस हैं।”
फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन में चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर पद पर उनकी नियुक्त ऐतिहासिक उपलब्धि साबित हो सकती है। पई को इस बात का गर्व है कि वह एफसीसी की पहली महिला सीटीओ बन रही हैं। वह विज्ञान क्षेत्र में करियर बनाने के लिए युवा महिलाओं की प्रेरणा स्रोत हो सकती हैं।
डॉ. घोष ने वर्ष 1986 में आईआईटी खड़गपुर से बी.टेक किया था। उसके बाद उन्होंने सन् 1991 में यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी की। एफसीसी में नियुक्ति से पहले वह नेशनल साइंस फाउंडेशन के कम्प्यूटर नेटवर्क डिविजन में प्रोग्राम डायरेक्टर का दायित्व संभाल रही थीं।
प्रोग्राम डायरेक्टर के रूप में वह वायरलेस रिसर्च पोर्टफोलियो देखने के साथ ही वायरलेस नेटवर्किंग सिस्टम्स में मशीन लर्निंग के प्रोग्राम्स पर भी काम कर रही थीं। वह यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में वायरलेस टेक्नोलॉजी की रिसर्च प्रोफेसर भी रही हैं। उन्होंने इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 5जी और मॉडर्न वाई-फाई सिस्टम जैसे टेक्नोलॉजी के आधुनिक उपयोगों पर कई शोध किए हैं।
इससे पहले हाल ही में, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रतिष्ठित ‘नेशनल साइंस फाउंडेशन’ (एनएसएफ) के नेतृत्व के लिए भारतीय-अमेरिकी कम्प्यूटर वैज्ञानिक सेतुरमन पंचनाथन को चुन चुके हैं। एनएसएफ एक अमेरिकी सरकारी एजेंसी है जो विज्ञान एवं इंजीनियरिंग के सभी गैर चिकित्सकीय क्षेत्रों में मौलिक अनुसंधान एवं शिक्षाओं को समर्थन देती है। उसका चिकित्सकीय समकक्ष ‘नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ’ (एचआईएच) है।
58 वर्षीय पंचनाथन भी अगले साल 2020 में ही एनएसएफ निदेशक फ्रांस कोरडोवा की जगह लेने जा रहे हैं।
पंचनाथन कहते हैं,
“एनएसएफ निदेशक बनना उनके लिए सम्मान की बात है।”
पंचनाथन ने 1981 में मद्रास विश्वविद्यालय से भौतिक शास्त्र में स्नातक, 1984 में बेंगलुरु के भारतीय विज्ञान संस्थान से ‘इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग’ में, 1986 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में, 1989 में कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ ओटावा से ‘इलेक्ट्रिकल एंड कम्प्यूटर इंजीनियरिंग’ में पीएचडी की है।
वह इस समय एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में कार्यकारी उपाध्यक्ष और मुख्य अनुसंधान एवं नवोन्मेष अधिकारी हैं।