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तेज बुखार में ड्रिप चढ़ाते हुए दिया था मेन्स का एग्जाम, पहले प्रयास में हासिल की 9वीं रैंक

पहले प्रयास में सिविल सर्विस का एग्जाम पास करने वाली सौम्या शर्मा...

तेज बुखार में ड्रिप चढ़ाते हुए दिया था मेन्स का एग्जाम, पहले प्रयास में हासिल की 9वीं रैंक

Thursday May 03, 2018 , 4 min Read

सौम्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली की छात्रा रही हैं। उन्होंने यहां से एलएलबी का कोर्स किया और उसके बाद फरवरी 2017 में सिविल सर्विस के लिए तैयारी शुरू कर दी। 

सौम्या शर्मा (फोटो साभार- इनसाइट ऑफ इंडिया)

सौम्या शर्मा (फोटो साभार- इनसाइट ऑफ इंडिया)


सौम्या की मानें तो इंसान की क्षमताओं का कोई अंत नहीं है। वह कहती हैं कि मेन्स एग्जाम के कुछ दिन पहले से ही उन्हें दर्द शुरू होने लगा जो कि गर्दन से लेकर कलाई तक फैलता गया। हालत इतनी बिगड़ गई कि वह पेन तक उठाने में सक्षम नहीं थीं।

सौम्या शर्मा की उम्र महज 23 साल है और उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली है और अब वे आईएएस बन गई हैं। लेकिन जिन चुनौतियों और मुश्किलों का सामना करते हुए उन्होंने यह सफलता हासिल की है उसे जानना जरूरी है। सौम्या नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली की छात्रा रही हैं। उन्होंने यहां से एलएलबी का कोर्स किया और उसके बाद फरवरी 2017 में सिविल सर्विस के लिए तैयारी शुरू कर दी। आमतौर पर सिविल सेवा की तैयारी के लिए लोग एक साल लेते हैं। लेकिन सौम्या ने प्री एग्जाम से सिर्फ 4 महीने पहले तैयारी शुरू की और सफलता हासिल की।

लेकिन ये इतना आसान नहीं था। प्री क्वॉलिफाई होने के बाद मेन्स की परीक्षा के दौरान सौम्या को वायरल फीवर ने जकड़ लिया। सौम्या की मानें तो इंसान की क्षमताओं का कोई अंत नहीं है। वह कहती हैं कि मेन्स एग्जाम के कुछ दिन पहले से ही उन्हें दर्द शुरू होने लगा जो कि गर्दन से लेकर कलाई तक फैलता गया। हालत इतनी बिगड़ गई कि वह पेन तक उठाने में सक्षम नहीं थीं। उन्होंने इसे दूर करने के लिए हर तरह की दवाईयां लीं, लेकिन उनका कुछ असर नहीं हुआ। डॉक्टरों ने उन्हें फीजियोथेरेपी से लेकर इलेक्ट्रिक शॉक ट्रीटमेंट दिया, लेकिन कुछ खास राहत नहीं मिली। एग्जाम के एक दिन पहले एक पेनकिलर ने काम दिखाया और थोड़ी सा दर्द कम हुआ। वह इसी दर्द को अपने साथ लिए एग्जाम हॉल में पहुंचीं।

उन्हें एक दिन में तीन सैलाइन ड्रिप चढ़ने लगी। एग्जाम के दौरान जब वह लंच के लिए बाहर आती थीं तो उन्हें कार में ड्रिप चढ़ानी पड़ती थी। उनका बुखार 102-103 से नीचे आने का नाम ही नहीं ले रहा था। जीएस पेपर-2 के वक्त को याद करते हुए वह बताती हैं, 'पेपर के लिए जाने से पहले मैं बस एक चॉकलेट खाती थी ताकि थोड़ी सी एनर्जी मिल सके।' इसके अलावा अपने बारे में बताते हुए सौम्या कहती हैं कि जब वे 16 साल की थीं तभी उनकी सुनने की क्षमता खत्म हो गई थी।

लॉ यूनिवर्सिटी में दीक्षांत समारोह में जस्टिस खेहर से डिग्री लेतीं सौम्या शर्मा

लॉ यूनिवर्सिटी में दीक्षांत समारोह में जस्टिस खेहर से डिग्री लेतीं सौम्या शर्मा


शुरू में उन्हें इससे काफी दिक्कत हुई, लेकिन बाद में उन्हें इसे किसी तरह स्वीकार किया और कान की मशीन लगाकर अपना काम करने लगीं। कान मशीन के सहारे वह अच्छी तरह से सुन सकती हैं। अपनी सफलता का राज बताते हुए सौम्या कहती हैं कि उन्हें कक्षा-3 से ही अखबार पढ़ने की आदत थी। इस आदत ने उनकी काफी मदद की। वह कहती हैं, 'जब मैंने इस परीक्षा की तैयारी शुरू की तो मुझे स्कूल में पढ़े हुए सब्जेक्ट्स की याद आ गई। मेरा ऑप्शनल लॉ था इसलिए उसमें मुझे कोई दिक्कत नहीं आई। जो कुछ मैंने पिछले पांच सालों में पढ़ा था सब यहां काम आ गया। मैंने सिर्फ 1.5 महीने में इसे खत्म कर दिया।'

सौम्या की पढ़ने की गति काफी तेज है इस वजह से वह काफी जल्दी विषयों को खत्म कर देती हैं। उन्होंने कैंपस प्लेसमेंट में भी इंटरव्यू दिया था जिसने यूपीएससी के इंटरव्यू में उनकी मदद की। वह कहती हैं कि इस परीक्षा में सफल होने के लिए टाइम मैनेजमेंट बेहद जरूरी है। सौम्या एक वक्त में एक ही सब्जेक्ट पढ़ती थीं और उसे पूरी तरह खत्म करने के बाद ही आगे बढ़ती थीं। सौम्या कहती हैं कि अपने ऊपर भरोसा रखने की जरूरत होती है। आपको नकारत्मक रवैया छोड़ना पड़ता है। तब जाकर आप जिंदगी में कुछ हासिल कर सकते हैं।

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