Engineers' Day: ये इंजीनियर बने ऑन्त्रप्रेन्योर, दुनिया के नक्शे में भारत को दिलाई खास पहचान
यहां आज हम आपको उन महान इंजीनियरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने इंजीनियरिंग के बाद ऑन्त्रप्रेन्योरशिप को गले लगाया, इसे दुनिया में बड़ा बनाया और इनोवेशन की डगर पर चलते हुए नए वेंचर खड़े किए...
हर साल 15 सितंबर को, हम महान इंजीनियर एम. विश्वेश्वरैया (मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया - M.Visvesvaraya) की उपलब्धियों को पहचानने और उनका सम्मान करने के लिए राष्ट्रीय अभियंता दिवस (National Engineer's Day) मनाते हैं. यह दिन इंजीनियरों द्वारा किए गए महान कार्यों की याद में मनाया जाता है और उन्हें भविष्य के लिए सुधार और इनोवेशन करने के लिए प्रोत्साहित करता है.
मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया एक कुशल सिविल इंजीनियर, अर्थशास्त्री और राजनेता थे. इंजीनियरिंग कम्यूनिटी द्वारा उन्हें भारत के सबसे महत्वपूर्ण राष्ट्र निर्माणकर्ताओं में गिना जाता है. उनके जन्मदिन [15 सितंबर] पर उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए अभियंता दिवस के रूप में मनाया जाता है.
हमारा देश सालाना पंद्रह लाख इंजीनियरिंग ग्रेजुएट पैदा करता है, और भारत इंजीनियरों के गढ़ के रूप में जाना जाता है. 90 के दशक में आईटी बूम के बाद से, भारत में कुछ बेहतरीन इंजीनियरों ने शानदार काम किया है. और कुछ इंजीनियर से ऑन्त्रप्रेन्योर बने हैं. इन ऑन्त्रप्रेन्योर्स ने दुनिया के नक्शे पर भारत के लिए एक खास पहचान बनाई है.
यहां आज हम आपको उन महान इंजीनियरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने इंजीनियरिंग के बाद ऑन्त्रप्रेन्योरशिप को गले लगाया, इसे दुनिया में बड़ा बनाया और इनोवेशन की डगर पर चलते हुए नए वेंचर खड़े किए...
अजीम प्रेमजी
24 जुलाई 1945 को जन्मे अजीम प्रेमजी ने 21 साल की उम्र में, 1966 स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से बीएससी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपना फैमिली बिजनेस, वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट्स लिमिटेड को संभाला. कंपनी रोजमर्रा में काम आने वाले खनिज तेल, साबुन और दूसरे प्रोडक्ट्स बनाती थी. बाद में, उन्होंने लाइटिंग प्रोडक्ट्स, हाइड्रोलिक सिलेंडर, साबुन, शिशु प्रसाधन, आदि शामिल करने के लिए कंपनी के प्रोडक्ट पोर्टफोलियो का विस्तार किया.
इससे मिली सफलता के बाद उन्होंने बढ़ती आईटी इंडस्ट्री के महत्व को समझा. 1980 के दशक में IBM के भारत छोड़ने के बाद, उन्होंने खाली अवसर का लाभ उठाया. उन्होंने कंपनी का नाम बदलकर विप्रो (Wipro) कर दिया और हाई-टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में कदम रखा. विप्रो ने एक अमेरिकी कंपनी सेंटिनल कंप्यूटर कॉर्पोरेशन के साथ तकनीकी सहयोग से मिनी कंप्यूटर बनाने शुरू किए. प्रेमजी के फैसलों और नेतृत्व ने भारत को आईटी कंपनियों और पूरी दुनिया के नक्शे पर ला खड़ा किया. 2005 में, भारत सरकार ने उन्हें व्यापार और वाणिज्य में उत्कृष्ट कार्य के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया.
सबीर भाटिया
1986 में बिट्स पिलानी (BITS Pilani) से अपनी ग्रेजुएशन पूरी करने के दो साल बाद, सबीर भाटिया कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Caltech) में चले गए. उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री हासिल की. इसके बाद, बतौर हार्डवेयर इंजीनियर उन्होंने एप्पल कंप्यूटर के लिए कुछ समय तक काम किया.
इंटरनेट क्रांति में भाटिया के दूरदर्शी योगदान ने उन्हें वेब-बेस्ड ई-मेल में ग़ज़ब की प्रशंसा दिलाई, जब उन्होंने 1996 में हॉटमेल कॉरपोरेशन (Hotmail Corporation) की सह-स्थापना की. अध्यक्ष और सीईओ के रूप में, उन्होंने हॉटमेल को लीड किया और कंपनी ने खूब तरक़्क़ी की. साल 1998 में Microsoft ने 400 मिलियन डॉलर में इसका अधिग्रहण कर लिया. यह उस समय की सबसे बड़ी डील्स में से एक थी. हॉटमेल अब आउटलुक (Outlook) में तब्दील हो चुका है - जो दुनिया के सबसे बड़े ईमेल प्रोवाइडर्स में से एक है.
सबीर भाटिया अब ShowReel के को-फाउंडर और सीईओ के रूप में आगे बढ़ रहे हैं. ShowReel एक वीडियो कन्वर्सेशन और एनालिटिक्स कंपनी है, जिसका उद्देश्य शॉर्ट-फॉर्म वीडियो कंटेंट जरिए ऑन्त्रप्रेन्योरशिप और इनोवेशन में क्रांति लाना है.
विजय शेखर शर्मा
विजय दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के पूर्व छात्र हैं. वह सामान्य मीडिल क्लास फैमिली बैकग्राउंड से आते हैं और अपने शुरुआती वर्षों में उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें पेटीएम (Paytm) ब्रांड की पैरेंट कंपनी One97 Communications शुरू करने के लिए प्रेरित किया. विजय की कड़ी मेहनत और भारत की सबसे बड़ी फिनटेक कंपनी बनाने के उनके प्रयासों ने आखिरकार रंग लाया. आज पेटीएम इतना मशहूर हो गया है कि वॉरेन बफे ने भी कंपनी में निवेश कर दिया है. पेटीएम के
₹18,300 करोड़ के IPO को भारत की सबसे बड़ी शेयर बिक्री के रूप में 1.89 गुना अभिदान मिला.
सचिन बंसल
सचिन बंसल भारत के ई-कॉमर्स लैंडस्केप को बदलने वाले पोस्टर बॉय बने. सचिन की मुलाकात बिन्नी बंसल से IIT दिल्ली में हुई थी और बाद में उन्होंने साथ में Amazon में काम किया. भारत में ई-कॉमर्स अपने शुरुआती दौर में था जब सचिन और बिन्नी ने फ्लिपकार्ट (Flipkart) शुरू करने के लिए अमेज़न से जॉब छोड़ दी. भारतीय आबादी ऑनलाइन शॉपिंग की अवधारणा से सहज नहीं थी, इसलिए यह वेंचर एक बड़ा जोखिम था. लेकिन उन्होंने अपने सपने में विश्वास किया और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की. फ्लिपकार्ट को अब वॉलमार्ट ने 16 बिलियन डॉलर में अधिग्रहित कर लिया है, और सचिन को भारत में ईकामर्स इंडस्ट्री के लीडर के रूप में जाना जाता है.
भाविश अग्रवाल
भाविश आईआईटी बॉम्बे से ग्रेजुएट हैं. उन्होंने शुरुआत में माइक्रोसॉफ्ट के साथ काम किया लेकिन दो साल बाद अपना खुद का ट्रैवल और टूरिज्म बिजनेस शुरू करने के लिए छोड़ दिया. एक दिन कैब किराए पर लेने के एक बुरे अनुभव ने उन्हें समान मुद्दों का सामना करने वाले लोगों के लिए कैब रेंटल कंपनी शुरू करने का अवसर दिया. इस तरह उन्होंने ओला कैब्स (Ola Cabs) की शुरुआत की. केवल एक उपभोक्ता समस्या को हल करने के लिए शुरू हुई कंपनी समय के साथ नई ऊंचाइयों पर पहुंची. ओला ने अब इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर में भी कदम रखा और इसकी वैल्यूएशन करीब 5 अरब डॉलर है.