मानवता की मिसाल: हर रोज गरीबों को 7,000 गर्म रोटियां खिला रहा यह एनजीओ
हमारा देश तरक्की की नई इबारतें लिख रहा है और आर्थिक विकास की तरफ तेजी से आगे भी बढ़ रहा है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 20 करोड़ कुपोषित लोग हैं। यह आंकड़ें हमें सोचने पर मजबूर कर रहे हैं कि लोगों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने में सक्षम क्यों नहीं हो पाए हैं। आज भी दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना करोड़ों लोगों के लिए किसी चुनौती को पार पाने से कम नहीं होता है।
देश में कुपोषण की सबसे बड़ी वजह गरीबी है लेकिन भोजन की आपूर्ति श्रृखला का सही से प्रबंधन न होने की वजह से न जाने कितने भोजन का अपव्यय हो जाता है। अगर इसका सही से प्रबंधन कर लिया जाए तो लाखों करोड़ों गरीबों का पेट आराम से भरा जा सकता है। एक शोध के मुताबिक लगभग 40 फीसदी सब्जियां और 30 प्रतिशत आनाज लोगों के पेट में पहुंचने से पहले ही बर्बाद हो जाता है। इस स्थिति को बदलने का काम कर रहा है कोलकाता का एनजीओ 'अपनी रोटी'।
विकास अग्रवाल द्वारा शुरू किए गए इस एनजीओ के जरिए एक दिन में लगभग 7,000 रोटियां परोसी जाती हैं जिससे हर रोज 2,000 से अधिक लोगों का पेट भर जाता है। इस काम को एक वैन के सहारे अंजाम दिया जाता है। इस वैन में रोटी बनाने वाली एक ऑटोमेटिक मशीन लगी है जिसमें प्रति घंटे 1,000 रोटियां बनाने की क्षमता है। हालांकि देश में कई सारे ऐसे एनजीओ हैं जो रेस्टोरेंट और पार्टियों से बचे खाने को गरीबों तक पहुंचाने का काम करते हैं, लेकिन यह एनजीओ ताजा खाना बनाकर सीधे गरीबों को परोसता है।
रोटी के साथ-साथ एनजीओ की तरफ से कभी-कभी मिठाई भी परोसी जाती है। ये सारा काम विकास अपने पैसे से करते हैं। वे कहते हैं, 'हम सिर्फ एक दिन का अवकाश लेते हैं और अगले दिन 10.30 बजे से लेकर शाम 7.30 बजे तक ये काम करते रहते हैं।'
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