मिलिए भारत की फ़ैशन इंडस्ट्री की दिशा बदलने वाली इस डिज़ाइनर से, जिन्होंने प्रियंका चोपड़ा और विक्टोरिया बेकहम जैसे सितारों के लिए डिज़ाइन किए कपड़े
आज हम बात करने जा रहे हैं भारत की फ़ैशन इंडस्ट्री को एक नई दिशा देने वालीं डिज़ाइनर पायल जैन की, जो पिछले 25 सालों से इस क्षेत्र में काम कर रही हैं।
पायल की परवरिश नई दिल्ली में हुई और बचपन से ही संस्कृति, कला और संगीत से उनका नाता बन रहा है। उन्होंने जीसस ऐंड मेरी कॉलेज से कॉमर्स विषय में ग्रैजुएशन किया और इस दौरान पढ़ाई करते हुए उन्होंने गर्मी की छुट्टियों में एक एक्सपोर्ट फ़ैक्ट्री में काम किया। इसकी बदौलत उन्हें असली बिज़नेस के बारे में काफ़ी कुछ सीखने को मिला।
पायल बताती हैं,
"मैंने यूएस में फ़ैशन की पढ़ाई कराने वाले कॉलेजों के बारे में जानकारी जुटाना शुरू किया और अंततः सैन फ़्रांसिस्को के एफ़आईडीएम में दाखिला ले लिया। मैंने यहीं से फ़ैशन डिज़ाइनिंग की पढ़ाई शुरू की। कोर्स पूरा करने के बाद, मैं भारत लौटी और इंडस्ट्री को देखकर यह जाना कि यहां पर लोगों को इस बात का आभास नहीं है कि फ़ैशन के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए किस तरह के स्किल और पढ़ाई ज़रूरत होती है। इस समय मैं मैडलीन वियोनेट, पॉल पोइरट और कोको शिनेल जैसे विदेशी फ़ैशन डिज़ाइनरों से काफ़ी प्रभावित थी।"
पायल को विदेशी फ़ैशन डिज़ाइनरों का काम ज़रूर पसंद था, लेकिन वह दिल से देसी थीं और इसलिए ही उन्होंने दिल्ली में हौज़ ख़ास विलेज से अपने डिज़ाइन स्टूडियो की शुरुआत की। यहां से उन्होंने ट्रेडिशनल (परंपरागत) झलक के साथ वेस्टर्न आउटफ़िट्स बनाने शुरू किए। उनकी शुरुआत काफ़ी चुनौतीपूर्ण रही।
पायल कहती हैं,
"उस समय करियर के संजीदा और वर्किंग-क्लास महिलाओं के बीच भी वेस्टर्न कपड़ों का प्रचलन नहीं था। उन दिनों हर कोई इंडियन स्टाइल के कपड़े ही पहनना चाहता था।"
इन सबके बावजूद पायल को भरोसा था कि लोगों का यह नज़रिया आने वाले समय में जल्द ही बदलेगा। पायल ने अपने डिज़ाइन्स में हिन्दुस्तानी कला और संस्कृति आदि की झलक हमेशा बनाए रखी। उन्होंने देश की स्थानीय कारीगरी को अपने डिज़ाइन्स में हमेशा जगह दी और यही वजह रही कि धीरे-धीरे उनके डिज़ाइन्स भारतीय और विदेशी दोनों ही संस्कृतियों की एक अनूठी झलक की पहचान बन गए।
पायल के डिज़ाइन्स इस कदर लोकप्रिय होना शुरू हुए कि उन्होंने विक्टोरिया बेकहम, प्रियंका चोपड़ा, साइना नेहवाल और दीप्ति नवल जैसे फ़िल्मी और खेल जगत के सितारों के लिए भी कपड़े डिज़ाइन किए।
पायल कहती हैं,
"मेरी अभी तक की यात्रा बहुत ही रोमांचक रही है। मैंने तमान चुनौतियों का सामना किया, लेकिन अंत में सबकुछ ठीक ही हुआ। लोग पूरी दुनिया में एक जैसे हैं, हमें बस इतना पता होना चाहिए कि उनसे संबंध कैसे बनाने हैं।"
पायल को इस बात की बेहद ख़ुशी है कि वह भारत में फ़ैशन इंडस्ट्री के विकास का अहम हिस्सा रही हैं।
वह कहती हैं,
"अब दौर आ चुका है कि जब युवा और प्रतिभावान लोग फ़ैशन डिज़ाइनिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए विधिवत पढ़ाई करते हैं। मैं ऐसी पूरी एक पीढ़ी को अपने सामने बढ़ते देखा है और उनका मार्गदर्शन किया है। मुझे बहुत ख़ुशी होती है कि जब मैं देश-विदेश के बड़े डिज़ाइन स्कूल्स में जाने के लिए युवाओं को मेहनत करते देखती हूं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी फ़ैशन इंडस्ट्री को लगातार आगे बढ़ाते रहें और साथ ही अपने देश की कला (क्राफ़्ट) को भी हमेशा ही साथ लेकर चलें। मैं मानती हूं कि आज के दौर में इस क्षेत्र में करियर बनाने वाले युवाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कुछ अलग करने की और अपने डिज़ाइन्स की एक अलग पहचान बनाए रखने की।"
पायल न सिर्फ़ फ़ैशन डिज़ाइनिंग बल्कि सामाजिक भलाई के क्षेत्र में भी सक्रिय रही हैं। उन्होंने अपना पहला फ़ैशन शो दिल्ली में 1994 में किया था और इसके माध्यम से उन्होंने तमन्ना स्पेशन स्कूल के लिए फ़ंड्स इकट्ठा किए थे। पिछले दो दशकों में, उन्होंने विद्या स्कूल (आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के लिए), वात्सल्य फ़ाउंडेशन (बेघर बच्चों के लिए) और कैंसर पेशेंट एड असोसिएशन (कैंसर के मरीज़ों के लिए) समेत कई सामाजिक संस्थानों और संगठनों के साथ काम किया और चैरिटी के लिए फ़ंड्स जुटाने में मदद की।
पायल मानती हैं कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में हमें सिर्फ़ इस बात का ध्यान नहीं रखना है कि हम प्राकृतिक धागों या फ़ैब्रिक का ही इस्तेमाल करें, बल्कि यह जिम्मेदारी भी बनती है कि हम उन भारतीय टेक्स्टाइल्स, बुनाई और कारीगरी को फिर से ज़िंदा करें, जो धीरे-धीरे समय के लिए साथ लगभग प्रचलन से बाहर हो गए हैं। पायल ने कहा कि आज ग्रामीण इलाकों में कलाकार अपने परिवारवालों को पालने में भी असमर्थ हैं और उनके पास अपने बच्चों को देने के लिए न तो आर्थिक आधार है और न ही कला की विरासत।
पायल ने बताया,
"मेरा सपना है कि एक दिन मैं एक दिन कलाकारों के एक पूरे समुदाय की जिम्मेदारी लूं और उनकी आजीविका और बच्चों की शिक्षा का पूरी तरह से ख़्याल रखूं। मैं इस दिशा में काम कर रही हूं और जल्द ही यह सपना हक़ीकत में तब्दील होगा।"