सबसे पहले सुरक्षा: कैसे ये स्टार्टअप्स आपको सुरक्षित घर पहुंचाने के लिए खर रहे हैं काम!
सड़क सुरक्षा पर कई स्टार्टअप्स काम करने की कोशिश कर रहे हैं। यह वेब और मोबाइल एप्लिकेशन पर विभिन्न फीचर्स की एक पूरी सीरीज ऑफर कर रहे हैं, जिससे ड्राइवर्स का ध्यान भटकने से लेकर दुर्घटना तक को होने से रोका जा सके।
2017 में भारत में कुल 4,64,910 दुर्घटनाएं हुई थी, जिसमें 1,47,913 लोगों की जान चली गई थी। यह आंकड़ा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ट्रांसपोर्ट रिसर्च विंग ने जारी किया था। इस आंकड़े का मतलब यह निकलता है कि देश की सड़कों पर हर 10 मिनट में 3 लोगों की मौत हो जाती है। ओपेन गवर्नमेंट डेटा प्लेटफार्म पर पब्लिश एक स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से अधिकतर दुर्घटनाओं के पीछे ज्यादा स्पीड में गाड़ी चलाना, गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल, शराब पीकर गाड़ी चलाना, ट्रैफिक सिग्नल तोड़ना और सेफ्टी गियर को नजरअंदाज करने जैसी वजहें रही थी।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने गाड़ी चलाने वाले लोगों में जागरूकता के स्तर को बढ़ाने के लिए 4 से 10 फरवरी 2019 को रोड सेफ्टी सप्ताह के रूप में मनाने का ऐलान किया था। इस साल के अभियान का थीम था 'सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा'।
सड़कों को सुरक्षित बनाने की सरकार के प्रयास में अब देश की स्टार्टअप कम्युनिटी भी शामिल हो रही है और वह टेक्नोलॉजी से से सड़कों को सुरक्षित बनाने में जुटी है।
यह कंपनियां रोड सेफ्टी से जुड़े सॉल्यूशंस विकसित करने के लिए उन वजहों का काफी गहराई से अध्ययन कर रही है जिनकी वजह से दुर्घटनाएं होती है।
गाड़ी चलाते समय कहीं और ध्यान जाने से रोकना
भारत में लोगों का गाड़ी चलाते हुए मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना या किसी को मैसेज भेजते हुए दिखना काफी सामान्य बात है। उन्हें पता है कि यह सुरक्षित नहीं है, फिर भी वे ऐसा करते हैं।
इस पहलू को ध्यान में रखते हुए पल्लव सिंह, अयान और जसमीत सिंह सेठी ने क्रूजर नाम का एप्लिकेशन विकसित किया। यह ऐप मोशन सेंसर के जरिए यह पता लगाता है कि यूजर कब गाड़ी चला रहा है और वह उस समय फोन की स्क्रीन को लॉक कर देता है। इतना ही नहीं यह ऐप कॉल और मैसेजेज को भी एक इनबिल्ट चैटबॉट के जरिए हैंडल करता है और फोन या मैसेज करने वाले व्यक्ति को यह जानकारी देता है कि यूजर गाड़ी चला रहा है।
कंपनी के को फाउंडर पल्लव सिंह ने बताया,
'देश में होने वाले ज्यादातर सड़क दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। हमने अपने रिसर्च के आधार पर ड्राइवरों के लिए एक वॉयस असिस्टेंट विकसित किया है जो भविष्यसूचक विश्लेषण और एल्गोरिदम का इस्तेमाल करते हुए समय पर हस्तक्षेप करता है। हम यूजर्स के क्लेम को कम करने में मदद करने के लिए बीमा कंपनियों के साथ भी हाथ मिला रहे हैं। इसके साथ ही हम बीमा कंपनियों को ज्यादा प्रासंगिक डेटा भी मुहैया करा रहे हैं जिससे वह अपने कस्टमर को ज्यादा बेहतर तरीके से समझ सकें।'
खराब सड़कों और गड्ढों को चकमा देना
भारतीय सड़कों पर चलना आसान नहीं है। लोगों को यातायात के साथ ही उबड़-खाबड़ सड़कों और गड्ढों से भी जूझना होता है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के रिसर्च विंग के मुताबिक 2017 में गड्ढों के चलते 9,423 दुर्घटनाएं हुई थी जिसमें 3,597 लोगों की जान चली गई थी। रक्षा सेफड्राइव ने इस समस्या का एक समाधान पेश किया है। इस डिवाइस को ड्राइविंग करते समय बाहरी इकोसिस्टम को सुरक्षित बनाने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
रक्षा सेफड्राइव के को फाउंडर जयंत जगदीश ने बताया,
'डिवाइस को वेल्क्रो के इस्तेमाल से कार से जोड़ा जा सकता है, जिसके बाद क्रैश का पता लगाने में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। डिवाइस का इस्तेमाल ड्राइवरों को उबड़-खाबड़ सड़कों, खराब सड़कों और स्पीड लिमिट पार करने पर अलर्ट भेजने में होता था।'
ऑपरेशन शुरू करने के डेढ़ साल के अंदर रक्षा सेफ ड्राइव में 1,500 डिवाइसों की बिक्री की थी। फिलहाल इस कंपनी ने सिर्फ मोबाइल-ओनली-प्लेटफार्म बनने की कोशिश के तहत ऑपरेशन बंद किया हुआ है। जयंत ने योरस्टोरी को बताया, 'देश में ज्यादातर सड़क दुर्घटनाएं खराब तरीके से गाड़ी चलाने की वजह से होती है। ऐसे में रक्षा सेफ ड्राइव का उद्देश्य स्मार्ट सड़क सुरक्षा प्लेटफार्मों को एक वास्तविकता बनाना है।
गाड़ियों के खराब होने और आपातकालीन स्थितियों से निपटना
सेफली होम एक ऐप है जो आपातकालीन स्थितियों काफी काम का है। यह सड़क दुर्घटना की स्थिति में पुलिस और एंबुलेंस के साथ ही यूजर्स के इमरजेंसी कॉन्टैक्ट को भी अलर्ट भेजता है। सेफली होम की एक और खासियत इसका 'सेव द लाइफ' फीचर है। यह फीचर किसी को भी एक्सीडेंट केस दिखने पर ऐप में उसकी फोटो अपलोड करने और लोकेशन को टैग करने की इजाजत देता है।
सेफली होम के फाउंडर ईशान जिंदल ने बताया,
"एक्सीडेंट के शिकार 80 पर्सन लोगों को पहले घंटे में मदद नहीं मिल पाती है। सेफली होम की शुरुआत इन्हीं लोगों को मदद मुहैया कराने के इरादे से हुई है। इस ऐप को अभी तक 3540 लोग डाउनलोड कर चुके हैं और इसने सैकड़ों लोगों को आपातकालीन स्थितियों में मदद मुहैया कराई है। हम कुछ ऐसे मौके ढूंढ रहे हैं जहां हम दूसरे ऐप्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ सहयोग से और ज्यादा जिंदगियां बचा सकें।"
यह ऐप लोकेशन ट्रैकिंग के इस्तेमाल से स्पीड और मोमेंटम पर निगरानी रखकर सड़क दुर्घटना का भी पता लगा सकता है। इसकी सबसे अहम खासियत इसका रोडसाइड असिस्टेंट है, जो गाड़ी खराब होने या पेट्रोल खत्म होने की स्थिति में नजदीकी गैराज या पेट्रोल पंप समेत दूसरी चीजों को बताता है।
लापरवाही से गाड़ी चलाने के मामलों में बढ़ोतरी
लापरवाही से गाड़ी चलाने में अपनी लेन का ध्यान न रखना, गलत दिशा से गाड़ी को ओवरटेक करना आदि आते हैं। महेश गिडवानी और उनकी पत्नी को एक विश्वसनीय ड्राइविंग स्कूल ढूंढने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। औरतों ने पाया कि ज्यादातर स्कूलों में ट्रेनिंग की क्वालिटी मानक के अनुरूप नहीं थी। ड्राइवकूल इसी समस्या के समाधान के लिए विकसित किया गया है। यह एक ऐप है जो ड्राइविंग स्कूल और कस्टमर को पास लाता है।
इस ऐप में एक सेफ्टी लेयर भी है जो ड्राइविंग स्कूल को ऑनबोर्ड करने से पहले उनकी जांच करता है। जब कस्टमर किसी स्कूल के साथ साइन अप करता है तो उसे ट्रेनर, गाड़ी ट्रेनिंग का समय और लोकेशन भेजा जाता है। यह ऐप इस पर भी नजर रखता है कि कस्टमर ने कितने किलोमीटर गाड़ी चलाई, कितने लेफ्ट, राइट और यू टर्न लिए और किस स्पीड पर प्रैक्टिस की।
ड्राइवकूल के सीईओ और फाउंडर महेश गिडवानी ने बताया,
'ड्राइवकूल प्लेटफॉर्म सड़कों पर सुरक्षित ड्राइवर लाने की एक कोशिश है, जो फिलहाल वक्त की मांग है।'
शराब पीकर गाड़ी चलाने का हंगामा
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक 2015 में कुल 17,059 लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में जान गई थी, इनमें से 348 लोगों की जान शराब पीकर या ड्रग्स लेकर गाड़ी चलाने की वजह से हुई थी। यह कुल आंकड़ों का करीब 2 परसेंट था। 2007 में मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले लोगों पर लगाम कसने की कोशिश की थी। पार्टी हार्ड ड्राइवर्स कि इसी समय शुरुआत हुई थी। यह लोगों को प्रशिक्षित और विश्वसनीय ड्राइवर मुहैया कराता है, जिससे उन्हें रात में शराब पीने के बाद खुद गाड़ी न चलाना पड़े।
पार्टी हार्ड ड्राइवर्स के को फाउंडर अंकुर वैद्य ने बताया,
'लोगों को यह अहसास होना चाहिए कि वे सड़कों को हल्के में नहीं ले सकते हैं। खासतौर से जब वे नशे में हों। पार्टी हार्ड ड्राइवर्स का उद्देश्य लोगों को सुरक्षित घर पहुंचाने के साथ शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामलों को कम करना है।'
अंकुर की टीम में रात में ड्राइवर्स मुहैया कराने के अलावा दिन में भी और आउटस्टेशन के लिए ड्राइवर्स मुहैया कराने की इस सेवा का विस्तार किया है। रात में इस सेवा की फीस जहां 3 घंटे के लिए ₹600 हैं, वहीं सुबह में या 8 घंटे के लिए ₹850 हैं। तय समय पूरा होने के बाद ओवरटाइम चार्ज का भी भुगतान करना होता है।
सड़क सुरक्षा सबसे अहम
खुद को चोटिल होने या जान जाने से बचाना एक प्राकृतिक भावना है। हालांकि जब एक मोटरसाइकिल या कार चलाने की बात आती है तो तो कई बार हम भारतीय सुरक्षा को इतना तरहीज नहीं देते हैं।
आंकड़े बताते हैं कि हर 10 मिनट में 3 लोगों की सड़क दुर्घटना की वजह से जान जाती है ऐसे में सड़क सुरक्षा सबसे अहम है। इस संबंध में स्टार्टअप कम्युनिटी के योगदान का स्वागत है।