चेन्नई के फ़र्श से अमेरिका के अर्श तक पिचाई बने अब एल्फ़ाबेट इंक के सर्वेसर्वा
"गूगल की पैरेंट कंपनी एल्फ़ाबेट इंक के सर्वेसर्वा बन चुके चेन्नई के सुंदराराजन पिचाई चाहे जितनी बड़ी शख्सियत हो गए हों लेकिन उनका घरेलू जीवन आज भी उनके पिता रघुनाथ पिचाई की तरह सामान्य और सहज है।"
गूगल की पैरेंट कंपनी एल्फ़ाबेट इंक की कमान अब भारतीय मूल के 47 वर्षीय सुंदर पिचाई संभालने जा रहे हैं। उनका पूरा नाम है पिचाई सुंदराराजन। कंपनी के सह-संस्थापक लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन के इस्तीफ़े की घोषणा के बाद पिचाई के नए शीर्ष पदभार संभालने का ऐलान किया गया है। पिचाई कहते हैं कि लैरी और सर्गेई की मज़बूत नींव पर वह आगे भी उनकी निर्माण परंपरा का सिलसिला जारी रखेंगे।
गूगल के इतने महत्वपूर्ण और शीर्ष पद तक पहुंचने का पिचाई का सफ़र उल्लेखनीय ही नहीं, हर भारतीय युवा के लिए गर्व विषय और अत्यंत प्रेरक है। सुंदर पिचाई का जन्म चेन्नई में हुआ था और वहीं से उनकी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा वहीं से पूरी हुई। वैसे तो दुनिया के टॉप सीईओज़ के बारे में कहा जाता है कि उनकी सुबह जल्दी होती है और वे अपना दिन जल्दी शुरू कर देते हैं लेकिन पिचाई ने वर्ष 2016 में एक इंटरव्यू में स्वयं माना था कि वह सुबह जल्दी उठने वाले व्यक्तियों में से नहीं हैं।
यही नहीं, वह अपना जिम भी शाम को ही करते हैं। उनकी नींद तो सुबह सात बजे तक खुल जाती है लेकिन आलस के कारण उनका बिस्तर छोड़ने का मन नहीं करता है। सो कर उठने के बाद भी वह लंबे समय तक बिस्तरी पर पड़े रहते हैं।
अपना नेट वर्थ 6 मिलियन डॉलर यानी 60 करोड़ रुपए होने के बावजूद पिचाई बेहद सादा जीवन जीते हैं। वह अपने स्कूल की क्रिकेट टीम के कप्तान भी रहे हैं। उनकी कप्तानी में टीम ने कई क्षेत्रीय प्रतियोगिताओं में जीत का परचम लहराया था। उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से मेटालर्जिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। शिक्षक बताते हैं कि वह अपने बैच के सबसे प्रतिभाशाली छात्र रहे हैं।
सुंदर पिचाई वर्ष 2004 में गूगल से जुड़े थे और उन्होंने अपनी प्रतिभा का वहां शानदार प्रदर्शन किया। वेब ब्राउज़र 'क्रोम' और एंड्रॉइड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम जैसे गूगल के महत्वपूर्ण प्रोडक्ट में उनका अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। एंड्रॉइड आज दुनिया का सबसे लोकप्रिय मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है, लेकिन पिचाई ने अपने घर में 12 साल की उम्र तक टेलीफोन नहीं देखा था। उनके घर में न टीवी थी न कार। सुंदराराजन का पालन-पोषण साधारण परिवार के दो कमरों के मकान में हुआ। पिचाई का कोई अपना कमरा नहीं था। वह और उनके भाई लिविंग रूम में फर्श पर सोते थे।
पिचाई अपने तकनीकी रुझान और दिलचस्पी के लिए अपने पिता रघुनाथ पिचाई को पहला प्रेरक मानते हैं, जो एक जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी में नौकरी करते थे। नौकरी के दिनो में पिता जब घर लौटते तो बेटा सुंदरराजन उनके काम की चुनौतियों के बारे में बहुत सारी बातें किया करते थे।
रघुनाथ बताते हैं कि सुंदरराजन में बचपन से ही टेलीफोन नंबर याद रखने की अद्भुत क्षमता रही है। उनको नाश्ते में ऑमलेट, टोस्ट औऱ चाय पसंद है। उनको मीठा बिलकुल पसंद नहीं। बचपन में वह खीर में सांभर मिलाकर खाया करते थे। वह अपनी फिटनेस बनाए रखने के लिए गूगल की ऑफिस मीटिंग्स अलग-अलग फ्लोर पर रखते हैं। इससे उन्हें ऑफिस में पैदल चलने का मौका मिल जाता है और मीटिंग्स के लिए सोच लेने का वक्त भी।
लोग हर सुबह ताजा समाचार 'गूगल न्यूज़' पर पढ़ते हैं लेकिन खुद सुंदर पिचाई को सुबह की चाय के साथ अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल पढ़ने की आदत है। वह न्यू यॉर्क टाइम्स को ऑनलाइन पढ़ लेते हैं। गूगल को बाजार में सबसे आगे बनाए रखने के लिए हर रोज कोई न कोई अपडेट लेकर आना पड़ता है। इसके लिए पिचाई के पास लगभग तीस स्मार्टफोन हैं, जिन पर वह गूगल के टेस्ट चेक करते रहते हैं।
उन्होंने खुद का पहला मोटोरोला कंपनी का स्टारटैक मॉडल मोबाइल फोन 1995 में खरीदा था। उसके 11 साल बाद 2006 में उन्होंने अपना पहला स्मार्टफोन लिया।
जिस प्रकार हर सफल पुरुष के पीछे किसी स्त्री का हाथ होता है, पिचाई की सफलता उनकी आईआईटी खड़गपुर की प्रेमिका अंजलि आज उनकी पत्नी और उनके दो बेटियां काव्या और किरण हैं। अंजलि की सलाह पर ही सुंदराराजन ऑफर मिलने के बावजूद आज तक गूगल में बने हुए हैं। और अब तो पूरी कंपनी की बागडोर उनके हाथ में है।