गणेश चतुर्थी पर घर लाएं गोबर से बनी ये खूबसूरत मूर्तियां, अब इस तरह घर पर भी बना सकते हैं ईको-फ्रेंडली मूर्तियां
इस साल भगवान गणेश की मूर्तियों का निर्माण करने वाले कारीगरों ने बड़े ही अनूठे ढंग से ईको-फ्रेंडली मूर्तियाँ तैयार की हैं। मध्य प्रदेश के भोपाल में कारीगरों ने इस बार गोबर से भगवान गणेश की मूर्ति तैयार की है जिसे लेकर भक्तों के बीच काफी चर्चा भी देखी जा रही हैं।
त्योहारों में आमतौर पर देखा गया है कि भगवान की पीओपी (प्लास्टर ऑफ पेरिस) से बनी मूर्तियों का इस्तेमाल पूजा के लिए किया जाता है और पीओपी से बनी ये मूर्तियाँ बाद में पर्यावरण को भी नुकसान पहुँचाती हैं। हालांकि लोगों के बीच भगवान की ईको-फ्रेंडली मूर्ति खरीदने का चलन अब तेजी से बढ़ रहा है और इसी के साथ गणेश चतुर्थी जैसे पावन त्योहारों पर सरकार खुद भी लोगों से ईको-फ्रेंडली मूर्तियां लेने का आग्रह करती रहती है।
इस साल भगवान गणेश की मूर्तियों का निर्माण करने वाले कारीगरों ने बड़े ही अनूठे ढंग से ईको-फ्रेंडली मूर्तियाँ तैयार की हैं। मध्य प्रदेश के भोपाल में कारीगरों ने इस बार गोबर से भगवान गणेश की मूर्ति तैयार की है जिसे लेकर भक्तों के बीच काफी चर्चा भी देखी जा रही हैं।
बढ़ गई है इन मूर्तियों की डिमांड
गोबर के जरिये इन मूर्तियों का निर्माण करने वाली कांता यादव ने मीडिया से बात करते हुए बताया है कि इन मूर्तियों का निर्माण उनका पूरा परिवार कर रहा है और इस बार इन मूर्तियों की डिमांड काफी बढ़ गई है। कांता यादव इन मूर्तियों को हर साइज़ में तैयार कर रही हैं।
इन खास मूर्तियों की निर्माण प्रक्रिया का जिक्र करते हुए कांता यादव ने बताया है कि वे इसके लिए पहले गाय के गोबर को ठीक से सुखाते हैं और फिर इसके बाद उसमें लकड़ी का बुरादा व मैदा आदि मिलाया जाता है। इन मूर्तियों को पूरी तरह से ईको-फ्रेंडली बनाने के लिए कांता यादव प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करती हैं।
मूर्ति बनाने में कितना लगता है समय
इन ईको-फ्रेंडली मूर्तियों के निर्माण में महज 15 मिनट का समय लगता है। लेकिन इन्हें पूरी तरह सुखाने के लिए कम से कम 4 से 5 घंटे का समय लग जाता है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कांता यादव से जब मूर्ति की निर्माण प्रक्रिया के बारे में पूछा गया तो वह बताती हैं कि वैसे तो एक मूर्ति बनाने में मात्र पंद्रह मिनट का समय लगता है लेकिन गोबर से बनी इस मूर्ति को अच्छी तरह से सुखाने में चार या पाँच घंटे जाते हैं। साथ ही पूरी तरह से रंगरोगन के बाद एक मूर्ति 8 दिनों में तैयार हो पाती है।
कांता यादव का कहना है कि इन दिनों गोबर से बनी ये मूर्तियां काफी डिमांड में हैं। इन मूर्तियों की मांग न केवल छोटे शहरों में हैं बल्कि दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों के लोगों के बीच भी इन मूर्तियों ने अच्छी खासी लोकप्रियता हासिल कर ली है।
सोशल मीडिया ने दिलाई पहचान
आज के आधुनिक दौर में सोशल मीडिया एक शानदार प्लेटफॉर्म है जिसकी मदद से हम घर बैठे कई शहरों तक अपने प्रोडक्ट को पहुंचा सकते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी गोबर से मूर्ति निर्माण करने वाली कांता यादव की भी है। न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार, ‘’गाय के गोबर को हिन्दू धर्म में पवित्र माना जाता है। इसी थीम पर हमने गाय के गोबर से गणेश जी बनाए हैं। हमने सोशल मीडिया पीआर वीडियो अपलोड किया जिससे हमें अन्य राज्यों से भी आर्डर मिलें हैं।‘’
घर पर तैयार कर सकते हैं ईको-फ्रेंडली मूर्ति
घर पर गणपति बप्पा की ईको-फ्रेंडली मूर्ति बनाने के लिए सबसे पहले आपके पास अच्छी क्वालिटी की चिकनी मिट्टी होनी चाहिए, जिसे अच्छे से गूँथकर उसे मूर्ति का आकार दे दें। इस प्रक्रिया के लिए आप साँचे की मदद भी ले सकते हैं। मूर्ति डिजाइन करते समय आप गणेश जी के हाथ, पैर, सूंड, कान बनाने के साथ-साथ आप मिट्टी के ही आभूषण भी पहना सकते हैं जिसके बाद आपकी मूर्ति और भी खूबसूरत लगने लगेगी।
अब आपको तैयार की गई मूर्ति को धूप में सुखाना होगा, जिसके बाद आप इसे अपनी मनपसंद के प्राकृतिक रंगों से रंग सकते हैं।
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Edited by रविकांत पारीक