कोरोना संकट के समय समाधान का हिस्सा हैं ‘सरकार, समाज, सिनेमा और सहाफत’ : केंद्रीय मंत्री नकवी
July 20, 2020, Updated on : Mon Jul 20 2020 11:01:30 GMT+0000

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नयी दिल्ली, केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने सोमवार को कहा कि कोरोना के संकट के समय ‘सरकार, समाज, सिनेमा और सहाफत’ समाधान का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इन्होंने अपनी पूरी भूमिका निभाने की कोशिश की है।

केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (फोटो साभार: thesundayguardian)
दिल्ली विश्वविद्यालय के ‘सेंटर फॉर प्रोफेशनल डेवलपमेंट इन हायर एजुकेशन’ के एक कार्यक्रम में नकवी ने यह भी कहा कि सरकार, सियासत, सिनेमा और सहाफत (पत्रकारिता), समाज के नाजुक धागे से जुड़े हैं तथा साहस, संयम, सावधानी, संकल्प एवं समर्पण इन संबंधों को मजबूत बनाने का "जांचा-परखा-खरा" मंत्र हैं।
उन्होंने कहा,
‘‘संकट के समय सरकार, समाज, सिनेमा, सहाफत "चार जिस्म, एक जान" की तरह काम करते हैं। इतिहास इस बात का गवाह है कि आजादी से पहले या बाद में जब भी देश पर संकट आया है, इन सब ने मिलकर राष्ट्रीय हित और मानव कल्याण के लिए अपनी-अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी के साथ निभाई है।’’
केंद्रीय मंत्री के मुताबिक, आज सदियों के बाद कोरोना महामारी के रूप में दुनिया भर में जिस तरह का संकट है, ऐसी चुनौती कई पीढ़ियों ने नहीं देखी है। फिर भी एक परिपक्व समाज, सरकार, सिनेमा और सहाफत की भूमिका निभाने में हमने कोई कमी नहीं छोड़ी, खासकर भारत में इन वर्गों ने “संकट के समाधान” का हिस्सा बनने में अपनी-अपनी भूमिका निभाने की कोशिश की।
नकवी ने कहा,
‘‘पिछले 6 महीनों में सरकार, समाज, सिनेमा और सहाफत के स्वभाव, कार्यशैली और प्रतिबद्धता में बड़ा क्रांतिकारी परिवर्तन आया है। आज समाज के हर हिस्से की कार्यशैली और जीवनशैली में बड़े बदलाव इस बात का प्रमाण है।’’
उन्होंने कहा,
‘‘कोरोना संकट के समय भी लोगों ने पूरा नहीं तो आधा-चौथाई फिल्म-मीडिया से अपना गुजरा कर लिया पर उसे अलविदा नहीं कहा। हां इलेक्ट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया का बोल बाला जरूर रहा।’’
नकवी के अनुसार, इतिहास गवाह है कि चुनौतियों के समय मीडिया-सिनेमा हमेशा बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। 60 और 70 के दशक में युद्ध के दौरान राष्ट्रभक्ति के जज़्बे से भरपूर सिनेमा आज भी लोगों के जेहन में ताजा है, उस दौरान मीडिया की देशभक्ति से भरपूर भूमिका आज भी वर्तमान पीढ़ी के लिए आदर्श हैं।
उन्होंने कहा कि मीडिया, विभिन्न सूचनाओं एवं जानकारी से न केवल जनमानस को जागरूक करता है बल्कि रचनात्मक आलोचना के माध्यम से व्यवस्था को आगाह भी करता है।
Edited by रविकांत पारीक
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