शादी के लिए पौधे लगे गमलों को बनाया इन्विटेशन कार्ड, बन गया चर्चा का विषय
20 नवंबर को भोपाल के तुलसी नगर निवासी राजकुमार कनकने के बेटे प्रांशु कनकने की शादी सुमी चौधरी से हुई। इस शादी के लिए रिश्तेदारों को आम वेडिंग कार्ड्स की जगह पौधे के जरिए आमंत्रित किया। दूल्हे प्रांशु और उसके भाई प्रतीक ने मिलकर पेपर वाले कार्ड की जगह इकोफ्रेंडली तरीके से लोगों को निमंत्रण भेजने का फैसला किया।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हुई एक शादी चर्चा का विषय बनी हुई है। इसकी वजह शादी के लिए लोगों को भेजे गए इन्विटेशन कार्ड हैं। लोगों में पर्यावरण को लेकर जागरूकता पैदा करने के लिए इस शादी में आमंत्रित करने के लिए कागज वाले आम कार्ड की बजाय 'अनोखे' कार्ड भेजे गए हैं। अनोखे इसलिए कह रहे हैं क्योंकि लोगों को आमंत्रित करने के लिए पौधे लगे हुए गमले दिए गए, जिन पर वर-वधु का नाम और कार्यक्रम की बाकी डीटेल्स लिखी थीं।
20 नवंबर को भोपाल के तुलसी नगर निवासी राजकुमार कनकने के बेटे प्रांशु कनकने की शादी सुमी चौधरी से हुई। इस शादी के लिए रिश्तेदारों को आम वेडिंग कार्ड्स की जगह पौधे के जरिए आमंत्रित किया। दूल्हे प्रांशु और उसके भाई प्रतीक ने मिलकर पेपर वाले कार्ड की जगह इकोफ्रेंडली तरीके से लोगों को निमंत्रण भेजने का फैसला किया।
खाने की बर्बादी रोकने से आया आइडिया
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए प्रतीक ने बताया,
'यह सब खाने की बर्बादी रोकने के आइडिया से शुरू हुआ। हमने लोगों को पेपर की बजाय ई-इनवाइट भेजे और उनसे आरएसवीपी के लिए रिक्वेस्ट की। ई-कार्ड के जरिए हम न केवल पेपर की बर्बादी बचा सके बल्कि आरएसवीपी की वजह से खाने की बर्बादी भी कम हुई।'
RSVP यानी लोग ई-इनवाइट का रिप्लाइ देकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं ताकि उसी हिसाब से खाना बने। हालांकि दूल्हे की मां का मानना था कि निमंत्रण कार्ड शादी का एक जरूरी हिस्सा है। लेकिन प्रांशु और उसके भाई प्रतीक, दोनों ने पर्यावरण को बचाने के लिए इस नई पहल को अपनाया।
दोनों ने अपने परिचितों को गमले में लगे अलग-अलग तरह के पौधे भेजे जिन पर शादी का संदेश लिखा हुआ था। गमले में लगे पौधे 8 से 10 महीने लगाए गए थे और इन इनडोर पौधों की उम्र 3 से 4 साल है।
लोगों को पर्यावरण के लिए जागरूक करना था लक्ष्य
प्रतीक ने लॉजिकल इंडियन से बताया,
'जब हम लोगों के यहां पौधे के साथ निमंत्रण देने जाते थे तो लोगों की प्रतिक्रिया अलग सी होती थी। कुछ लोग तो अपनी पसंद के पौधे लेते थे। इसके साथ ही हम जिसको भी निमंत्रण देने जाते, उसे पौधे की देखरेख करने के तरीके समझाने में 15 से 20 मिनट का समय देते। हम नहीं चाहते थे कि लोग गमले ले लें और फिर फेंक दें।'
पौधे के गमले पर यह संदेश भी लिखा गया था 'शादी में बुके ना लाएं और सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल बंद करें।'
शादी की सजावट पूरी तरह से इकोफ्रेंडली थी। परिवार वालों का मानना है कि अगर हम कार्ड देते तो लोग लेने के बाद उसे फेंक देते लेकिन गमलों को अपने घर में देखकर वे हमारी शादी को याद करेंगे।
पहल की लागत और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा
लॉजिकल इंडियन में छपी एक खबर के मुताबिक, इस पहल की लागत के बारे में बात करते हुए प्रतीक बताते हैं,
'अगर यह पहल अनावश्यक रूप से खर्चीली होती तो लोग इसे नहीं अपनाएंगे। इसलिए हमारे सामने सबसे बड़ा चैलेंज इस काम को सस्ते में करना था।'
शादी में एक निमंत्रण कार्ड के लिए 68 से 70 रुपये का खर्च आया। खाने की बर्बादी को रोकने के लिए परिवार ने रॉबिन हुड आर्मी का साथ लिया। रॉबिन हुड आर्मी ने अतिरिक्त खाने को बेघर और गरीबों में बांट दिया।
शादी में कुल 1500 मेहमान आए थे जिनमें केवल दो लोग बुके लेकर आए और 40-50 प्लेट खाना बचा था। इस खाने को रॉबिनहुड आर्मी ने गरीबों में बांट दिया।
प्रतीक ने बताया,
'पर्यावरण के लिए काम करना बहुत जरूरी है। हमें हर संभव तरीके से प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के तरीके खोजने चाहिए। यह शादी हमारे लिए ऐसा अवसर था जिसमें हम यह सुनिश्चित कर सकें कि प्राकृतिक संसाधन बर्बाद न हों।'
मानव प्रजाति के लिए विकट समस्या है जलवायु प्रदूषण
मालूम हो, इस समय क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन पूरे विश्व के सामने बड़ी समस्या है और पूरी मानव प्रजाति इससे जूझ रही है। क्लाइमेंट को बचाने के लिए दुनिया के ताकतवर देश नई-नई योजनाएं बना रहे हैं। हालांकि उनके प्रयासों से ही सफलता नहीं मिलेगी।
हाल ही में भारत सरकार ने भी सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर कड़े कदम उठाए हैं। पर्यावरण रक्षा के लिए आम लोगों को भी आदतों में सुधार लाना होगा। पर्यावरण की रक्षा के लिए लोगों द्वारा किए जा रहे हर छोटे प्रयास की सराहना की जानी चाहिए।