डलाब घर पर नेचर पार्क की सौगात दे गए हिमाचल के आईएएस राकेश कंवर
स्वच्छता मिशन को स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों का नेतृत्व मिल जाए तो कैसा कायाकल्प संभव हो सकता है, इसकी ताज़ा नजीर है कुल्लू (हिमाचल) का मौहल नेचर पार्क, जो राज्यपाल के मौजूदा सचिव आईएएस राकेश कंवर की मेहनत का परिणाम है। ब्यास नदी के किनारे वहां कभी डलाब घर हुआ करता था।
अपने ताज़ा तबादले के बाद इस समय हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र के निजी सचिव बन चुके आईएएस राकेश कंवर उपायुक्त के रूप में अपनी कुल्लू तैनाती के दिनो में मौहल नेचर पार्क के रूप में ब्यास नदी के किनारे डंपिग साइट पर एक ऐसी सौगात सौंप आए हैं, जिसकी महक आज भी हजारों लोगों के दिलो में ताज़गी भर रही है। नदी तट पर उस डलाब के कारण न केवल नदी, बल्कि नागरिकों की सेहत पर भी गंभीर असर पड़ रहा था। उनका वहां रहना मुश्किल होने लगा था।
कंवर इस साल मार्च में विशेष सचिव एवं निदेशक ग्रामीण विकास, पंचायती राज पद पर स्थानांतरित होने के बाद अगस्त से राज्यपाल के सचिव एवं शून्य बजट प्राकृतिक खेती मिशन निदेशक का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे हैं। वह जिस डंपिंग साइट पर कभी नेचर पार्क बनवा गए थे, आज उससे जुड़ी जमीन पर वन विभाग एक बॉटनिकल गार्डन भी स्थापित करने में जुटा है। पार्क से हर महीने वन विभाग एवं दुकानदारों की लाखों रुपए की कमाई भी होने लगी है।
राकेश कंवर बताते हैं कि डंपिंग साइट के पास से नेशनल हाईवे गुजरता है। दूसरी ओर ब्यास नदी है। उन्होंने तय किया कि यहां पर हराभरा और सभी के लिए सुविधाजनक पार्क बना देने से समस्या का समाधान हो सकता है। वर्ष 2015 में डंपिंग साइट से लोगों को हो रही दिक्कत और ब्यास नदी को हो रहे नुकसान का आकलन किया गया। प्रोजेक्ट पर काम होने लगा। उसके साथ स्थानीय पंचायतों एवं वहां के बाशिंदों को भी साथ ले लिया गया।
वन विभाग के सहयोग से करीब 60 लाख रुपये की लागत से सात महीने में नेचर पार्क बनकर तैयार हो गया। नेचर पार्क में घूमने-फिरने के लिए सुंदर गलियारे, बच्चों के लिए सांप-सीढ़ी सहित खेलकूद और व्यायाम के साधन-संसाधन भी उपलब्ध करा दिए गए। साथ ही उसमें पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने वाली कलाकृतियां भी लगा दी गईं। बाद में राकेश कंवर को अपनी नौकरी संभालते हुए इस विशेष विकास कार्य के लिए सरकार की ओर से सम्मानित भी किया जा चुका है।
मौहल नेचर पार्क शुरू करने से पहले स्थानीय पंचायत को भी इसकी देखभाल की जिम्मेदारी से जोड़ दिया गया। महिला मंडल की सदस्यों को पार्क में दुकानें एलाट कर दी गईं। नेचर पार्क में प्रवेश के लिए बीस रुपए का टिकट भी जारी कर दिया गया। इतना ही नहीं, इसके प्रति लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए एक वेबसाइट भी लांच कर दी गई। कुल्लू में ब्यास नदी के किनारे आज तीन किलोमीटर के दायरे में मोहला नेचर पार्क से जुड़ा लंबा ट्रैक पहां पहुंचने वाले पर्यटकों को खूब रिझाता है। इस पार्क से अब वन विभाग की आमदनी भी जुड़ चुकी है।
छुट्टी के दिनों में बड़ी संख्या में आसपास के लोग सपरिवार पहुंच कर पार्क का आनंद उठाते हैं। यह पार्क बच्चों को भी खूब रिझाता है। कंवर ने अपने कार्यकाल में इतना ही नहीं किया, बल्कि उनसे क्षेत्र की सांस्कृतिक गतिविधियों को भी काफी बढ़ावा मिला। पार्क में सैर सपाटे के अलावा खेलने-कूदने, नाश्ते-जलपान की भी व्यवस्था है।
प्रदेश सरकार नेचर पार्क के साथ अब एक बॉटनिकल गार्डन भी स्थापित करने पर विचार कर रही है। बॉटनिकल गार्डन के निर्माण के लिए वन विभाग द्वारा प्रदेश सरकार के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजे गए प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। बॉटनिकल गार्डन में अलग-अलग जैव विविधता वाले पेड़ पौधों को उगाया जाएगा। इस समय पार्क से वन विभाग को हर महीने एक लाख रुपये तक की आमदनी होने के साथ ही महिला मंडल भी अपने सामान बेचकर बीस-पचीस हजार रुपये कमा लेता है। आज यहां कल-कल करती ब्यास, चारों और छाये घनघोर अंधेरे में जब बिजली महादेव के चरणों में मंत्रोच्चार होता है, पूरा मौहल देवमय हो जाता है।
ब्यास यानी बिपाशा के तट पर जिला कुल्लू प्रशासन महाआरती का आयोजन भी किया करता है। इसका उद्देश्य नदी को पवित्र एवं पर्यावरण के साथ-साथ ही यहां की देव परंपरा को भी संजीदा रखना है। लोग आरती के लिए अपने घरों से पूजा की थाल लेकर परिवार सहित नेचर पार्क पहुंचते हैं। इस मौके पर हजारों की संख्या में उमड़े श्रद्धालुओं के बीच कुल्लवी वाद्य यंत्रों की थाप पर रवायत के अनुसार मंत्रोच्चारण के साथ ब्यास नदी की स्तुति एवं नदी में 21 कलशों की पूजा की जाती है।